Apr 2, 2014

Surprize


ख़ामोशी में ताकती निगाहें 

शायद तलाश रही थी कोई जुगनू 
बजाय इसके 
मिला एक विस्मय 
सुखद आश्चर्य 
चहकती हुयी दो आँखे 

एक पल ख्वाब सा खामोश 
एक पल हकीक़त खिलखिलाती 
और इतना ही नहीं 
आँखों के नीचे था
एक और सुखद आश्चर्य
एक जोड़ी मुस्कान
और अपना सा लगता कोई चेहरा

अनुमान था जबकी मौसम साफ़ रहेगा
और सामने का मैदान खाली
पर अब वहाँ कुछ मोर नाच रहे हैं
चिड़ियाएँ चहकने लगी हैं
और ठंडी हवा भी चलने लगी है
मौसम से लगता है
शायद आज रात सूरज भी चमके !!

अ से 

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