उनके पास बहुत से हैं
सो वो दे देते हैं या बाँट देते हैं
पुरस्कार अहंकार है देने वाले का
सम्मान के वस्त्रों में
और अपने कोषागार में से
वो बाँट देते हैं एक अंश अपने दंभ का ।
पाने वाले उत्सुक रहते हैं हमेशा
हर उस चीज के लिए जो बँट रही हो
क्या बँट रहा है से महत्वपूर्ण कितना मिल रहा है हो जाता है
सम्मान भी किसी वस्तु की तरह बँटता है
फिर फिर अपने को दे की तर्ज पर ।
हर उस चीज के लिए जो बँट रही हो
क्या बँट रहा है से महत्वपूर्ण कितना मिल रहा है हो जाता है
सम्मान भी किसी वस्तु की तरह बँटता है
फिर फिर अपने को दे की तर्ज पर ।
पारितोषिक सामान्यतः साधन है किसी की जीविका का
पर पुरस्कार एक तिरस्कार है
किसी के काम की खूबसूरती के साथ अपना नाम जोड़ने का
और सम्मान का अपमान
एक बड़े मंच पर की गयी जादूगरी
जिसका भेद कैद होता है पर्दे के पीछे
बड़ी कुशलता से मारे गए पांछियों में ।
पर पुरस्कार एक तिरस्कार है
किसी के काम की खूबसूरती के साथ अपना नाम जोड़ने का
और सम्मान का अपमान
एक बड़े मंच पर की गयी जादूगरी
जिसका भेद कैद होता है पर्दे के पीछे
बड़ी कुशलता से मारे गए पांछियों में ।
पुरस्कार दिया जा रहा है या लिया जा रहा है
क्या सचमुच ये किसी के काम का कोई सम्मान है
कि उसे घोड़ों के साथ रेस में दौड़ा दिया जाये
या तय कर दी जाये कीमत खूबसूरत काम की
या बड़ा दी जाये उसके नाम की ।
क्या सचमुच ये किसी के काम का कोई सम्मान है
कि उसे घोड़ों के साथ रेस में दौड़ा दिया जाये
या तय कर दी जाये कीमत खूबसूरत काम की
या बड़ा दी जाये उसके नाम की ।
उनके पास बहुत से हैं
जब उन्हे देने होंगे तो वो किसी भी नाम से दे देंगे
जब उन्हे बांटने होंगे वो किसी भी काम पर दे देंगे
वो राजा है स्व्यंसिद्ध वो निर्णायक है महाभारत के
वो रचयिता है किसी की नियति के
और सच्चे पुरस्कार के हक़दार हैं
कि जुगाड़ बैठाने वालों की कुशलता देखते ही बनती है ।
जब उन्हे देने होंगे तो वो किसी भी नाम से दे देंगे
जब उन्हे बांटने होंगे वो किसी भी काम पर दे देंगे
वो राजा है स्व्यंसिद्ध वो निर्णायक है महाभारत के
वो रचयिता है किसी की नियति के
और सच्चे पुरस्कार के हक़दार हैं
कि जुगाड़ बैठाने वालों की कुशलता देखते ही बनती है ।
अ से