Feb 21, 2015

प्रेम पाषाण


तुम मत झाँको उसमें गहरे
भले ही वो ये चाहती है
वो नहीं छिपा पाएगी अपना प्रेम
तुम कोशिश भी मत करो झाँकने की ।
तुम मत पूछो उससे फिर फिर 
कि क्या उसे प्रेम है तुमसे
कि कितना प्रेम है उसे तुमसे
भले ही वो ये चाहती है
वो नहीं जता पाएगी अपना प्रेम
तुम कोशिश भी मत करो जानने की ।
तुम मत समझाओ उसे कुछ भी
कि क्या नहीं करना चाहिए उसे
कि उसका क्या करना पसंद है तुम्हें
कि कैसा देखना चाहते हो तुम उसे
भले ही वो ढल जाएगी वैसे
पर नहीं रह पाएगी वो स्वाभाविक
वो नहीं रह पाएगी जो वो है ॥
यदि तुम प्रेम करना चाहते हो उसे
उसे करने दो ।
उसकी आँखों में खुद ही उतर आएगी
एक परत नमी की
तुम्हारे देखते ही
और तुम्हारे देखते ही देखते
उड़ जाएगी धूप में ओस बनकर
और महक जाएगा उसका प्रेम ।
और वो करेगी
वो सब कुछ
जैसा तुम चाहते हो
वो ढल जाएगी
अकहे ही तुम्हारे प्रेम में ॥
वो पाषाण है
ठोस भावनाओं की
जो बन जाएगी
एक सुंदर मूरत
ये उसका स्वभाव है ।
मत चोट करो उस पर
उसे मत कुरेदो
मत खुरचो
वो ढल जाएगी
तुम्हारी उपस्थिती मात्र से ॥
वो है एक पाषाण
प्रेम पाषाण ॥

अ से 

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