Dec 21, 2013

और वो चला गया

और वो चला गया ,
सब यहीं रखकर , यहीं दुनिया में ...

वो जो शून्य से उपजा था ,
फिर से शून्या गया ,
ना , नहीं मिटा नहीं ,
अपने अनुभूत सभी वेद त्याग कर ,
सब कुछ भूल कर ,
वेदना से परे ,
वेदना जो की अपने संचय में देह और संसार रचती है ,
को त्याग शून्य चेतन हो गया ,
ठोस और अदृश्य हो गया !!

और वो छोड़ गया सब ,
सब कुछ ,
यहीं रखकर ,
यहीं , यहीं दुनिया में !!

अपने अतीत की सारी अनुभूतियाँ ,
सारी गतियाँ ,
और अपने शून्य गमन का मार्ग ,
चुनाव के चिन्ह ,
और विस्मरण का भाव !!

है ,
सब है ,
दोनों पहलू यहाँ है ,
व्यक्त संसार देह और अव्यक्त ह्रदय ,
बस मुझे एहसास नहीं होता ,
बहुत कोहरा छाया है यहाँ ,
झूठी सच्ची बातों का ,
गुणों-वेदनाओं का इंद्र-जाल बिछा है ,
मेरे पास भी है चुनाव ,
और भूलने की शक्ति भी ,
हिम्मत भी ,
ज्ञानशक्ति भी !!

नहीं है तो वो दृष्टि जो मेरी राह बने !!

< अ-से >

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