
क ने कहा खामोशी
ख ने कान लगा दिए
और वो शोर हो गयी !
क ने कहा प्रेम
ख ने तौबा समझा
और वो चोरी हो गयी !
क ने कहा आस ना रखना
ख अवसाद में आ गया
आशावाद लिखने लगा !
क ने कहा संन्यास
ख आलसी हो गया
संन्यास का मायना बेवकूफी !
क अब कहता ही नहीं कुछ
ख अब भी अर्थ गढ़ता है
कभी डर कभी अकड़ और कभी अक्षमता !
ख का क्या है वो शून्य की भी व्याख्या कर सकता है
और अच्छाई को भी कमजोरी समझ सकता है !!
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