एक घर
अन्दर एक घर
उस के अन्दर एक घर
और वो स्थायी निवासी वहाँ की
एक घर स्वाद और तृप्ति का
एक घर भाव और अभिव्यक्ति का
एक घर अनंत और स्थिरता का
वो निवासी उस घर की
घर के अन्दर घर की
हमेशा वहाँ उपस्थित
स्वागत के लिए तैयार
करती है इन्तेजार
बाहर निकलती है जब
तो किसी का हाथ पकडे
और चलती है साथ
चाँद तक
चाँद के पार तक
समय के पार तक जाना चाहती है
वो जो चाहती है तुम्हे
भर देना
अपने स्वाद से
अपनी सेवा से
अपने प्रेम से
वो जो चाहती है एक घर
घर के अन्दर एक घर
जहाँ वो जानती है तुम रहना चाहते हो
वो देखना चाहती है तुम्हे
वहाँ भीतर तक
वो जो नहीं रह सकती दूर
ज्यादा देर तक घर से
घर के अन्दर घर से
वो जो बांधे रखना नहीं चाहती तुम्हे
पर एक तनी हुयी
रेशमी रोशनी की डोर से
नापती रहती है तुम्हारी दूरी
और जैसे ही वो डोर
खिंचाव देना बंद कर देती है
उँगलियों पर
हलकी पड़ जाती है
वो समझ जाती है
की अब जो रहता था यहाँ
वो अब मेहमान हो चुका है
वो आयेगा भी लौट कर
तो फिर से चले जाने के लिए !!
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