Jan 12, 2015

लकीर के फकीर


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किसी ने खींची एक लकीर
रास्ते का रूपक धड़ 
कोई आया बिना समझे
कर गया उसको छड़ ।
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किसी ने खींची एक लकीर
दूसरे ने आकर उसे गहरा दिया और
फिर वो होती गयी गहरी हर छोर ।
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किसी ने खींची एक लकीर
दूसरा लगाने लगा अनुमान
कैसा है उसके दूसरी ओर का आसमान ।
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किसी ने खींची एक लकीर
दूसरी फिर तीसरी बना दिया नक्शा पूरा
और उलझा हुआ है उनमें अब हर दिमाग अधूरा ।
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किसी ने खींची एक लकीर
एक राग ने उसके समानान्तर
फिर एक आग ने खींची एक और लकीर
समकोण पर उन सभी को काट कर ।
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किसी ने खींची एक लकीर
किसी और ने कुछ सोचकर खींचनी चाही विपरीत
पर हर बार उसी को पाया
उसने देर तक कागज देखा और उसे फाड़कर मुस्कुराया ।
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किसी ने खींची एक लकीर
उसने आकर पीट दी
क्यूंकि यही करते हैं सभी ।
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किसी ने खींची एक लकीर
भटकाव से बचने को
पर उसी रास्ते भटक गया तीर ।
अ से

he yawns

eyes , they open ,
he yawns ,
and the world 
comes into being ,
he creates everything 
around him ,
one more day ends
tired , he yawns yet again
the world goes into
slumber , unexpressed !

a se

Jan 11, 2015

horoscope --- vladimir holan

राशिफल
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शाम की शुरुआत ... कब्रिस्तान ... और हवा इतनी तीखी
जैसे हाड़ की किरचें किसी कसाईखाने में ।
कब से लगी हुयी जंग अचानक झिंझोड़ देती है 
साँचे को इसके संतप्त रूप से बाहर ,
और इस सब से ऊपर , शर्म के आँसुओं से भी ऊपर ,
सितारों ने लगभग तय कर लिया है कबूलना ।
क्यों हम समझते हैं सरलता को सिर्फ तभी जब दिल टूटता है
और हम अचानक हम हो जाते हैं , अकेले और भाग्यहीन ।
-- व्लादिमीर होलान

dont go yet --- vladimir holan

नहीं , अभी से मत जाओ
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नहीं , अभी से मत जाओ , मत घबराओ इन सब उत्तेजनाओं से
यह तो एक भालू है , शहद के छत्ते को खोलता हुआ , बाग में 
वो जल्दी ही शान्त हो जाएगा ।
मैं भी रोक लूँगा शब्दों को जो ऐसे झपटते हैं जैसे सर्प के शुक्राणु
ईडेन की उस स्त्री की तरफ ।
नहीं , अभी से मत जाओ , झुकाओ नहीं अपने चेहरे का परदा ,
जबकि केसर की गंध ने रौशन कर दिया है ये मैदान ।
यही है वो जो तुम तब हो , जीवन , भले तुम कहती हो :
चाह से , हम जोड़ते हैं कुछ और । पर प्यार
प्यार रहता है ।
--- व्लादिमीर होलान

that hour -- vladimir holan

वो पहर
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यह है वो पहर : संगीत से संभव नहीं
और शब्द बेमतलब हैं । वो उदास पंक्ति खालीपन की 
खींच दी गयी साँसों के द्वारा बेसब्री से दिखाती है
कि वास्तविकता की पूर्णता चाहिए होती है
कार्य को छवि बनने के लिए ।
बरसात शुरू हो गयी है ,
सुर्ख फीका हो रहा है डहलिया ( के फूलों ) से ,
खूनी धोता है अपने हाथ झरने पर ।
--- व्लादिमीर होलान

nothing after all -- vladimir holan

कुछ नहीं आखिर
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हाँ , अभी सुबह है और मैं नहीं जानता
क्यों इस पूरे सप्ताह मैं दौड़ता रहा 
बाहर ठंडी सड़कों से इस दरवाजे तक
कहाँ खड़ा हूँ मैं अब , अपने समय के सामने ।
मैं नहीं चाहता था मजबूर करना भविष्य को ।
मैं नहीं चाहता था जगाना उस अंधे आदमी को ।
उसे खोलना है वो दरवाजा मेरे लिए
और चले जाना है फिर से ।
nothing after all -- vladimir holan

On the Pavement --- vladimir holan

फुटपाथ पर --
वो बूढ़ी है और लंगड़ाती है यहाँ हर रोज़
अखबार बेचने को ।
थकी हुयी और चूर 
वो पसर जाती है उसके अतिरिक्त ढेर पर
और चली जाती है नींद में ।
गुजरने वाले
इतने आदी हैं इसके कि वो देखते भी नहीं उसको
और वो , रहस्यमय और जादूगरनी की तरह बड़बड़ाती ,
छिपा जाती है कि उसे क्या मिलना चाहिए ।
On the Pavement --- vladimir holan

always -- vladimir holan

हमेशा
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ऐसा नहीं कि मैंने नहीं चाहा होता जीना ,
पर जिंदगी 
एक ऐसा झूठ है
कि भले अगर मैं सही होता
पर सच के लिए मुझे झाँकना होता मौत में
और यही है जो मैं कर रहा हूँ ।

always -- vladimir holan

Deep in the Night -- vladimir holan

रात की गहराई में
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' कैसे नहीं हुआ जाये ! ' तुम पूछते हो खुद से और आखिर में कहते हो इसे
ज़ोर से ...
पर पेड़ और पत्थर खामोश हैं 
जबकि प्रत्येक का जन्म हुआ है शब्द से और इस कारण मूक हैं
तब से शब्द डरा हुआ है कि वो क्या बन गया है ।
पर नाम उनके अभी भी हैं । नाम : पाइन , मैपल , एस्पन ...
और नाम : स्फटिक , माणिक , पन्ना , प्रेम ।
खूबसूरत नाम ,
डरे हुए हैं सिर्फ इससे कि वो क्या बन गए हैं ।
Deep in the Night -- vladimir holan

how ... vladimir holan

कैसे
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कैसे जियें ? कैसे बनें सरल और यथाशब्द ?
मैं हमेशा से तलाश में था एक शब्द की 
जो बोला गया हो सिर्फ एक दफा ,
या एक शब्द जो बोला ही ना गया हो कभी ।
मुझे चाहिए थे तलाशने कुछ साधारण शब्द ।
कुछ भी नहीं जा सकता जोड़ा
अपवित्र शराब तक में ।
how ... vladimir holan

When It Rains on Sunday --- vladimir holan


जब होती है बरसात रविवार को
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जब होती है बरसात रविवार को और आप अकेले ,
खुले हुए दुनिया के लिए पर नहीं आता कोई चोर 
और ना तो शराबी ना ही दुश्मन खटखटाता है दरवाजा ,
जब होती है बरसात रविवार को और आप वीरान हो
और नहीं कर सकते कल्पना जीने की बिना शरीर के
और ना ही जिये हो जब से ये आपके पास है ,
जब होती है बरसात रविवार को और आप अपने आप में हो ,
नहीं सोचते बात करने की खुद से ।
तब ये एक देवदूत है जो जानता है और केवल वो जो है ऊपर ,
तब ये एक शैतान है जो जानता है और केवल वो जो है नीचे ।
एक किताब है हाथों में , एक कविता जारी होने में ।
When It Rains on Sunday --- vladimir holan

Sonnet of the Sweet Complaint --- Federico García Lorca

मीठी शिकायत का गीत
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कहीं खो ना दूँ ये आश्चर्य , है मुझे डर
और लहज़ा , तुम्हारी मूर्तिमय आँखों का 
उस रात लिखा हुआ मेरे गालों पर
दूरस्थ गुलाब तुम्हारी साँसों का
ये जोखिम है मेरा होना , इस ओर इस हाल
एक शाखहीन तना और क्या हूँ इसके सिवा
नहीं रखता कोई फूल , गूदा या छाल ,
अपनी पीड़ा की करने को दवा
क्या तुम हो खजाना छिपा हुआ मेरा
क्या तुम हो मेरा सलीब , भीगा हुआ दुःख मेरा
या हूँ मैं एक कुत्ता मालिकाना सिर्फ तेरा
मत खोने दो मुझे पाया है जो मैंने अभी
और संवार लो धाराएँ तुम अपनी नदी की
टूटकर गिरती पत्तियों से , मेरे पतझड़ की
Sonnet of the Sweet Complaint --- Federico García Lorca

Jan 10, 2015

वो दोनों अपने अपने जा रहे थे


वो दोनों अपने अपने जा रहे थे
लड़का वक़्त में आगे
लड़की संसार में पीछे
रास्ते दोनों को मालूम ना थे
वो बस चले जा रहे थे 
वहाँ तक जहां समय और संसार
एक जगह आकर मिलते थे
वो दोनों वहाँ थे , तब
आमने-सामने
और उसके बाद
दोनों पीछे मुड़े
लड़का पीछे की ओर आगे बढ़ गया
और लड़की वहीं रह गयी !
अ से

the wall --- vladimir holan

क्यों तुम्हारी उड़ान इतनी भारी है परवाहों से
क्यों हो जाती है ये यात्रा नीरस ?
मैं बात कर रहा हूँ पंद्रह वर्षों से
एक दीवार से
और मैं खींच लाया हूँ उस दीवार को यहाँ
बाहर मेरे अपने नर्क से
ताकि ये बता सके अब
आपको सबकुछ ।
the wall --- vladimir holan

Jan 9, 2015

Ditty of First Desire by Federico García Lorca

पहली ख़्वाहिश की धुन
हरी सुबह में
मैं बनना चाहता था दिल
एक दिल ।
और परिपक्व साँझ में
बनना चाहता था बुलबुल
एक बुलबुल ।
(आत्मा ,
रंग जाती है नारंगी
आत्मा ,
रंग जाती है प्रेम के रंग में )
ज्वलंत सुबह में
मैं बनना चाहता था मैं
एक दिल ।
और ढलती साँझ में
बनना चाहता था अपनी आवाज़
एक बुलबुल ।
(आत्मा ,
रंग जाती है नारंगी
आत्मा ,
रंग जाती है प्रेम के रंग में )
Ditty of First Desire by Federico García Lorca

MADRUGADA (early morning) --- Federico García Lorca

भोर
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लेकिन प्यार की तरह
धनुर्धर 
अंधे हैं
हरी रात को
उनके तीर
छोड़ जाते हैं निशान
ऊष्म कुमुदनियों के
चाँद का तला
टूट जाता है बैंगनी बादलों से
और उनके तरकश
भर जाते हैं ओस से
ओह , लेकिन प्यार की तरह
धनुर्धर
अंधे हैं
MADRUGADA (early morning) --- Federico García Lorca

The Guitar - Federico García Lorca

रोने लगी
गिटार ।
टूट गए शीशे
सुबह के ।
रोने लगी
गिटार ।
बेकार है
चुप कराना ।
संभव नहीं
उसे चुप कराना ।
रोती है एकसार
वो पानी की तरह ,
जैसे रोती है हवा
बर्फीले मैदानों तले ।
संभव नहीं
उसे चुप कराना ।
रोती है
सुदूर चीजों को ।
गर्म दक्षिणी रेत
तड़पती है जैसे
सफ़ेद फूलों के लिए ।
रोते हैं जैसे तीर लक्ष्य हीन ,
और साँझ बिना सुबह के ,
और पहला पंछी ,
शाख पर मरा हुआ ।
ओह ! गिटार
ओ घायल दिल
पाँच विषम तीरों से ।
The Guitar - Federico García Lorca

vladimir holan

एक लड़की ने आप से पूछा : कविता क्या है
तुम उस से कहना चाहते थे : तुम भी , ओह हाँ , तुम , 
और जो डर और आश्चर्य में हैं ,
जो साबित करता है चमत्कार को ।
मैं जलता हूँ तुम्हारी भरी हुयी सुंदरता से
और क्यूंकि मैं तुम्हें चूम नहीं सकता ना ही सो सकता हूँ तुम्हारे साथ ,
और क्यूंकी मेरे पास कुछ भी नहीं है और जिसके पास कुछ नहीं है देने को
उसे गुनगुनाना चाहिए ...
पर तुमने कहा नहीं ये , तुम खामोश रहे ,
और उसने सुना नहीं ये गीत ।
-- व्लादिमीर होलान

in the lift --- vladimir holan

मुलाक़ात एक लिफ्ट में
हमनें लिफ्ट में कदम रखे ,
हम दो , अकेले ।
हमने देखा एक दूसरे की ओर और बस इतना ही । 
दो जिंदगियाँ , एक लम्हा , परिपूर्णता , सुख ।
पांचवे माले पर वो बाहर निकल गयी और मैं जाता रहा ऊपर ।
जानते हुये मैं नहीं देख पाऊँगा उसे फिर कभी
कि यह एक मुलाक़ात थी एक बार की और बस हमेशा की
कि यदि मैंने उसका पीछा किया
मैं हो जाऊंगा एक मृत आदमी की तरह उसके रास्ते में
और यदि वो लौट आती है मुझ तक
तो ये आना केवल होगा दूसरी दुनिया से !
-- व्लादिमीर होलान

reincarnation --- व्लादिमीर होलान


पुनर्जीवन 

क्या यह सच है कि हमारी इस जिंदगी के बाद हमें किसी दिन जगाया जाएगा 
तुरही की एक भयानक तुमुल नाद से ?
क्षमा करना ईश्वर , पर मैं सांत्वना देता हूँ स्वयं को 
कि हम सभी मृतकों का आरंभ और पुनर्जीवन 
उद्घोषित किया जाएगा बस मुर्गे की बांग से ।

-- व्लादिमीर होलान