Sep 16, 2014

स्त्री अस्तित्व


उसको ओढ़ा दो सारी अवस्थायें
अच्छी भावनाओं के नाम पर
समाज और सुधरेपन के आयाम पर
और क्यों नहीं प्रेम के
अपनी शुद्धतम भावनाओं के 
और भर लो मानसिक खोखलापन
अच्छेपन की खुशफहमियों से !
पर मत ओढ़ने देना तरुणाई
युवा मत रहने देना उसे
कर लेना कैद
उसकी सबसे गहरी साँसों को
छुपा लो उसका यौवन
कहीं वो बाहर ना हो जाए
तुम्हारे नियंत्रण से !
बहने दो
डूबने दो उसे
सारी भावनाओं में
पूरी तरह
पर स्वातंत्र्य
नहीं स्वतंत्रता नहीं
इसका अभाव कर दो
करार कर दो
स्वच्छंदता गैर कानूनी !
दो उसे किरदार सभी
निभाने को
और मांग करो
सबसे अच्छे अभिनय की
पूरी कुशलता
देखना कहीं कोई कमी ना रह जाए
किसी भी रिश्ते में
पर कभी मत स्वीकारना उसे
सिर्फ एक स्त्री
बनाना माँ बहन पत्नी बेटी
तय करना हदें
और फिर प्रेमिका भी
और उसकी भी हदें तय करना
दबा देना उसे गिन गिनकर
एक के ऊपर एक
कई समतल तहों के नीचे
जिनमें ना रहे कोई गुंजाइश
हवा आने की कहीं से भी !
और इस तरह
तुम बचा लेना उसे
बुरी नज़रों से
दुर्भावनाओं से
दुर्घटनाओं से
संभावनाओं से
की कहीं वो हो ना जाए युवा
कहीं बह ना निकले निरपेक्षता के संग
की कहीं वो बना ना ले
स्वतंत्र अस्तित्व अपना !

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