रात की सर्द हवा की खामोश लहरों में
भीनी सी मुस्कराहट के साथ
तारों को निहारती आँखें तुम्हारी
कुछ इस तरह चमकती है
की उतार लाऊं चंद तारे आसमां से
और तुम झुमका लो उन्हें अपने कानों में
चाँद अपनी ठंडी रोशनी में छुपा ले तुम्हे
और अँधेरों की आंच ना पहुंचे तुम तक
अनजानी सी ख़ुशी की किसी धुन पर
तुम नाचने लगो लहराकर सरगम कोई गाकर
उन पत्तियों की तरह शाखों को लहराती हैं जो
रात की सर्द हवा की खामोश लहरों में
अ-से
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