Dec 3, 2013

त्रिपंक्तिकाएं


(1)
एक मदद का गुहार था ... हुआ तमाशबीनों का मेला ...
वो भला कौन शरीफ है जो तमाशाखोर भीड़ चाहे !!

( या तो राजनीती होगी या गरीब मजबूरी ... )

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(2)

समझ नहीं आता बड़ा गुनाही कौन था ,
लड़ने वाला या लड़ाने वाला ... !!

(न चाहने वालों ने बेवजह भुगता ..... )


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(3)
पात्रता न तो कर्म से तय होती है ना ज्ञान से ...
वो तय होती है ह्रदय पात्र से ... !!


(आखिर दिल में कुछ भी रखा जा सकता है ... )

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