कुछ नहीं आखिर
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हाँ , अभी सुबह है और मैं नहीं जानता
क्यों इस पूरे सप्ताह मैं दौड़ता रहा
बाहर ठंडी सड़कों से इस दरवाजे तक
कहाँ खड़ा हूँ मैं अब , अपने समय के सामने ।
मैं नहीं चाहता था मजबूर करना भविष्य को ।
मैं नहीं चाहता था जगाना उस अंधे आदमी को ।
उसे खोलना है वो दरवाजा मेरे लिए
और चले जाना है फिर से ।
क्यों इस पूरे सप्ताह मैं दौड़ता रहा
बाहर ठंडी सड़कों से इस दरवाजे तक
कहाँ खड़ा हूँ मैं अब , अपने समय के सामने ।
मैं नहीं चाहता था मजबूर करना भविष्य को ।
मैं नहीं चाहता था जगाना उस अंधे आदमी को ।
उसे खोलना है वो दरवाजा मेरे लिए
और चले जाना है फिर से ।
nothing after all -- vladimir holan
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