उसका उद्देश्य है छिपा रहना
उद्देश्य उसके छिपे हुये नहीं है
बढ़ी खूबसूरती से काम करता है वो
पर उसके काम के ढंग अलग नहीं है
वो काम करता है बिना शांति भंग किए
बिना किसी को आंदोलित किए !
उद्देश्य उसके छिपे हुये नहीं है
बढ़ी खूबसूरती से काम करता है वो
पर उसके काम के ढंग अलग नहीं है
वो काम करता है बिना शांति भंग किए
बिना किसी को आंदोलित किए !
वो एक का पाँच हो जाता है
पृथ्वी बनकर नया जीवन उपजाता है
जल बनकर उसे सींचता है उसे चलाता है
अग्नि बनकर पचा जाता है अंधकार और बुराइयाँ
वायु बनकर उसे फिर से काम में लाता है
और आकाश बना देखता है स्वयं को नियंत्रित रखता है !
पृथ्वी बनकर नया जीवन उपजाता है
जल बनकर उसे सींचता है उसे चलाता है
अग्नि बनकर पचा जाता है अंधकार और बुराइयाँ
वायु बनकर उसे फिर से काम में लाता है
और आकाश बना देखता है स्वयं को नियंत्रित रखता है !
वो हर गत्य अगत्य का जोश है
उसके बिना हर पत्ता हर हवा बेहोश है
उसने अपने चार रूपों में गति की है
और पांचवें मे वो सुस्थिर होश है !
उसके बिना हर पत्ता हर हवा बेहोश है
उसने अपने चार रूपों में गति की है
और पांचवें मे वो सुस्थिर होश है !
उसके किए कार्यों के परिणाम नहीं होते
वो समयदृश्य के स्थिर बिन्दुओं के स्थिति रूपक हैं
उसके पलक झपकते ही पूरी प्रकृति विलुप्त हो जाती है
और पलकें उठाते ही फिर से उपज जाती है !
वो समयदृश्य के स्थिर बिन्दुओं के स्थिति रूपक हैं
उसके पलक झपकते ही पूरी प्रकृति विलुप्त हो जाती है
और पलकें उठाते ही फिर से उपज जाती है !
वो महामानव है
वो महादानव है
वो सृष्टा है वो दृष्टा है
वो पिछले क्षण की खोयी हुयी स्मृति है
अपनी गूंज से अलख जगा रही
वो सनातन काल से चली आ रही पवित्र श्रुति है !
वो महादानव है
वो सृष्टा है वो दृष्टा है
वो पिछले क्षण की खोयी हुयी स्मृति है
अपनी गूंज से अलख जगा रही
वो सनातन काल से चली आ रही पवित्र श्रुति है !
अ से