और जब गर्भ का स्पंदन खो गया
सृष्टि का अज्ञातमात्र सो गया
चेत का समवेत स्वर लुप्त हो गया
सृजन का मूल शब्द सुप्त हो गया
ब्रह्मा बिखर कर वेदहीन हो गया
संसार विसर्ग में विहीन हो गया ।
सृष्टि का अज्ञातमात्र सो गया
चेत का समवेत स्वर लुप्त हो गया
सृजन का मूल शब्द सुप्त हो गया
ब्रह्मा बिखर कर वेदहीन हो गया
संसार विसर्ग में विहीन हो गया ।
एक पल को
शिव ने शक्ति को जीर्ण कर दिया
कारण अकारण सब क्षीर्ण कर दिया
अब प्रकाश के लिए आकाश ना हुआ
आकाश के लिए अवकाश ना हुआ
वियोगी अंतर्ध्यान रहा
शून्य , एक , सब अ-मान रहा ।
शिव ने शक्ति को जीर्ण कर दिया
कारण अकारण सब क्षीर्ण कर दिया
अब प्रकाश के लिए आकाश ना हुआ
आकाश के लिए अवकाश ना हुआ
वियोगी अंतर्ध्यान रहा
शून्य , एक , सब अ-मान रहा ।
तभी वो पल किसी में लीन हो गया
गिना ना जा सका बस तीन हो गया
शिव को अपना भान हो आया
फिर से शक्ति का ध्यान हो आया
आकाश का अवकाश समाप्त हो गया
प्रकाश दिक-काल में व्याप्त हो गया
शिव से आत्म में बैठा ना गया
इतना प्रचंड समेटा ना गया ।
गिना ना जा सका बस तीन हो गया
शिव को अपना भान हो आया
फिर से शक्ति का ध्यान हो आया
आकाश का अवकाश समाप्त हो गया
प्रकाश दिक-काल में व्याप्त हो गया
शिव से आत्म में बैठा ना गया
इतना प्रचंड समेटा ना गया ।
एक से तीन हुये तीन से नो
बिखर गए शक्ति में कण कण हो
सब ओर भ्रम पर कहीं कोई योग नहीं
महामाया पर चल सका कोई प्रयोग नहीं
और तब
हार कर क्षरण ली फिर अपनी ही शक्ति की
हाथ जोड़ नमन कर महामाया की भक्ति की ।
बिखर गए शक्ति में कण कण हो
सब ओर भ्रम पर कहीं कोई योग नहीं
महामाया पर चल सका कोई प्रयोग नहीं
और तब
हार कर क्षरण ली फिर अपनी ही शक्ति की
हाथ जोड़ नमन कर महामाया की भक्ति की ।
अ से
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