Dec 21, 2013

अभिवैयक्तिकी - 3

प्रतिक्रिया के लिए किये गए कार्य अस्तित्व को अशांत करते हैं !
कार्य स्वयं से किया जाये तो सुकून और आत्म तक पहुँच देता है !!

मानस की शांति के लिए अहिंसा एक अच्छा अभ्यास मार्ग है !
अपने अस्तित्व को भीड़ होने से बचाया जाना चाहिए !!

कार्य परिणाम के लिए न किये जाएँ तो वो स्वयं तक ले जाते हैं !
तात्क्षणिकता और तत्परता कर्म के कौशल हैं !!

नाम इश्वर का रटो या प्रेमिका का ह्रदय की शुद्धि का साधन है !
प्रेम अध्यात्म का सीधा सरल मार्ग है !!

कोई भी कार्य जो संभव है प्रकृति के नियम के विरुद्ध नहीं !
अगर कार्य नाम के लिए किया जाता है तो दिल को दोष न दिया जाए !!

कार्य संसार में कोई बदलाव नहीं करता ,
नज़र आता बदलाव भी संसार में कोई बदलाव नहीं करता !
कार्य स्वयं के प्रकृति से लय के लिए , योग के लिए किये जाने हैं ,
अन्य सभी प्रयोजन व्यर्थ चेष्टा हैं !!

< अ-से >

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