May 9, 2014

अँधेरे की गति


अँधेरे की गति प्रकाश से भी तेज होती है , 

उसे कहीं भी जाने में समय नहीं लगता , 
मन किसी भी फाइटर प्लेन से ज्यादा तेज उड़ता है ॥ 

जिज्ञासाएं अब उनकी बीमारी बन चुकी है ,
वो खोजते है प्रतिबंधित चीजों में सच 
और चलाते हैं अंधेरों में तीर ॥ 

मिटटी के कणों में वो तलाश करते हैं जीवन ,
आत्म किसी घोस्ट की तरह डराता है उनको ,
वन और जंतु जीवन किया जा रहा है लुप्त ॥

सच की मूरत तराशने की उनकी जिद चरम पर है ,
पथरीले सचों के बीच वो भूल चुके हैं सच की सूरत ,
सच शब्दमय भी है स्वप्नमय भी और उससे परे भी ,
एक सच मन भी है बुद्धि भी , ह्रदय और अध्यात्म भी ॥

उन्हें हर प्रश्न का जवाब चाहिए ,
साथ ही नए नए प्रश्न भी गढ़े जाते हैं ,
प्रश्न की सार्थकता अब महत्वपूर्ण नहीं ,
महत्त्व है जवाबों के कागजीकरण का ॥

संतुष्टि पर मूर्खता सन्यास पर आलस का ठप्पा लगा चुके हैं वो
प्रत्यक्ष को प्रमाणित करने की उनकी सनक अभी जारी है ॥

अ-से

No comments: