Jan 12, 2015

पहेली कोई उदासी की ...


कितनी खूबसूरत
पहेली कोई उदासी की पर ,
वो , वो आँखें वो ,
वो आँखें ही वो ।
जो ठहर गयी थी समय में
कैद कर लिया था जिसे रौशनी ने खास
या हो गयी थी अचानक अनायास ।
कि हटती नहीं थी निगाहों से
उन आँखों की उदास
ठहरी हुयी प्यास ।
क्या कोई जीवन है वो पूछती हैं
कि अगर है तो उन आँखों में
क्यूँ नज़र नहीं आता
कि क्या कोई खुशी है
जिसके लिए लड़ मरते हैं हम ।
क्या कहीं मौत है
जिसमें सो सकें वो
कि अगर है तो उन आँखों में
क्यूँ नज़र नहीं आती
कि क्या कोई शांति है शाश्वत
जिसके आश्वासन में जीते जाते हैं हम ।
अ से

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