Feb 25, 2015

koan



कितने कोआन  थे यहाँ , 
अब तलाशो तो एक नहीं ,
एक पहेली थी तुम , 
जब तक मुझे पता ना था ,
मैं सुलझाता था तुम्हें , 
थोड़ा और उलझ जाता था ,

तुम्हें डर था समय से पहले अपना जादू खो देने का
मुझे खोज लेना था बाहर का एक रास्ता समय रहते 
पर ना तो तुम जादूगरनी थी ना मुझे ही कहीं जाना था ।
कैसा जादू है तुम्हारा कि अब 
मुझ पर कोई जादू नहीं चलता
कैसा जादू है तुम्हारा 
जो खत्म नहीं हुआ पर अब असर नहीं करता
कैसी पहेली हो तुम 
जो उलझी हुयी हो पर सुलझा दिया है मुझे
और कैसा मैं हूँ कि
मेरे पास नहीं है कोई रास्ता 
पर चले जाना है ।

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