Oct 18, 2014

अजीब मनोस्थिती / भाव विहीनता / खालीपन


अजीब मनोस्थिती / भाव विहीनता / खालीपन
इस से ऊबकर वो सोचता है
क्या उसे खुश रहना चाहिए या दुखी
हालांकि दोनों की ही कोई वजह नहीं उसके पास
पर क्या ये वजह ना होना दुख की वजह नहीं 
पर क्या ये दोनों ना होना अपने आप में सुख नहीं !
वो खुश नहीं सामान्यतः पर वो खुश है इससे
कोई भी बात उसे कोई खास दुख नहीं देती
चेहरे पर चिंता के कुछ भावों को छोडकर
खुद के लिए उसे कोई खास फिक्र नहीं
उसके दुख उसकी उन अपेक्षाओं के दुख हैं जो दूसरों को उससे हैं
उसके दुख उसकी उन अपेक्षाओं के दुख है जो दूसरों के लिए उसे खुद से हैं
उसके दुख अपेक्षाओं के दुख हैं
उसके दुख अक्षमताओं के दुख हैं
पर इससे वो कोई खास दुखी नहीं !
वो घड़ी दो घड़ी में आकाश की ओर देख लेता है
वो पुष्टि कर लेता है समय समय पर संसार की व्यर्थता की
वो जानता है व्यर्थता सुख दुखों की
पर वो दुखी है
वो दुखी है अपनी व्यर्थता से
वो देखता है संसार को पल पल उसे कत्ल करते
उसकी सामर्थ्यता उसके किसी काम की नहीं
उसकी व्यर्थता सीधे उसके अस्तित्व से जुड़ चुकी है
संभव सब कुछ है
पर सब संभव निरर्थक हो चुका है
जबकि वर्षों का अभ्यास क्षणिक आवेगों को टिकने नहीं देता
वो दुखी है
कि वो इतना दुखी नहीं कि हँस नहीं सकता
वो दुखी है
कि उसको अपने दुखों से कोई समस्या नहीं पर फिर भी वो हँस नहीं सकता
वो दुखी है
कि उसे हंसने के लिए बहाना चाहिए
वो दुखी है
कि उसे तलाशना है बहाना खुश रहने का !
पर इस सबसे भी वो दुखी नहीं है
ना ही उसे खुश रहने कि कोई ख़्वाहिश
वो बस गुज़र जाने देना चाहता है इस व्यर्थता में से खुद को !
बिना कोई अर्थ तलाश किए !
 अ से

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