Nov 12, 2013

प्यासे पंछी - 1

वक़्त ऐसा मौसम है ... जिसका असर बना रहता है , हमेशा ..... ॥

कुछ चीजें वक़्त के साथ पुरानी नहीं होती ,
कुछ बहुत धीरे धीरे बुढ़ाती हैं ..

लक्ष्मी चिर नवीना हैं ...नित्य नूतन .... उनका श्रृंगार बदल जाता है ... पर शोभा कम नहीं होती ...
माया ... धन ...और ... मादकता ...
बड़ी नाच नचाती हैं ..

हर बार चाहत होती है भर जाने की ..
हर बार प्यास बढ़ जाती है ...

तलब जीने की ... कितने कड़वे घूंठ ... कितना सच्चा प्यार ...

..... with love for every one ... without love to someone ..

.................( प्यासे पंछी -- 1 )...................... < अ-से > ..........

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