Nov 24, 2013

just fun

चला जाऊँगा घर अपने
अभी पता पूछने दो ..... आदेश शुक्ल

हमारे घर का पता पूछने से क्या हासिल, उदासियों की कोई शहरियत नहीं होती ... ... वसीम बरेलवी (वाया -- निशांत मिश्रा )

खोये हैं , घर का पता मांगते हैं उनसे ,
जो नहीं जानते लेकिन की घर बला क्या चीज है ... अनुज
पूछ लें गूगल से बेशक हर गली हर रास्ता,
इतना हो बस आप अपना ही पता मत मांगिये !! ... दर्पण साह

सुना था शब्द से अर्थ का निकलना लेकिन ,
बड़े बेमायनी होकर तेरे कूचे से हम निकले .... अनुज
वो रहे बे-मयाने जो बनते थे बड़े सयाने ,
अब इक अदद रहने को , जगह ढूंढते हैं .... आदेश शुक्ल

रास्ता-ए-घर के बिना राहों के छोर बंद हैं .
अब जाइये द्वार द्वार क्या , पुकारिए ओये ओये क्यों ... अनुज

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