और जब दो मिनट तक मेरी नज़रें नहीं हटी
तो उस चेहरे पर एक मुस्कान तैर गयी
जैसे रंगों की कुछ बूंदे पानी में फ़ैल गयी हों
जिन्होंने दे दिया हो ख़ुशी को आकार
उसे मालूम हो चूका था
कोई उसके " औरा-मण्डल " में है
उसकी कनखियाँ छत के कोनों की तरफ घूम गयी
और उसके दायें हाथ की उंगलियाँ घूमने लगी !
अब उस मुस्कराहट की शक्ल थोड़ी सी बदल चुकी थी !!
अ-से
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