Dec 21, 2013

स्विच

स्वप्न से उब पलकों को हुआ इशारा ,
झपक कर उसने बदल दिया नज़ारा ,

याद आयी फिर से सारे दिन की धूप छाँव ,
मन के मुताबिक फिर चलने लगे पाँव !!

हाथ हिले दांत मजे पानी पर हुयी छ्पकियाँ ,
चेहरा धुला मौसम खिला दूर हो गयी झपकियाँ ,

लाइटर खटका उठा भभका शुरू हुआ नित्य कर्म ,
पत्ती शक्कर पानी दूध मिलकर हुए नर्म गर्म ,

फिर प्याले में थी ताम्बई रस भरी चाय ,
कुर्सी हिली कम्प्यूटर चला fb पर की hi ,

माउस के स्पीकरीय इशारे पर आकाश गाने लगा ,
संगीत के साथ फिर सारा समा गुनगुनाने लगा ,

अद्भुत स्विच हैं बुद्धि के , इशारे पर कलम चले ,
जागती सोती हंसती रोती जीवन की कहानी पले !!

< अ-से  >

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