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Painting - Neogene Irom Sharmila / Google |
एक लम्बी कैद में " हया " ने कई जन्म और मृत्यु देख लिए ,
उस-ने अपने दिल पर हाथ रखा और दिल भभक उठा ....
तय समय पर शैतान ने चाबुक उठाया ,
परपीड़ा का नशाखोर , काममद से हिनहिना उठा ,
क्रंदन गीत सुनने का मन लिए वो पहुंचा जहाँ हया कैद थी ,
उसके मनोरंजन का समय हो चुका था ....
वो बुरा नहीं था ... उसने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा ,
वो बस अपना आनंद किसी कीमत पर नहीं खो सकता था ,
उसने अंतस के अनेकों युद्धों में सत्य धर्म प्रेम और शान्ति को पस्त किया था ,
हाँ सीधी लड़ाई से वो डरता रहा था इसीलिए ये अभी भी परास्त नहीं हुए थे ,
और फिर फिर उसको ललकारते थे ... ह्रदय के बेचारे अबला से अंग ....
खैर वो जानता था कोई ईश्वर नहीं आएगा उसे चुनौती देने ,
ये भी उसके खेल कूद जैसे ही था ... शतरंज उसको ख़ासा भाता था ....
कैद खाने के दरवाजों को एक बेसब्री से खींचकर वो अन्दर आया ,
बदहवास सा होकर कोड़े बरसाने लगा ,
पर आज कुछ कम था उसे कुछ अजीब लगा ,
उसने पूरा जोर लगाकर और चाबुक मारे .....
मुस्कुराती हया का चेहरा तप्त रक्तिम था ,
वो हंसने लगी ,
उसकी तीखी हंसी शैतान को अन्दर तक भेद गयी ,
उसने पीठ के पीछे से हाथ खींचकर एक और चाबुक चलाया ,
तीखा क्रंदन उठा पर उसमें रूदन नहीं था एक अट्टाहास था ,
शैतान बुरी तरह विचलित हो उठा उसने चाबुक उठाया ,
और अपनी तमतमाई बेबसी से क्रोध बरसाने लगा ,
हया को जैसे कोई असर नहीं था उसकी देह , मृत कपड़ों सी निर्जीव थी ,
वो आँखों में अंगार सी चमक लिए अपनी रक्त आवृत देह का ध्यान न कर बस हंस रही थी ,
उसने ठान लिया था किसी भी कीमत पर वो शैतान को जीतने नहीं देगी ...
उस रात शैतान पहली दफा मात खाया सा अनमना बैचैन और फडफडाता जाकर लेट गया ,
आँखों में कहीं नींद नहीं थी ... वो कंठ तक सोच में डूबा था ...
वो हंस कैसे सकती है ... किसी की चीखों में अट्टाहास कैसे आ सकता है ...
दर्द पाकर भी कोई जीत कैसे सकता है ...
सुबह होते ही वो फिर वहां गया जहाँ जंजीरों में कैद खून की लकीरों से सजी एक देह बेसुध पड़ी थी ,
जमीन पर रक्त से उकेरा हुआ एक सन्देश था ... उसके नाम ....
तुम कभी नहीं हरा पाए मुझको ,
तुम्हारी सारी मेहनत व्यर्थ गयी ,
जानते हो तुम्हे क्यों कभी ख़ुशी नहीं मिलती ....
क्योंकि तुम्हारी माँ ने एक मृत शिशु को जन्म दिया था जो एक मृत सहवास का परिणाम था ,
तुम्हारी माँ ने तुममे ह्रदय का बीज कभी डाला ही नहीं ,
तुम प्रकृति के एक मृत नियम का परिणाम भर थे जिसके अनुसार हर कार्य का फल पैदा होना ही था ,
चाहे वो कार्य किसी विध्युत चालित यंत्र ने ही किया हो ...
तुम्हारा पिता कोई मानुष नहीं था उस रात जब तुम्हे बीजा गया वो प्रकृति के मृत हिस्से का एक यंत्र भर था ,
तुम एक यंत्र की पैदाइश हो ....
और जब तुम जीवित ही नहीं तो तुम्हारा खेलना कोई भी मायने नहीं रखता इस संसार के ह्रदय में ,
जब तुम्हारी लाश को तुम्हारे अनुत्पन्न हृदय के साथ पृथ्वी से बाहर फेंका जा रहा होगा ,
तब संसार में उत्सव का माहौल होगा ....
और तुम एक सामूहिक गिद्ध भोज के साधन मात्र होंगे ...
हाँ पर उस वक़्त तुम हंस पाओगे अपनी मृत देह से क्योंकि पहली दफा कहीं शांति होगी ....
और पहली बार तुम्हारे कारण से संसार में खुशियाँ होंगी .... !!
< अ-से >
painting : Neogene Irom Sharmila // google "
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