वापसी की चुप
यात्रा अपने अंत की ओर
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धूल से आता खिलकर
धूप सा फूल
धूल फिर से हो जाता
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धूप सा फूल
धूल फिर से हो जाता
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प्रकाश में आता
खिलना फूल हो जाता
फिर ढलता ख़ामोशी में
फूल एक स्मृति सा
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खिलना फूल हो जाता
फिर ढलता ख़ामोशी में
फूल एक स्मृति सा
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वे आते
और बधाई मुस्कुराते
बोलते एक भी शब्द नहीं
बहुत आखिरी तक
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और बधाई मुस्कुराते
बोलते एक भी शब्द नहीं
बहुत आखिरी तक
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अ से
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