आम के पेड़ ने ज्यादा पानी पिया था या खजूर के ने ...............
..........................................ये किसी महत्व का नहीं है ,
मुझे हमेशा ही आम ज्यादा मीठे लगे ,
बरगद कितनी जड़ों का जाल बिछाए दुनिया को चख रहा है .... कितना फैल गया है ,
कुकुरमुत्ते पूरी दुनिया में यहाँ वहाँ उग आए हैं ... किसने क्या जाना कौन जाने ...
मुझे तुमसे कोई जलन नहीं थी ..... बस मैं चाहता था तुम भी जानो ,
तुम दौड़ रही थी ... सब अचीव करने को ...
पर कुछ हासिल करने से क्या हासिल होता है ... आखिर सब यहीं सजा देना होता है ... यही दुनिया में ...
तुम्हारे तमगे तुम्हें मुक्त आकाश नहीं देते ... न ही तुम्हारी MNC की जॉब तुम्हें जीवन के मायने देती है ....
कोई भी अचीवमेंट्स क्या मायने रखता है ... दुनिया से कितना ले पाये की ही रेस होती ... तो सबसे बड़ा लुटेरा / गोदामी सेठ सबसे ज्यादा सुखी होता ...
मुझे तुम्हारी कोई सफलता विफलता समझ नहीं आयी , तो उनसे फर्क भी भला क्या पड़ता ... मुझे फिक्र हुयी तो बस तुम्हारी ...
मैं बस इतना बताना चाहता हूँ ... दिल की प्यास कम की जा सके तो अच्छा है ....
तुम थम जाती ... तो मुझे भी सुकून मिलता .... जुड़ाव भी अजीब से होते हैं ...
वरना दौड़ तो रहे ही हैं .... जाने क्या हासिल होगा ....
.....................................< अ-से >...............................
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मुझे हमेशा ही आम ज्यादा मीठे लगे ,
बरगद कितनी जड़ों का जाल बिछाए दुनिया को चख रहा है .... कितना फैल गया है ,
कुकुरमुत्ते पूरी दुनिया में यहाँ वहाँ उग आए हैं ... किसने क्या जाना कौन जाने ...
मुझे तुमसे कोई जलन नहीं थी ..... बस मैं चाहता था तुम भी जानो ,
तुम दौड़ रही थी ... सब अचीव करने को ...
पर कुछ हासिल करने से क्या हासिल होता है ... आखिर सब यहीं सजा देना होता है ... यही दुनिया में ...
तुम्हारे तमगे तुम्हें मुक्त आकाश नहीं देते ... न ही तुम्हारी MNC की जॉब तुम्हें जीवन के मायने देती है ....
कोई भी अचीवमेंट्स क्या मायने रखता है ... दुनिया से कितना ले पाये की ही रेस होती ... तो सबसे बड़ा लुटेरा / गोदामी सेठ सबसे ज्यादा सुखी होता ...
मुझे तुम्हारी कोई सफलता विफलता समझ नहीं आयी , तो उनसे फर्क भी भला क्या पड़ता ... मुझे फिक्र हुयी तो बस तुम्हारी ...
मैं बस इतना बताना चाहता हूँ ... दिल की प्यास कम की जा सके तो अच्छा है ....
तुम थम जाती ... तो मुझे भी सुकून मिलता .... जुड़ाव भी अजीब से होते हैं ...
वरना दौड़ तो रहे ही हैं .... जाने क्या हासिल होगा ....
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