प्रेम कहानियाँ ,
तुम्हे पसंद हैं ना ,
मुझे भी ,
आखिर ये सब ,
अच्छा लगता है ,
तो बस कहानियों में ही ..
तोता मैना की कहानी ,
किसने नहीं सुनी फिर ,
अपना पक्ष , दुसरे को विपक्ष रखते ,
आखिर ,
वो भी फंस ही जाते हैं ,
इन प्रेम कहानियों के पंजों में ...
मुझे पसंद हैं प्रेम कहानियाँ ,
बचपन से ,
हो जाना चाहता हूँ ,
एक किस्सा ,
एक कहानी का पात्र ...
पर एक ऐसी कहानी ,
अंत में जिसमें ,
सब ठीक हो जाये ,
जिग-सॉ पज़ल सरीखे ,
सब टुकड़े ठीक बैठ जाएँ ...
पर सुलझ जाना ,
सारे ही सिरे ,
जुड़ जाना ,
सारे टुकड़े ,
शेष ना रहना ,
कोई समस्या ,
शायद ये संभव है ,
किसी फिल्म में ही ,
2 घंटे का कल्प मात्र ...
पर वास्तविक जीवन ,
उसे चाहिए सांतत्य ,
उसे चाहिए विस्तार ,
रोज , प्रति पल , दृश्यों के बीच कोई झपक ना हो ,
एक समस्या का अंतिम सिरा मिले ,
तो वही दूसरी का शुरूआती हो ...
मुझे पसंद हैं ,
प्रेम कहानियाँ ,
सस्सी-पुन्नू ,
सोणी-महिवाल ,
हीर-रांझा ,
शीरीं-फ़रियाद ,
लैला-मजनूं ,
रोमिओ-जूलियट ,
इन सब सा ,
बन जाना चाहता हूँ ,
मैं भी कोई ,
द्वन्द समास ,
आखिर युद्ध भी हो तो ,
प्रेम सरीखा ,
दोनों पक्ष समान हो ,
और हार जीत ,
उसका फैसला न हो सके कभी !!
~ अ-से