Sep 21, 2014

धूप से फूल .. सांझ सी ख़ामोशी
















वापसी की चुप
यात्रा अपने अंत की ओर
------------------------------
धूल से आता खिलकर 
धूप सा फूल
धूल फिर से हो जाता
-------------------------------
प्रकाश में आता
खिलना फूल हो जाता
फिर ढलता ख़ामोशी में
फूल एक स्मृति सा
------------------------------
वे आते
और बधाई मुस्कुराते
बोलते एक भी शब्द नहीं
बहुत आखिरी तक
---------------------------------
अ से

No comments: