Apr 10, 2014

हाँ वो कार चमकती नहीं



हाँ तुम कह सकते हो वो कार चमकती नहीं 

उसके शीशे धुंधले हैं और उनके पार का शख्स नज़र नहीं आता ठीक से 
और इस कार का चालक एक गरीब इंसान है 

वो गरीब इंसान सच में बहुत गरीब इंसान है 
जो कभी नहीं झुठला सका ये सच 
की रास्ते पर उतरने से पहले ही 
वो गुजर चुकी थी एक दुर्घटना से 
और उसके खरोंच अब तक हैं उसकी बॉडी पर 
उसके इंजन में बैठ चुकी हैं कुछ खराबियाँ जो पकड़ में नहीं आती 
और उसे चलाने वाले के मन में एक लम्बे वक़्त तक बैठी रही दहशत
वो दहशत जिसने उसे बना दिया एक संकोची चालक
और हर बार जब वो गुजरता है किसी और वाहन के नजदीक से
जो उसका सच हावी हो जाता है उस पर

वो सच जो अब सच नहीं है
जबकि अतीत को मर जाना था जो अब वहां नहीं है
पर उसकी धडकनों ने समय समय पर जिलाया है उसे
और वो अतीत कभी अतीत हो ही नहीं पाया
वो आंत्र कृमि आँतों पर चिपका हुआ खाता रहा धडकनें
और अब जब कभी वो चाहता है चमकाना अपनी कार
तो नहीं चमका पाता

वो गरीब चालक जो अपने अतीत के मोह में फंसाहुआ
अपने वर्तमान से सौतेला व्यवहार करता रहा
और अब उसकी संताने बहुत गरीब है
जिनकी आंतड़ियाँ जन्मजात सूखी हुयी हैं
और अब उसके लिए बहुत मुश्किल है उस कार के शीशे चमकाना !!

अ-से

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