Sep 21, 2014

सार-असार


वेदनाओं से गढ़ा गया जिसे
आनंद लील जाता है सारा संसार
संकल्पों के ताने बाने से बना
क्षण भर में भंग हो जाता असार

आनंद में है प्रलय इसका 
नियति सब भूल जाना है
डूब जाना है इस विप्लव में
हर एक बाँध टूट जाना है

दूर दूर तक ख्वाब होंगे
डूब के कोई पार ना होगा
खोजने वाला खोजता रहेगा
कहीं कोई सार ना होगा

आशाओं का जंगल मंगल है
मैदान ये हरियाता हरिया है
किसी दिशा कोई दर दीवार नहीं
हर ओर बस दरिया ही दरिया है

अंत को शुरू में देख लेता वो
दूर की निगाह अच्छी है
अंत को अंत तक झेल लेता जो
एक वही जिंदगी सच्ची है

आवाज़ के जादुई रेशों से
बुना हुआ है ये सारा संसार
पर बातें आखिर होती हैं बातें
यही है इसका सार-असार !
अ से

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