कहाँ हिलता पत्ता कोई , ये अगर ना माने तो ,
वो कोई और बात है फिर मना लिया जाता है ,
कभी मगरूर , कभी मजबूर , कभी अनमना सा ही ,
दिल ही तो है एक खोटा सिक्का जो चला लिया जाता है !!
अ-से
वो कोई और बात है फिर मना लिया जाता है ,
कभी मगरूर , कभी मजबूर , कभी अनमना सा ही ,
दिल ही तो है एक खोटा सिक्का जो चला लिया जाता है !!
अ-से
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