
मेरे एकांत का रंग था
नीला
पर कोई रंग नहीं था
नीला
रंग भी था पर , अनुपस्थिति का ,पारदर्शिता का
नीला
रंग था , अँधेरे में से छन कर आती रौशनी का
नीला
बहुत विरल सा कुछ था , जो कहीं नहीं था ,
नीला
प्रेम था सघन , बरसता हुआ
नीला
बहता था कल कल
नीला
विस्तार था पटल का
नीला
मन की तृप्ति में था
नीला
भाव था मेरी कल्पनाओं का
नीला
लाल में था , हरे में था , सभी कुछ में था ,
नीला
पर खामोश था हरदम !
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अ से
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