आकाश अपने पास कुछ नहीं रखता , उसको दिया सब बिखर जाता है , वहीँ आकाश में !!
सोन चिड़ियाऐं गाती हैं सिर्फ प्रेम गीत ,
वो नहीं सुनती कोई भी बात , किसी मतलब की भी !!
अपनी हद पर खड़ा रहता है दरबान और चले जाना चाहता है ,
उसे नहीं वास्ता किसी रंगीन महफ़िल से !!
खिड़कियाँ नहीं रोकती मिलने से, भीतर और बाहर को ,
बस एक जरूरी दृश्य दूरी बनाये रखती हैं !!
पता है संगदिल तुझे ...
दिल दुनिया की सबसे खूबसूरत खिड़की है ,
सबसे सचेत दरबान ,
सबसे फैला आकाश ,
और एक सच्ची सोन चिड़िया !!
दिल जानता है...
आजादी जरूरी है जीने को ,
पर वो नहीं थोपता कोई भी निर्णय तुम पर ,
सिर्फ दिखाता है दृश्य ,
सुनाता है गीत ,
सबक देता है इंतज़ार का ,
कुछ नहीं कहता वो तुम्हे ,
सिर्फ एहसास देता रहता है ,
उसके होने का ....
आखिर तुम्हे भी तो जीना है ना !!
< अ-से >
2 comments:
प्रभावशाली रचना
शुक्रिया राज जी :)
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