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किसी ने खींची एक लकीर
रास्ते का रूपक धड़
कोई आया बिना समझे
कर गया उसको छड़ ।
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रास्ते का रूपक धड़
कोई आया बिना समझे
कर गया उसको छड़ ।
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किसी ने खींची एक लकीर
दूसरे ने आकर उसे गहरा दिया और
फिर वो होती गयी गहरी हर छोर ।
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दूसरे ने आकर उसे गहरा दिया और
फिर वो होती गयी गहरी हर छोर ।
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किसी ने खींची एक लकीर
दूसरा लगाने लगा अनुमान
कैसा है उसके दूसरी ओर का आसमान ।
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दूसरा लगाने लगा अनुमान
कैसा है उसके दूसरी ओर का आसमान ।
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किसी ने खींची एक लकीर
दूसरी फिर तीसरी बना दिया नक्शा पूरा
और उलझा हुआ है उनमें अब हर दिमाग अधूरा ।
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दूसरी फिर तीसरी बना दिया नक्शा पूरा
और उलझा हुआ है उनमें अब हर दिमाग अधूरा ।
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किसी ने खींची एक लकीर
एक राग ने उसके समानान्तर
फिर एक आग ने खींची एक और लकीर
समकोण पर उन सभी को काट कर ।
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एक राग ने उसके समानान्तर
फिर एक आग ने खींची एक और लकीर
समकोण पर उन सभी को काट कर ।
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किसी ने खींची एक लकीर
किसी और ने कुछ सोचकर खींचनी चाही विपरीत
पर हर बार उसी को पाया
उसने देर तक कागज देखा और उसे फाड़कर मुस्कुराया ।
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किसी और ने कुछ सोचकर खींचनी चाही विपरीत
पर हर बार उसी को पाया
उसने देर तक कागज देखा और उसे फाड़कर मुस्कुराया ।
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किसी ने खींची एक लकीर
उसने आकर पीट दी
क्यूंकि यही करते हैं सभी ।
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उसने आकर पीट दी
क्यूंकि यही करते हैं सभी ।
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किसी ने खींची एक लकीर
भटकाव से बचने को
पर उसी रास्ते भटक गया तीर ।
भटकाव से बचने को
पर उसी रास्ते भटक गया तीर ।
अ से
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