प्रकृति के प्रवाह का प्रतिरोधक हूँ
मैं नालियों में जमा हुआ कचरा हूँ
मैं पोलीथीन हूँ जो रोज बनाई जाती है
जो खा जायेगी एक सदी मिट्टी हो जाने में
मैं हवा में घुलता हुआ जहर हूँ
मैं पानी में जमा होता कालापन हूँ
संसार की गति में सबसे बड़ी रूकावट हूँ मैं !
मैं अहम् खा चुकी बुद्धि हूँ
मैं मदमस्त एक मन हूँ
मैं अँधा हो चुका पंछी हूँ एक
बहुत बड़ा बहुत बड़ा
इतना कि अपना आकार नहीं देख पाता !
मैं मदमस्त एक मन हूँ
मैं अँधा हो चुका पंछी हूँ एक
बहुत बड़ा बहुत बड़ा
इतना कि अपना आकार नहीं देख पाता !
मैं बहुत बड़ा जीव हूँ
जो ब्रह्माण्ड को चूरन में चाट जाता हूँ
जो ज्ञान को दो पन्नों में समेटकर
विज्ञान का तकिया लगाकर सो जाता हूँ !
जो ब्रह्माण्ड को चूरन में चाट जाता हूँ
जो ज्ञान को दो पन्नों में समेटकर
विज्ञान का तकिया लगाकर सो जाता हूँ !
मैं नींद में खोजता हूँ अपने ही सर पैर
बे सिर पैर होकर दिशायें तौलता हूँ
भाषा के दायें बायें की सापेक्षिकता में
संसार की निरपेक्षता को ख्वाब बोलता हूँ
अब मैं नकारता हूँ आईने में अपना ही अक्स
और किताबों में लिखी आदिमता को सच बोलता हूँ !
बे सिर पैर होकर दिशायें तौलता हूँ
भाषा के दायें बायें की सापेक्षिकता में
संसार की निरपेक्षता को ख्वाब बोलता हूँ
अब मैं नकारता हूँ आईने में अपना ही अक्स
और किताबों में लिखी आदिमता को सच बोलता हूँ !
अ से
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