(1)
एक मदद का गुहार था ... हुआ तमाशबीनों का मेला ...
वो भला कौन शरीफ है जो तमाशाखोर भीड़ चाहे !!
( या तो राजनीती होगी या गरीब मजबूरी ... )
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(2)
समझ नहीं आता बड़ा गुनाही कौन था ,
लड़ने वाला या लड़ाने वाला ... !!
(न चाहने वालों ने बेवजह भुगता ..... )
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(3)
पात्रता न तो कर्म से तय होती है ना ज्ञान से ...
वो तय होती है ह्रदय पात्र से ... !!
(आखिर दिल में कुछ भी रखा जा सकता है ... )
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