छोटी छोटी मुलाकातों में
हाथ कोहनी से मुड़कर होठों की तरफ आता और मिलकर चला जाता
तर्जनी और मध्यमा के बीच संभाला हुआ रहता विचारों का एक टुकड़ा
वातावरण में बेतरह से रमते रहते सोच के गोल घुमावदार छल्ले
और विचारों के ताप से जमा होता रहता शब्दों का काला धुँवा
हाथ कोहनी से मुड़कर होठों की तरफ आता और मिलकर चला जाता
तर्जनी और मध्यमा के बीच संभाला हुआ रहता विचारों का एक टुकड़ा
वातावरण में बेतरह से रमते रहते सोच के गोल घुमावदार छल्ले
और विचारों के ताप से जमा होता रहता शब्दों का काला धुँवा
टुकड़ा टुकड़ा विचारों के बीच
कुछ कवितायें कागजों पर उकर आती
शब्द्नुमा काली चीटियाँ पंक्तिबद्ध चलती रहती
मन के दर पर एक शून्य से बिल में लौट जाती
अपने वजन से कहीं ज्यादा भारी अर्थों को ढोकर
कुछ कवितायें कागजों पर उकर आती
शब्द्नुमा काली चीटियाँ पंक्तिबद्ध चलती रहती
मन के दर पर एक शून्य से बिल में लौट जाती
अपने वजन से कहीं ज्यादा भारी अर्थों को ढोकर
जिंदगी बीतती रहती कश-कश
यादों के उड़ते धुंवें के बीच आँखें धुंधलाई रहती
स्मृतियाँ स-स्वर चिन्हों की शक्ल लेती और कहीं खो जाती
समय छंदबद्ध हो बीच बीच में गुनगुनाता रहता कुछ अधूरे नगमें
और असफलताएँ दर्ज होती रहती कड़वाहट की कसौटी पर
यादों के उड़ते धुंवें के बीच आँखें धुंधलाई रहती
स्मृतियाँ स-स्वर चिन्हों की शक्ल लेती और कहीं खो जाती
समय छंदबद्ध हो बीच बीच में गुनगुनाता रहता कुछ अधूरे नगमें
और असफलताएँ दर्ज होती रहती कड़वाहट की कसौटी पर
अंतिम दौर की आँच
उँगलियों पर महसूस होने लगती काल की छुअन
इन्द्रधनुष सा तैरने लगता साथ गुजरा हुआ समय
आँखों के सामने होती अगले दौर की रवायत
कवायद शुरू होती अंत को जल्दी पा लेने की
आखिर में बचा रह जाता जर्द सा एक ठूंठ
उन्ही तर्जनी और मध्यमा के बीच
आखिर में पीछे छोड़ दिया जाता एक किस्सा जिंदगी का !
उँगलियों पर महसूस होने लगती काल की छुअन
इन्द्रधनुष सा तैरने लगता साथ गुजरा हुआ समय
आँखों के सामने होती अगले दौर की रवायत
कवायद शुरू होती अंत को जल्दी पा लेने की
आखिर में बचा रह जाता जर्द सा एक ठूंठ
उन्ही तर्जनी और मध्यमा के बीच
आखिर में पीछे छोड़ दिया जाता एक किस्सा जिंदगी का !
अ से
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