Apr 10, 2014

आओ ! भूल जाते हैं सब कुछ


आओ !

भूल जाते हैं सब कुछ 
और हँसते हैं साथ बैठकर 
अपने साथ गुजरी हुयी दुर्घटनाओं पर 
की अगर आज तुम खुश हो किसी वजह से या बेवजह 
तो तुम देखना चाहोगे कल उसे एक ताजा तरीन सुबह में 

आओ !
बुनते हैं नया कुछ 
और बनाते हैं एक खूबसूरत कहानी 
अतीत की अनुभूतियों के खजाने में से चुन चुन कर
की अगर आज तुम्हारे पास हैं मसाले सभी खटास और मिठास के
तो तुम भर देना चाहोगे कल उसका अपने हाथों के बेहतरीन स्वाद से

आओ !
चलते हैं ना किसी सैर पर
और चलते हैं दूर तक मैदानों में हाथ पकड़े
खुले हुए आसमानों में हवाओं के मेहमान बनकर
की अगर आज वक़्त है तुम्हारे पास जो जाने कल होगा या नहीं
तो तुम बिता देना चाहोगे उसे उसके साथ जो रखता है मायने जिन्दगी से भी ज्यादा

आओ !
क्या सोचना है
कौनसा वक़्त होता है ऐसा
जब डर नहीं होते ना होती हो उलझने
और तुम बैठे रहो इंतज़ार में जिसके !!

 अ से 

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