A PATHLESS TRAVELER
Sep 16, 2014
बस यूँ ही कटता सफर
खुली आँखे
कुछ ना देखते दो लोग
फर्श पर उगी हुयी शाम
मन मेँ ठहरी हुयी एक नदी
ट्रेन सा गुजरता हुआ वक्त
और फिर एक आह
किसी का उठना
और भीतर चले जाना
बस यूँ ही कटता सफर ।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment