Apr 2, 2014

योगी


पहाड़ों में
सघन वृक्षों के बीच एक गुफा 

पत्थर का द्वार और रिसता हुआ पानी 
दीवारों पर चिपकी हुयी लताएं और पीपल की शाखाएं 
सर्द हवा और अद्भुत शांति 
पहाड़ी रंग की जटाएं और कमलासन लिए 
द्वार पर बैठा एक योगी 
रिसते टपकते पानी और पोधों के बीच 
धूप छाँव और अँधेरे में भी 
एक पत्थर पर ध्यानमग्न 

वही इंसानी देह वही संसार वही जीवन
वही हवा पानी और आवाजें
पर अप्रतिम शांती
अनहद आनंद
संतुष्टि
कुछ ना करते हुए भी
अपना कार्य करते हुए

मन मजबूत
अविचल
संयत
और
शांत

ठोस आनंद से भरा हुआ
वो स्थिर योगी
वहाँ है या वहाँ नहीं
सिर्फ वहाँ है या हर कहीं !!

अ से 

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