अँधेरे की गति प्रकाश से भी तेज होती है ,
उसे कहीं भी जाने में समय नहीं लगता ,
मन किसी भी फाइटर प्लेन से ज्यादा तेज उड़ता है ॥
जिज्ञासाएं अब उनकी बीमारी बन चुकी है ,
वो खोजते है प्रतिबंधित चीजों में सच
और चलाते हैं अंधेरों में तीर ॥
मिटटी के कणों में वो तलाश करते हैं जीवन ,
आत्म किसी घोस्ट की तरह डराता है उनको ,
वन और जंतु जीवन किया जा रहा है लुप्त ॥
सच की मूरत तराशने की उनकी जिद चरम पर है ,
पथरीले सचों के बीच वो भूल चुके हैं सच की सूरत ,
सच शब्दमय भी है स्वप्नमय भी और उससे परे भी ,
एक सच मन भी है बुद्धि भी , ह्रदय और अध्यात्म भी ॥
उन्हें हर प्रश्न का जवाब चाहिए ,
साथ ही नए नए प्रश्न भी गढ़े जाते हैं ,
प्रश्न की सार्थकता अब महत्वपूर्ण नहीं ,
महत्त्व है जवाबों के कागजीकरण का ॥
संतुष्टि पर मूर्खता सन्यास पर आलस का ठप्पा लगा चुके हैं वो
प्रत्यक्ष को प्रमाणित करने की उनकी सनक अभी जारी है ॥
अ-से
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