May 9, 2014

एकतारा

कान में जमा हुआ ये मैल ,
अफवाह और झूठी बातें हैं ,
की बातों का बाजार सजा हुआ है , 
और लोग आते हैं अच्छी अच्छे बातें खरीदने ,
ताजा और इन फैशन !!

संसार में वो रहता था कांच के कंचे के भीतर , 
अब दुनिया छोड़ कर वो बस गया है आकाश में 
जहाँ से उसका काश उसका भाव होता है रोशन ,
ध्यान में मग्न होकर वो हो जाता है एक तारा ,
कितने ही लोग तो सितारे ही बनकर बस गए ,

" एकतारा " जिसकी अपनी आवाज है
जिसके अपनी रोशनी है
और " शब्द " जो एक तारा भी है एकतारा भी
वो खुद पूरा जहाँ है ,
वो जहाँ है खुद में भी
जिसमें आवाज भी है रौशनी भी ,
अर्थ और भाव भी ,

प्यार करके मैं उसका ख्याल तो रख सकता हूँ ,
प्यार करके उसके ख्याल मैं भी रह सकता हूँ ,
पर प्यार करके मजाक नहीं कर सकता ,
की उसको हंसा सकूँ ,
और मैं उसको हंसा तो सकता हूँ ,
पर मजाक करके प्यार नहीं कर सकता ,

झूठ सुन्दर बिलकुल नहीं होता ,
पर मोहक होता है हमेशा ,
कभी चाहत जैसा कभी परवाह जैसा
कभी नशे की तरह कभी मजे की तरह

की सच नज़र नहीं आता आकाश में ,
सिर्फ रोशन होता है सूरज के साथ
की झूठ सुनाई देता है जमीन पर
और तारे कभी झूठ नहीं बोलते
की चाँद की रोशनी में पकती है नशीली बूटियाँ
जो प्रतिबिम्ब की अग्नि पर सिकती हैं !!

अ-से

No comments: