एक स्त्री की देह
उजले ऊरु , उजले उभार
जैसे तुम हो कोई संसार
आत्मसमर्पण में बिछा हुआ
मेरी रूखी कृषक देह कुरेदती है तुम्हें
और प्रेरित करती है पुत्रों को
उपज आने में पाताल के अँधेरों से ।
उजले ऊरु , उजले उभार
जैसे तुम हो कोई संसार
आत्मसमर्पण में बिछा हुआ
मेरी रूखी कृषक देह कुरेदती है तुम्हें
और प्रेरित करती है पुत्रों को
उपज आने में पाताल के अँधेरों से ।
मैं अकेला था
किसी खाली सुरंग की तरह
पंछी जहाँ से उड़ चुके थे
अंधकार भीतर तक भरने लगा था
अपने प्लावित आक्रमणों में मुझे ।
किसी खाली सुरंग की तरह
पंछी जहाँ से उड़ चुके थे
अंधकार भीतर तक भरने लगा था
अपने प्लावित आक्रमणों में मुझे ।
एक हथियार की तरह
मैंने तुम्हें ढाला आत्मरक्षा के लिए
मेरे धनुष के एक तीर
मेरी गुलेल में एक पत्थर की जगह ।
मैंने तुम्हें ढाला आत्मरक्षा के लिए
मेरे धनुष के एक तीर
मेरी गुलेल में एक पत्थर की जगह ।
लेकिन प्रतिशोध का समय गुज़र गया
और मुझे प्यार है तुमसे
देह , कोमल त्वचा की , फिसलन भरी
उन्माद और उत्सुकता से भरी हुयी
ओह ! स्तन के प्यालों
ओह ! अनुपस्थिति की आँखों
ओह ! तरुणाई का गुलाब
ओह ! तुम्हारी आवाज़ , शांत और उदास
ओह ! देह मेरी स्त्री की
मैं लगा रहूँगा तुम्हारे आकर्षण में
ओह ! मेरी प्यास ,
मेरी असीम चाह
मेरी बदली हुयी राह !
नदी के गहरे किनारे
जहां बहती है शाश्वत प्यास
पीछा करते हैं थकान के एहसास
और एक अंतहीन दुःख !
और मुझे प्यार है तुमसे
देह , कोमल त्वचा की , फिसलन भरी
उन्माद और उत्सुकता से भरी हुयी
ओह ! स्तन के प्यालों
ओह ! अनुपस्थिति की आँखों
ओह ! तरुणाई का गुलाब
ओह ! तुम्हारी आवाज़ , शांत और उदास
ओह ! देह मेरी स्त्री की
मैं लगा रहूँगा तुम्हारे आकर्षण में
ओह ! मेरी प्यास ,
मेरी असीम चाह
मेरी बदली हुयी राह !
नदी के गहरे किनारे
जहां बहती है शाश्वत प्यास
पीछा करते हैं थकान के एहसास
और एक अंतहीन दुःख !
Body of a Woman -- Neruda .
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