भरने आया था डूब कर भी खाली निकला,
होश में आया तो आलम ये खयाली निकला।।
मस्त होने को पीता रहा हर घूँट जिसे,
मेरी किस्मत कि वो प्याला भी जाली निकला।।
पढते आये थे जो भी हम किताबो में,
सोच के देखा हर जवाब सवाली निकला।।
तब तक ना समझा है तू तेरी भूल बन्दे ,
ना लगे की हर तमाचा कोई ताली निकला।।
< अ-से >
होश में आया तो आलम ये खयाली निकला।।
मस्त होने को पीता रहा हर घूँट जिसे,
मेरी किस्मत कि वो प्याला भी जाली निकला।।
पढते आये थे जो भी हम किताबो में,
सोच के देखा हर जवाब सवाली निकला।।
तब तक ना समझा है तू तेरी भूल बन्दे ,
ना लगे की हर तमाचा कोई ताली निकला।।
< अ-से >
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