Oct 16, 2013

" कुर्सी "

किसी दार्शनिक दर्जी की सुन्दर परिकल्पना
कुर्सी , एक आराम दायक वस्त्र ,
अस्तित्व को सुकून से ढक लेती है ,

दुनिया से अलग , अलग सी दुनिया की सवारी ,
हाथ बाँध कर मेरे , मुझे खुद में समा लेती है ,

अब मैं कहीं नहीं जाता , न ही ये कुर्सी ,
जैसे आकाश में खूंटा गढ़ाया , कोई अलहदा एहसास ,

रुका हुआ सा मैं अब , बदलता परिदृश्य ,
कोई खामोश सफ़र ध्वनित आवाजाही ,

अतीत की समय यात्रा पर , भविष्य की योजनायें बुनता ,
कुर्सी वर्तमान को मूर्त कर देती है ॥
........................................................अ-से अनुज ॥

...................................

चाहत यूँ ही नहीं कोई ,
एक मासूम दिल परस्ती है ॥

आंसू यूँ ही नहीं आते ,
एक चांदनी रात बरसती है ,

दुनिया बंद आँखों सी ,
और पलकों पर कोई रहता है ,

ऊपर कोई दर्पण होगा ,
अब चाँद ज़मीं पर रहता है ॥
......................................... ( अ-से अनुज )

( its only a child who tries to catch the moon , and who can ,
its just , he cant leave his heart alone! )
..........................................

यूँ भी अगर मिल जाता जो चाँद मुझे ,
बेबस रात की परछाइयों में क्या मुलाकात होती ,

मद्धम रौशनी से हिलते , तेरे होठों की सरगोशी ,
घिर आते अँधेरों में आ खामोश होती ,

सुबह न होने की आरज़ू , फिर यही रात होने की दुआएं ,
और फिर सब की सब बेअसर होती ,

जाना मुझे भी होता है , जाना किसी को नहीं होता ,
पर चाहने न चाहने की कोई बात नहीं होती ,

न मिल पायी तुम कोई अफ़सोस नहीं होता ,
अफ़सोस तब होता है जब तुम साथ नहीं होती ॥
................................................................अ-से अनुज ॥

i move my hands ,
in the sky of meanings ,
it looks like ,
it will catch those wonderfull stars called words
the twinkling stars ,
tiny , powerfull ,
and always a bit distant , a little bit
i jump not to catch and keep them ,
but to touch them ,
to make them my friends
to ask there name ,
to call them ,
whenever i need characters to play their roles in my writing , but
alas !
they dont listen to me ,
doesnt get caught ,
they are so untouchable
that my fingers has no sense of touch them ,
i ask them without any name ,
to come along and play there roles ,
they smile , they laugh ,
they do come close to my hands ,
and simply run away .
......................................................Anuj !!
जब वक़्त मुड़ कर नहीं देख पाता ,
तो इतिहास खुद को दोहराता क्यों है ॥

गुनाह नहीं जब कुछ भी जमी पर ,
फिर बाद में कोई पछतावा क्यों हैं ॥

इंसान के सिवा सब मूक पशु हैं ,
तो आपस में फिर बतियाते क्यों हैं ॥

जब धूप उड़ा देती है रंग सबका ,
तो पत्तियों में रंग भर आता क्यों है ॥

गर अमृत नहीं धरा पे जब ,
तो सावन में सब हरियाता क्यों है ॥

नहीं अगर वास्ता अब मुझसे ,
फिर फिर कोई लौट आता क्यूँ है ॥

अगर नहीं बची है इंसानियत दिल में ,
तो कोई मासूम बचपन की याद दिलाता क्यूँ है ॥

.......................................................अ-से अनुज ॥
प्रेम खिल उठता है धूप मिलते ही , और सांझ को लुक जाता है ,
पर कौनसे पौधे पर लगता है ॥

माना बहुत से काम हैं जो एक इंसान को करने चाहिए ,
पर क्या ये आवाज़ आसमान से नहीं आनी चाहिए ॥

कुछ किताबें ईश्वरीय हैं , तो उनकी लिखावट मानवीय क्यों है ,
और क्यों कर उनमें निहित ज्ञान अमानवीय ॥

सीमाएं बाँधने से देश बदल जाते हैं ,
तो आवाजें क्यों पार जाती हैं ॥

अगर परिंदे आज़ाद हैं , तो पिंजरों में कौन रहता है ,
क्यों पृथ्वी पर ही हैं वो अब तक ॥

माना दुनिया एक सपना है ,
पर सपने हकीक़त में क्यों आते हैं ॥

आप ढूंढ सकते हैं कारण हर काम का , मतलब हर बात का ,
पर एक बच्चे की हरकतों का क्या कहेंगे , उसकी शरारतो का , और उसकी बातें ॥

जब आप भाषा समझना ही सीखे थे,
तब क्या मकसद बताया गया था आपको अपने जीवन का ,
वो क्या उद्देश्य है जिसके लिए आपको भेजा गया ,
और अब उसका पता करना ही आपका उद्देश्य बन गया है ॥

.............................................................. अ-से अनुज ॥
शब्द खामोश हो जाते हैं ,
या उन्हें सुनने वाला कोई नहीं बचता ॥

कोई अँधेरा निगल जाता है सूरज की दिन भर की मेहनत ,
या सूरज साथ ले जाता है रौशनी ॥

सन्नाटे से डरते हैं मेंढक ,
या झींगुरो के साथ गाते हैं रात्रीगीत ॥

हवा को कौन बहा ले जाता है अपने साथ ,
खाली आकाश में वो किस से टकराकर शोर करती है ॥

रात भर की नींद के बाद ,
क्या बात करती हैं चिड़ियाएँ अल-सुबह ॥

किस धुन पर नाचते हैं सभी गृह नक्षत्र ,
किस क्रोध से धधकता है सूरज ॥

यादों की उम्र क्यों नहीं बढती वक़्त के साथ ,
बदबू और खराब होने पर खुशबू क्यों नहीं आती ॥

कहाँ रहता है आशिक़ बेवफ़ाई मिलने के बाद ,
कहाँ चले जाते हैं सपने आँख खुलने के बाद ॥

................................................अ-से अनुज ॥