जो कुछ है .....
वही ज्ञान का विषय है ,
जो कुछ भी है जैसा भी है ,
शब्दों द्वारा उसी को संज्ञापित किया जाता है ,
उसी को परिभाषित किया जाता है ,
और प्रमाणों द्वारा उसी को सत्यापित किया जाता है ,
पर फिर प्रमाण का न उपलब्ध होना ,
संज्ञा और परिभाषाओं का असमर्थ होना ,
कतई ये नहीं जताता ,
की जो विषय इतनी समग्रता और इतना व्यापक रूप से जाना सुना जाता है ,
वो वस्तुतः है ही नहीं !!
किसी भी विषय में पढ़े जाने पर उस पर शंका रख कर नहीं पढ़ा जा सकता ,
ज्ञान जो है उसे ही जानने /समझने / गुनने की बात है ... !!
और जो कुछ है , वो वैसे भी है , चाहे उसे जाना जाये या नहीं ....
ज्ञानकर्म संन्यास योग .... कर्म के साथ ज्ञान की भी अनावश्यकता को बताता है !!हाँ ये बात जरूर है की " ज्ञान जरूरी नहीं !! "
< अ-से >
वही ज्ञान का विषय है ,
जो कुछ भी है जैसा भी है ,
शब्दों द्वारा उसी को संज्ञापित किया जाता है ,
उसी को परिभाषित किया जाता है ,
और प्रमाणों द्वारा उसी को सत्यापित किया जाता है ,
पर फिर प्रमाण का न उपलब्ध होना ,
संज्ञा और परिभाषाओं का असमर्थ होना ,
कतई ये नहीं जताता ,
की जो विषय इतनी समग्रता और इतना व्यापक रूप से जाना सुना जाता है ,
वो वस्तुतः है ही नहीं !!
किसी भी विषय में पढ़े जाने पर उस पर शंका रख कर नहीं पढ़ा जा सकता ,
ज्ञान जो है उसे ही जानने /समझने / गुनने की बात है ... !!
और जो कुछ है , वो वैसे भी है , चाहे उसे जाना जाये या नहीं ....
ज्ञानकर्म संन्यास योग .... कर्म के साथ ज्ञान की भी अनावश्यकता को बताता है !!हाँ ये बात जरूर है की " ज्ञान जरूरी नहीं !! "
< अ-से >
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