शब्द
सबसे भारी वस्तु है
उसके भीतर प्रकाश नहीं पहुँचता
उसमें और सब कुछ तो हो सकता है
पर space नहीं हो सकता !
कितना बंधा हुआ है हर शब्द
जैसे कि शब्द ही संसार है !
जैसे कि शब्द ही संसार है !
अक्षर आपस में नहीं झगड़ते
उनकी खामोशी से रौशनी है
पर शब्द परिवार है
अर्थ की प्राप्ति जरूरी है वहां
उनकी खामोशी से रौशनी है
पर शब्द परिवार है
अर्थ की प्राप्ति जरूरी है वहां
अक्षर संन्यास है
शब्द लोक है विन्यास है
अक्षर यहाँ भी अनायास है
शब्द लोक है विन्यास है
अक्षर यहाँ भी अनायास है
भाषा भी कोई हार है ना
वर्ण माला
फिर भी हमेशा गले लगती है किसी के
कुछ हार ऐसी ही होती हैं
आखिर शब्द बंधन है !
वर्ण माला
फिर भी हमेशा गले लगती है किसी के
कुछ हार ऐसी ही होती हैं
आखिर शब्द बंधन है !
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