संसार एक अमूर्त मूरत है ,
सब कुछ सही जगह , स्वस्थ ,
सब कुछ रुका हुआ सा , स्थिर ,
और यहाँ घूमते रहते हैं मन ,
अनिश्चय में भटकते ,
आखिर वो चाहते क्या हैं !!
< अ-से >
सब कुछ सही जगह , स्वस्थ ,
सब कुछ रुका हुआ सा , स्थिर ,
और यहाँ घूमते रहते हैं मन ,
अनिश्चय में भटकते ,
आखिर वो चाहते क्या हैं !!
< अ-से >
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