Apr 3, 2014

मैं चाहता हूँ कहना ...

छुई मुई के पौधे सी कोई संवेदना हो तुम
कितनी पहचान है तुम्हे हर तरह के स्पर्श की
तुम्हारे सर को चूमना तुम्हे भरोसा देना है ,
आश्वस्त करना और सिमटा लेना किसी गर्म ऊनी शाल में 
वहीँ सर को चूमना विदा लेते वक़्त तुम्हे सांत्वना देना है
ह्रदय को शांत कर बैचैन मन को हल्का कर देना
तुम्हारे गाल पर चूमना तुम्हे चहका देना है गुलाब सी ख़ुशी से
जो नज़र आता है तुम्हारे खिल उठे गालों पर
और तुम्हारे होठों को चूमना उन्हें सिल देना है प्रेम से
बातों की दुनिया से दूर सीधे दिल को महका देना
तुम्हारे हाथों पर स्पर्श हथेलियों पर उंगली फिराना
अनकहे ही बाँध देना तुम्हें नाज़ुक एहसासों की डोर से
मैं चाहता हूँ तुम शांत हो जाओ अपनी सारी चिंता थकान मुझ पर छोड़कर
और पास बैठकर खो जाओ भूल कर ये सब कुछ हल्के रेशमी ख़्वाबों में
मैं चाहता हूँ तुम भीगने लगो भावनाओं के किसी झरने में
दुनियावी शोर से दूर किन्ही जादुई धुनों में
और मैं निहारता रहूँ तुम्हारी खामोशी
तुम्हारी निश्चिंतता से भर जाऊं
मैं चाहता हूँ कहना की तुम मुक्त महसूस करो
लोहे सी तप्त दुनिया में सोने सी धूपिल
कानों पर लटकी हुयी बुंदकियों सी टिमटिमाती
तुम्हारी खामोशी में इतना खामोश हो सकूँ
कि छलांग लगा सकूँ आकाश के दरिया में
बहते हुए तारों के बीच और देखता रहूँ तुम्हें
पृथ्वी के छोर पर बैठे हुए आकाश में पाँव लटकाए
मैं चाहता हूँ तुम्हारी सुखद उपस्थिति तुम्हारा होना वहाँ
पर मुझसे भी बेखबर खामोश रात में डूबी हुयी
और तब किसी ख्वाब से उभरी हुयी
तुम्हारी मुस्कराहट को देखकर मुस्कुरा सकूँ !!
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