Dec 3, 2013

कौन जाने


सही लगे जिस भी लफ़्ज में तुमको ,
कह दो जो भी कहना हो आज ,
किसे खबर याद रहेगा कितना ,
अंदाज़ बरसती बातों का फिर ...

मौसम है माकूल तुम्हे तो ,
झूम लो दिल खोल के आज ,
किसे मालूम कल रहेगा कैसा
मिजाज तरसती रातों का फिर ...

निकल पड़ो क़दमों के रस्ते ,
दूर तलक जिस पर दिल कहे ,
किसे पता रखना था कब तक ,
हिसाब बदलती राहों का फिर ...

फिर किसी चाँद की ख्वाहिश कर ,
झिलमिलालो तुम भी तारों के साथ ,
किसे खयाल दिल को है कब तक ,
ऐतबार चमकती चाहों का फिर ...

अ से 

No comments: