एक रंगीन सी दुनिया थी
हर चीज का अपना रंग
अपनी ख़ुशी अपना ढंग
तब ये दुनिया एक मैदान थी
जिसमें दिखाना होती थी सिर्फ अपना कौशल
तब जीत हार से कहीं ज्यादा मायने रखता था खेलना
दमख़म और साहस
जिंदगी का मायना सिर्फ इतना था
कि जिसे खेलना है वो खेले जिसे नहीं खेलना वो बाहर बैठे
चोट खरोंच गिरना और दर्द सब शारीरिक थे ,
और इस सब को सह जाना भीतर तक ख़ुशी देता था
तब एक चित्रकार सबसे चटख धुनें गाता था
तब एक गायक सरगमी लहरों पर बेख़ौफ़ गोते लगाता था
तब एक शिल्पी आसानी से समझा लेता था पत्थरों को अपने दिल की बातें
और तब डर नहीं लगता था किसी भी शब्दकार से
और तब एक शब्दकारा वहां आयी
उसकी वेश भूषा से वो कोई चितेरी नज़र आती थी
जो सक्षम थी हाथों से चाक पर आकार गढ़ने में
कान दिमाग से बैर बैठा दिल को रास्ता देने लगे
उसकी दो साधारण सी पंक्तियाँ भी पहली बार पढ़ी कविता सरीखी थी
और उसके शब्दों के स्पर्श भरने लगे नए से रंग हर चीज में ,
जिंदगी रसमय होने लगी थी खुशियाँ महकने लगी थी
उसने चीजों के प्राकृतिक रंग बदल दिये
और वो दुनिया बिलकुल ही नयी सी लगने लगी
प्यार भरी सरगम
विश्वास भरा स्पर्श
खूबसूरत रंग रूप
मिठास और खुशबू
अस्तित्व का कोई कोना उससे अछूता नहीं था
पर एक सफ़र के साथी एक सफ़र तक ही साथ होते हैं
हम सब छोटे छोटे सफ़र के साथी
सबके स्टेशन अलग हैं सबके वक़्त अलग
वो दिन भी आया जिसका इन्तेजार नहीं था
जब उस कलाकारा ने समेट ली अपनी शब्द कूंचियाँ
और कर लिए रास्ते अलग
ये पता था की ये सब हमेशा नहीं रहना
और मुझे भी लौट ही जाना है ,
पर ये नहीं पता था की उसके साथ
चले जायेंगे उसके दिए वो सभी रंग
रस और रास
यहाँ तक की पहले वाले रंग भी नहीं थे अब
अब सब कुछ खाली और रंगहीन था
सब कुछ खामोश
अब कोई कुछ नहीं बोलता था !!
अ से