Dec 24, 2014

इस जाम को प्याले को गवाह करता हूँ


इस जाम को प्याले को गवाह करता हूँ 

मयकदे में रात से निकाह करता हूँ 
तेरी रहमत का ये खुला आसमां लेकर 
आज ये आखिरी गुनाह करता हूँ 
साकिया देख मैं रंजूर हुआ जाता हूँ 
जब्त की हद से बहुत दूर हुआ जाता हूँ
मेहरबान हो कुछ साँस खुद मुझको पिला दे
वरना डूब कर पीने पे मजबूर हुआ जाता हूँ ! 

अ से

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