पहाड़ों में
सघन वृक्षों के बीच एक गुफा
पत्थर का द्वार और रिसता हुआ पानी
दीवारों पर चिपकी हुयी लताएं और पीपल की शाखाएं
सर्द हवा और अद्भुत शांति
पहाड़ी रंग की जटाएं और कमलासन लिए
द्वार पर बैठा एक योगी
रिसते टपकते पानी और पोधों के बीच
धूप छाँव और अँधेरे में भी
एक पत्थर पर ध्यानमग्न
वही इंसानी देह वही संसार वही जीवन
वही हवा पानी और आवाजें
पर अप्रतिम शांती
अनहद आनंद
संतुष्टि
कुछ ना करते हुए भी
अपना कार्य करते हुए
मन मजबूत
अविचल
संयत
और
शांत
ठोस आनंद से भरा हुआ
वो स्थिर योगी
वहाँ है या वहाँ नहीं
सिर्फ वहाँ है या हर कहीं !!
अ से
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