ख़ामोशी में ताकती निगाहें
शायद तलाश रही थी कोई जुगनू
बजाय इसके
मिला एक विस्मय
सुखद आश्चर्य
चहकती हुयी दो आँखे
एक पल ख्वाब सा खामोश
एक पल हकीक़त खिलखिलाती
और इतना ही नहीं
आँखों के नीचे था
एक और सुखद आश्चर्य
एक जोड़ी मुस्कान
और अपना सा लगता कोई चेहरा
अनुमान था जबकी मौसम साफ़ रहेगा
और सामने का मैदान खाली
पर अब वहाँ कुछ मोर नाच रहे हैं
चिड़ियाएँ चहकने लगी हैं
और ठंडी हवा भी चलने लगी है
मौसम से लगता है
शायद आज रात सूरज भी चमके !!
अ से
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