Jan 9, 2015

Ditty of First Desire by Federico García Lorca

पहली ख़्वाहिश की धुन
हरी सुबह में
मैं बनना चाहता था दिल
एक दिल ।
और परिपक्व साँझ में
बनना चाहता था बुलबुल
एक बुलबुल ।
(आत्मा ,
रंग जाती है नारंगी
आत्मा ,
रंग जाती है प्रेम के रंग में )
ज्वलंत सुबह में
मैं बनना चाहता था मैं
एक दिल ।
और ढलती साँझ में
बनना चाहता था अपनी आवाज़
एक बुलबुल ।
(आत्मा ,
रंग जाती है नारंगी
आत्मा ,
रंग जाती है प्रेम के रंग में )
Ditty of First Desire by Federico García Lorca

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