Deleted by anuj
Mar 8, 2015
कलाकार बेच देगा अपनी कला कौड़ियों के भाव
तुम खरीद लेना उसे बिना कुछ चुकाए और ।
तुम खरीद लेना उसे बिना कुछ चुकाए और ।
वो चित्रित करेगा तुम्हारे सभी घुमाव
गहराइयों को देकर रात के रक्तिम रंग
और उभारों को सुर्ख मखमली उजास
तुम्हारे हर उम्फ को कैद कर लेगा केमरे में
करेगा तुम्हारी तसवीरों पर पच्चीकारी शब्दों की ।
गहराइयों को देकर रात के रक्तिम रंग
और उभारों को सुर्ख मखमली उजास
तुम्हारे हर उम्फ को कैद कर लेगा केमरे में
करेगा तुम्हारी तसवीरों पर पच्चीकारी शब्दों की ।
वो लिखेगा ताउम्र बस प्रेम कवितायें, ताउम्र बुनेगा
वो इर्द गिर्द तुम्हारे अपने सभी उपन्यास
वो लिखेगा ये सब तुम्हारे आकर्षण से प्रेरित होकर
और वो कुछ नहीं करेगा सिवाय तुम्हें उभारने के ।
वो इर्द गिर्द तुम्हारे अपने सभी उपन्यास
वो लिखेगा ये सब तुम्हारे आकर्षण से प्रेरित होकर
और वो कुछ नहीं करेगा सिवाय तुम्हें उभारने के ।
अगर तुम जीना चाहती हो कला के सुनहरेपन में
अपनी तय कर दी गयी नियति के विरुद्ध
तो तुम गलत नहीं कर रही हो अपने दिल के साथ
भले फिर वो बागीचे जिनको सौंपा गया है तुम्हें
सूख ही क्यों ना जाएँ , क्या अर्थ है आखिर
उस वृक्ष का जो तुम्हें ना दे सके प्राण वायु ।
अपनी तय कर दी गयी नियति के विरुद्ध
तो तुम गलत नहीं कर रही हो अपने दिल के साथ
भले फिर वो बागीचे जिनको सौंपा गया है तुम्हें
सूख ही क्यों ना जाएँ , क्या अर्थ है आखिर
उस वृक्ष का जो तुम्हें ना दे सके प्राण वायु ।
मैं जानता हूँ कुछ गलत नहीं है जीना चाहना
बेशक गलतफहमी में , कुछ पलों के प्रेम में
किसी कलाकार की आह में बस जाने की चाह
कोई तरीका गलत तरीका नहीं है इस संसार में
वरना वो है ही क्यूँ , वो संभव ही क्यूँ है ।
बेशक गलतफहमी में , कुछ पलों के प्रेम में
किसी कलाकार की आह में बस जाने की चाह
कोई तरीका गलत तरीका नहीं है इस संसार में
वरना वो है ही क्यूँ , वो संभव ही क्यूँ है ।
और वैसे भी क्या है एक कलाकार ,
क्या होना है कुल जमा उसका
और कुल मिलाकर क्या चाहत होगी उसकी
तुम्हारी कोड़ियों में जितने स्वर्ग हैं वो वो
पूरी जिंदगी चुकाकर भी क्या कमा पाएगा ।
क्या होना है कुल जमा उसका
और कुल मिलाकर क्या चाहत होगी उसकी
तुम्हारी कोड़ियों में जितने स्वर्ग हैं वो वो
पूरी जिंदगी चुकाकर भी क्या कमा पाएगा ।
तो कलाकार बेच देगा अपनी कला कौड़ियों के भाव
तुम खरीद लेना उसे बिना कुछ चुकाए और ।
तुम खरीद लेना उसे बिना कुछ चुकाए और ।
अ से
Mar 3, 2015
पवित्र!पवित्र!पवित्र!
पवित्र!पवित्र!पवित्र!पवित्र!पवित्र!पवित्र!पवित्र!पवित्र!
पवित्र!पवित्र!पवित्र!पवित्र!पवित्र!पवित्र!पवित्र!
ये संसार है पवित्र! ये आत्मा है पवित्र! ये चमड़ी है पवित्र!
ये नाक है पवित्र! ये जीभ और शिश्न और हाथ
और गुदाद्वार है पवित्र!
सब कुछ है पवित्र! हर कोई है पवित्र! हर जगह है पवित्र!
हर दिन है शाश्वत ! हर इंसान है फरिश्ता !
ये नितंब उतने ही पवित्र जितने फरिश्ते ! ये पागल उतना ही पवित्र
जितना तुम मेरी आत्मा हो पवित्र !
ये टंकणक है पवित्र ये कविता है पवित्र ये ध्वनि है पवित्र
ये श्रोता हैं पवित्र ये उत्साह है पवित्र !
पवित्र पीटर पवित्र एलन पवित्र सोलम पवित्र लूसियन
पवित्र केरौस पवित्र हंके पवित्र बरोज़ पवित्र केसेडी !
पवित्र वो अंजान परेशान और सताया भिखारी
पवित्र वो घिनौना मानसी फरिश्ता !
पवित्र वो मेरी माँ विक्षिप्त पगलखाने में !
पवित्र वो लिंग वो कान्सास के दादुओं का !
पवित्र वो सेक्सोफोन की कराह ! पवित्र वो कयामत के कोड़े !
पवित्र वो जैजबैंड मारिजुआना
हिप्पीयों का सुकून और कबाड़ और ड्रम !
पवित्र वो एकांत ऊँची छतें और तहखाने !
पवित्र वो रेस्त्रां लाखों की भीड़ थामे !
पवित्र वो रहस्यमय नदी आँसुओं की
रहती है जो रास्तों की नीचे से बहती ।
पवित्र वो अकेला विशाल रथ !
पवित्र वो व्यापक भेड़ें मध्यम वर्ग की !
पवित्र वो सनकी चरवाहे विद्रोह के
जो खोद गए लॉस एनजेल्स !
पवित्र लॉस एंजेल्स पवित्र न्यू यॉर्क पवित्र
सेन फ्रेंसिस्को पवित्र प्योरिया और सिएटल
पवित्र पेरिस पवित्र टेंजीयर पवित्र मॉस्को
पवित्र ईस्तांबुल पवित्र !
पवित्र समय अनंतता में पवित्र अनंतता समय में
पवित्र वो अन्तरिक्ष की घड़ियाँ पवित्र वो चौथी विमा
पवित्र वो पाँचवाँ अंतर्राष्ट्रीय पवित्र वो फरिश्ता मोलोक में !
पवित्र ये सागर पवित्र ये मरुस्थल पवित्र ये रेल की पटरी
पवित्र ये चलवाहन पवित्र ये दृष्टि पवित्र ये दृष्टिभ्रम
पवित्र ये चमत्कार पवित्र ये पुतलियाँ पवित्र रसातल !
पवित्र क्षमा ! दया ! दान ! विश्वास ! पवित्र ! हमारे ! शरीर !
पीड़ा ! उदारता ! पवित्र !
पवित्र ये अलौकिक उत्कृष्ठ अतिरिक्त बोधमय
कृपा आत्मा की !
पवित्र!पवित्र!पवित्र!पवित्र!पवित्र!पवित्र!पवित्र!
ये संसार है पवित्र! ये आत्मा है पवित्र! ये चमड़ी है पवित्र!
ये नाक है पवित्र! ये जीभ और शिश्न और हाथ
और गुदाद्वार है पवित्र!
सब कुछ है पवित्र! हर कोई है पवित्र! हर जगह है पवित्र!
हर दिन है शाश्वत ! हर इंसान है फरिश्ता !
ये नितंब उतने ही पवित्र जितने फरिश्ते ! ये पागल उतना ही पवित्र
जितना तुम मेरी आत्मा हो पवित्र !
ये टंकणक है पवित्र ये कविता है पवित्र ये ध्वनि है पवित्र
ये श्रोता हैं पवित्र ये उत्साह है पवित्र !
पवित्र पीटर पवित्र एलन पवित्र सोलम पवित्र लूसियन
पवित्र केरौस पवित्र हंके पवित्र बरोज़ पवित्र केसेडी !
पवित्र वो अंजान परेशान और सताया भिखारी
पवित्र वो घिनौना मानसी फरिश्ता !
पवित्र वो मेरी माँ विक्षिप्त पगलखाने में !
पवित्र वो लिंग वो कान्सास के दादुओं का !
पवित्र वो सेक्सोफोन की कराह ! पवित्र वो कयामत के कोड़े !
पवित्र वो जैजबैंड मारिजुआना
हिप्पीयों का सुकून और कबाड़ और ड्रम !
पवित्र वो एकांत ऊँची छतें और तहखाने !
पवित्र वो रेस्त्रां लाखों की भीड़ थामे !
पवित्र वो रहस्यमय नदी आँसुओं की
रहती है जो रास्तों की नीचे से बहती ।
पवित्र वो अकेला विशाल रथ !
पवित्र वो व्यापक भेड़ें मध्यम वर्ग की !
पवित्र वो सनकी चरवाहे विद्रोह के
जो खोद गए लॉस एनजेल्स !
पवित्र लॉस एंजेल्स पवित्र न्यू यॉर्क पवित्र
सेन फ्रेंसिस्को पवित्र प्योरिया और सिएटल
पवित्र पेरिस पवित्र टेंजीयर पवित्र मॉस्को
पवित्र ईस्तांबुल पवित्र !
पवित्र समय अनंतता में पवित्र अनंतता समय में
पवित्र वो अन्तरिक्ष की घड़ियाँ पवित्र वो चौथी विमा
पवित्र वो पाँचवाँ अंतर्राष्ट्रीय पवित्र वो फरिश्ता मोलोक में !
पवित्र ये सागर पवित्र ये मरुस्थल पवित्र ये रेल की पटरी
पवित्र ये चलवाहन पवित्र ये दृष्टि पवित्र ये दृष्टिभ्रम
पवित्र ये चमत्कार पवित्र ये पुतलियाँ पवित्र रसातल !
पवित्र क्षमा ! दया ! दान ! विश्वास ! पवित्र ! हमारे ! शरीर !
पीड़ा ! उदारता ! पवित्र !
पवित्र ये अलौकिक उत्कृष्ठ अतिरिक्त बोधमय
कृपा आत्मा की !
I carry your heart with me ( i carry it in my heart ) -- E.E.Cummins
मैं रखता हूँ दिल तुम्हारा साथ अपने ( मैं रखता हूँ इसे अपने दिल में )
मैं नहीं होता इसके बिना कभी ( कहीं भी जाऊँ मैं, जाती हो तुम, ओ प्रिय
और जो कुछ भी होता है हाथों मेरे , होता है वो किया तुम्हारा, मेरी प्रिये ) ।
मैं नहीं होता इसके बिना कभी ( कहीं भी जाऊँ मैं, जाती हो तुम, ओ प्रिय
और जो कुछ भी होता है हाथों मेरे , होता है वो किया तुम्हारा, मेरी प्रिये ) ।
मैं डरता हूँ नहीं किसी नियति से ( कि तुम हो मेरी नियति , मेरी मिष्ठी )
मैं चाहता हूँ नहीं कोई दुनिया ( कितनी सुंदर हो तुम मेरी दुनिया , मेरी खरी )
और ये तुम हो जो कुछ कभी अर्थ रहा है चाँद का
और जो कुछ हमेशा से सूरज गाता है तुम हो ।
मैं चाहता हूँ नहीं कोई दुनिया ( कितनी सुंदर हो तुम मेरी दुनिया , मेरी खरी )
और ये तुम हो जो कुछ कभी अर्थ रहा है चाँद का
और जो कुछ हमेशा से सूरज गाता है तुम हो ।
ये है वो रहस्य गहरा , नहीं कोई जानता
( ये है जड़ की जड़ और कोंपल कोंपल की
और आकाश का भी आकाश उस वृक्ष का
जीवन कहलाता है जो , जाता है उसके आगे जो
उम्मीद कर सकती है आत्मा या छुपा सकता है मन )
और ये है वो आश्चर्य जो रखता है तारों को पृथक ।
( ये है जड़ की जड़ और कोंपल कोंपल की
और आकाश का भी आकाश उस वृक्ष का
जीवन कहलाता है जो , जाता है उसके आगे जो
उम्मीद कर सकती है आत्मा या छुपा सकता है मन )
और ये है वो आश्चर्य जो रखता है तारों को पृथक ।
मैं साथ रखता हूँ दिल तुम्हारा ( मैं रखता हूँ इसे अपने दिल में ) ।
Transalted from
I carry your heart with me ( i carry it in my heart ) -- E.E.Cummins
I carry your heart with me ( i carry it in my heart ) -- E.E.Cummins
Mar 2, 2015
पहाड़ कहते हैं पेड़ों से
पहाड़ कहते हैं पेड़ों से
लचीले बनो
जरा सा झुक जाओ
पेड़ हैं कि सुनते ही नहीं ।
कितने जड़ हैं पहाड़
निरर्थकता में सीना ताने खड़े हैं
बहुत ऊंचे हैं अपनी जड़ता में ।
निरर्थकता में सीना ताने खड़े हैं
बहुत ऊंचे हैं अपनी जड़ता में ।
जड़ में जड़ जमाये हैं पेड़
तन का आकार नहीं
ध्वजा की ऊँचाई लिए
वस्त्र सा सम्मान बने ।
तन का आकार नहीं
ध्वजा की ऊँचाई लिए
वस्त्र सा सम्मान बने ।
पहाड़ कुछ ना कुछ बोलते रहते हैं
पेड़ हैं कि लहराते हैं सुनते हुये ।
पेड़ हैं कि लहराते हैं सुनते हुये ।
अ से
I do not love you --- Pablo Neruda
प्यार करता नहीं हूँ मैं तुमसे पर मुझे प्यार है तुमसे
और प्यार करता हूँ पर प्यार मिलने के लिए नहीं
तब भी इंतज़ार करता हूँ जब मुझे उम्मीद ना हो
शांत जलने लगता है दिल मेरा
मुझे तुमसे प्यार है सिर्फ इसलिए कि मुझे तुमसे प्यार है
मुझे नफरत है तुमसे बेइंतेहा मुझे इस बेबसी से नफरत है
और तुम्हारे लिए मेरे प्रेम के बदलाव का पैमाना
तुम्हें देखना नहीं है बल्कि आँखें बंद करके प्रेम करना है
जबकि शायद जनवरी की रौशनी जला देगी
इसकी निर्मम किरणों से मेरे दिल को
चुराकर मेरी चाभी सच्ची शांति की राह की
पर इस कहानी में सिर्फ मैं हूँ जिसे मरना है
और मैं मरूँगा इस प्यार से कि मुझे प्यार है तुमसे
कि मुझे प्यार है तुमसे , प्रिय , रक्त में और रौशनी में ।
और प्यार करता हूँ पर प्यार मिलने के लिए नहीं
तब भी इंतज़ार करता हूँ जब मुझे उम्मीद ना हो
शांत जलने लगता है दिल मेरा
मुझे तुमसे प्यार है सिर्फ इसलिए कि मुझे तुमसे प्यार है
मुझे नफरत है तुमसे बेइंतेहा मुझे इस बेबसी से नफरत है
और तुम्हारे लिए मेरे प्रेम के बदलाव का पैमाना
तुम्हें देखना नहीं है बल्कि आँखें बंद करके प्रेम करना है
जबकि शायद जनवरी की रौशनी जला देगी
इसकी निर्मम किरणों से मेरे दिल को
चुराकर मेरी चाभी सच्ची शांति की राह की
पर इस कहानी में सिर्फ मैं हूँ जिसे मरना है
और मैं मरूँगा इस प्यार से कि मुझे प्यार है तुमसे
कि मुझे प्यार है तुमसे , प्रिय , रक्त में और रौशनी में ।
translated from --- I do not love you --- Pablo Neruda
Mar 1, 2015
अब ये बरसात मुझे नहीं भिगोती
अब ये बरसात मुझे नहीं भिगोती
अब
फेंके हुये पत्थर मुझे चोट नहीं पहुंचाते
अब
साधे हुये व्यंग्य बाण मुझे नहीं भेद पाते
अब
दौड़ती हुयी दुनिया मुझे पीछे नहीं छोड़ पाती
अब
बहुत शांति है मेरे स्वप्नों में
अब
कुछ भी शेष नहीं ।
कोई भी शोर नहीं ।
सुकून है
एक रात का ।
एक शाश्वत रात का सुकून ।
अ से
Feb 25, 2015
koan
कितने कोआन थे यहाँ ,
अब तलाशो तो एक नहीं ,
एक पहेली थी तुम ,
एक पहेली थी तुम ,
जब तक मुझे पता ना था ,
मैं सुलझाता था तुम्हें ,
मैं सुलझाता था तुम्हें ,
थोड़ा और उलझ जाता था ,
तुम्हें डर था समय से पहले अपना जादू खो देने का
मुझे खोज लेना था बाहर का एक रास्ता समय रहते
पर ना तो तुम जादूगरनी थी ना मुझे ही कहीं जाना था ।
कैसा जादू है तुम्हारा कि अब
मुझ पर कोई जादू नहीं चलता
कैसा जादू है तुम्हारा
जो खत्म नहीं हुआ पर अब असर नहीं करता
कैसी पहेली हो तुम
कैसी पहेली हो तुम
जो उलझी हुयी हो पर सुलझा दिया है मुझे
और कैसा मैं हूँ कि
और कैसा मैं हूँ कि
मेरे पास नहीं है कोई रास्ता
पर चले जाना है ।
Feb 24, 2015
इतना अकेला सा था कुछ
इतना अकेला सा था कुछ
जैसे सब कुछ हो अकेला अकेला
और सब कुछ रुका पड़ा हो साथ में ।
भरे हुये प्लेटफार्म से सबको लेकर
जाने के बाद दोनों ट्रेन के
एक दायें और एक बाएँ
के बीचों बीच का निर्जीव शून्य ।
जाने के बाद दोनों ट्रेन के
एक दायें और एक बाएँ
के बीचों बीच का निर्जीव शून्य ।
इतना खोया सा था कुछ
जैसे सब कुछ हो खोया खोया
और सब कुछ दिख रहा हो सामने ।
जैसे सब कुछ हो खोया खोया
और सब कुछ दिख रहा हो सामने ।
पूरे संसार को समेटकर एक फूल में
दे दिये जाने के बाद किसी को
लबों से सुनाई पड़े इनकार
के ठीक सामने की गहरी उदासी ।
दे दिये जाने के बाद किसी को
लबों से सुनाई पड़े इनकार
के ठीक सामने की गहरी उदासी ।
इतना अधूरा सा था कुछ
जैसे सब कुछ हो अधूरा अधूरा
और पूरा का पूरा बैठा हो साथ में ।
जैसे सब कुछ हो अधूरा अधूरा
और पूरा का पूरा बैठा हो साथ में ।
अपनी हक़ीक़त से लड़कर
अपराध बोध के साथ
सागर किनारे नाराज़
साथ बैठा हुआ ख्वाब ।
अपराध बोध के साथ
सागर किनारे नाराज़
साथ बैठा हुआ ख्वाब ।
अ से
Feb 21, 2015
विपर्यय : 1
लहर लहर प्रवाहमान
जल की तरंगों में
वृक्ष बन देखता हूँ
अपना अक्स
किसी रस्सी सा
और बहने लगता हूँ
किसी सर्प सा !
अ से
प्रेम पाषाण
तुम मत झाँको उसमें गहरे
भले ही वो ये चाहती है
वो नहीं छिपा पाएगी अपना प्रेम
तुम कोशिश भी मत करो झाँकने की ।
तुम मत पूछो उससे फिर फिर
कि क्या उसे प्रेम है तुमसे
कि कितना प्रेम है उसे तुमसे
भले ही वो ये चाहती है
वो नहीं जता पाएगी अपना प्रेम
तुम कोशिश भी मत करो जानने की ।
तुम मत समझाओ उसे कुछ भी
कि क्या नहीं करना चाहिए उसे
कि उसका क्या करना पसंद है तुम्हें
कि कैसा देखना चाहते हो तुम उसे
भले ही वो ढल जाएगी वैसे
पर नहीं रह पाएगी वो स्वाभाविक
वो नहीं रह पाएगी जो वो है ॥
यदि तुम प्रेम करना चाहते हो उसे
उसे करने दो ।
उसकी आँखों में खुद ही उतर आएगी
एक परत नमी की
तुम्हारे देखते ही
और तुम्हारे देखते ही देखते
उड़ जाएगी धूप में ओस बनकर
और महक जाएगा उसका प्रेम ।
और वो करेगी
वो सब कुछ
जैसा तुम चाहते हो
वो ढल जाएगी
अकहे ही तुम्हारे प्रेम में ॥
उसे करने दो ।
उसकी आँखों में खुद ही उतर आएगी
एक परत नमी की
तुम्हारे देखते ही
और तुम्हारे देखते ही देखते
उड़ जाएगी धूप में ओस बनकर
और महक जाएगा उसका प्रेम ।
और वो करेगी
वो सब कुछ
जैसा तुम चाहते हो
वो ढल जाएगी
अकहे ही तुम्हारे प्रेम में ॥
वो पाषाण है
ठोस भावनाओं की
जो बन जाएगी
एक सुंदर मूरत
ये उसका स्वभाव है ।
मत चोट करो उस पर
उसे मत कुरेदो
मत खुरचो
वो ढल जाएगी
तुम्हारी उपस्थिती मात्र से ॥
ठोस भावनाओं की
जो बन जाएगी
एक सुंदर मूरत
ये उसका स्वभाव है ।
मत चोट करो उस पर
उसे मत कुरेदो
मत खुरचो
वो ढल जाएगी
तुम्हारी उपस्थिती मात्र से ॥
वो है एक पाषाण
प्रेम पाषाण ॥
अ से
प्रेम पाषाण ॥
अ से
एक ताजा सुबह
पूर्व के वृक्ष पर
खिलता एक लाल गुलाब
महकती सुगंध रौशनी की
पत्तियों की चहचहाट
बिना और कोई आवाज़ ।
हवा का पूर्ण परास
पवित्रता की श्वास
शीतलता के होठों का
पलकों पर आश्वास ।
पवित्रता की श्वास
शीतलता के होठों का
पलकों पर आश्वास ।
मृत्यु के हाथों
सौंप दी गयी सत्ता
नए दिन का जन्म
एक ताजा सुबह ।
अ से
सौंप दी गयी सत्ता
नए दिन का जन्म
एक ताजा सुबह ।
अ से
Feb 20, 2015
पुरस्कार
उनके पास बहुत से हैं
सो वो दे देते हैं या बाँट देते हैं
कि पुरस्कार
अहंकार है देने वालों का
सम्मान के वस्त्रों में
अपने कोषागार में से
वो बाँट देते हैं एक अंश अपने दंभ का ।
सो वो दे देते हैं या बाँट देते हैं
कि पुरस्कार
अहंकार है देने वालों का
सम्मान के वस्त्रों में
अपने कोषागार में से
वो बाँट देते हैं एक अंश अपने दंभ का ।
ये उत्सुकता है पाने की
कुछ पा जाने की ललक
हर उस चीज के लिए जो बँट रही हो
महत्वपूर्ण है कितना मिल रहा है
क्या बँट रहा है से ,
कि सम्मान भी किसी वस्तु की तरह बँटता है
फिर फिर अपने को दे की तर्ज पर ।
कुछ पा जाने की ललक
हर उस चीज के लिए जो बँट रही हो
महत्वपूर्ण है कितना मिल रहा है
क्या बँट रहा है से ,
कि सम्मान भी किसी वस्तु की तरह बँटता है
फिर फिर अपने को दे की तर्ज पर ।
पारितोषिक साधन है सामान्यतः
किसी की जीविका का
पर पुरस्कार
पुरस्कार एक तिरस्कार है
किसी काम की खूबसूरती के साथ
अपना नाम जोड़ने का
सम्मान का अपमान
एक बड़े मंच पर की गयी जादूगरी
जिसका भेद कैद होता है पर्दे के पीछे
बड़ी कुशलता से मारे गए पंछियों में ।
किसी की जीविका का
पर पुरस्कार
पुरस्कार एक तिरस्कार है
किसी काम की खूबसूरती के साथ
अपना नाम जोड़ने का
सम्मान का अपमान
एक बड़े मंच पर की गयी जादूगरी
जिसका भेद कैद होता है पर्दे के पीछे
बड़ी कुशलता से मारे गए पंछियों में ।
पुरस्कार दिया जा रहा है या लिया जा रहा है
क्या सचमुच ये किसी के काम का कोई सम्मान है
कि उसे घोड़ों के साथ रेस में दौड़ा दिया जाये
या तय कर दी जाये कीमत खूबसूरत काम की
या बड़ा दी जाये उसके नाम की ।
क्या सचमुच ये किसी के काम का कोई सम्मान है
कि उसे घोड़ों के साथ रेस में दौड़ा दिया जाये
या तय कर दी जाये कीमत खूबसूरत काम की
या बड़ा दी जाये उसके नाम की ।
उनके पास बहुत से हैं
जब उन्हे देने होंगे तो वो दे देंगे
किसी भी नाम से
जब उन्हे बांटने होंगे वो बाँट देंगे
किसी भी काम पर
वो राजा है स्व्यंसिद्ध
वो निर्णायक है महाभारत के
वो रचयिता है किसी की नियति के
और वास्तव में
वो ही हक़दार हैं सच्चे पुरस्कार के
जब उन्हे देने होंगे तो वो दे देंगे
किसी भी नाम से
जब उन्हे बांटने होंगे वो बाँट देंगे
किसी भी काम पर
वो राजा है स्व्यंसिद्ध
वो निर्णायक है महाभारत के
वो रचयिता है किसी की नियति के
और वास्तव में
वो ही हक़दार हैं सच्चे पुरस्कार के
कि देखते ही बनती है
जुगाड़ बैठाने वालों की कुशलता ।
जुगाड़ बैठाने वालों की कुशलता ।
अ से
और जब गर्भ का स्पंदन खो गया ...
और जब गर्भ का स्पंदन खो गया
सृष्टि का अज्ञातमात्र सो गया
चेत का समवेत स्वर लुप्त हो गया
सृजन का मूल शब्द सुप्त हो गया
ब्रह्मा बिखर कर वेदहीन हो गया
संसार विसर्ग में विहीन हो गया ।
सृष्टि का अज्ञातमात्र सो गया
चेत का समवेत स्वर लुप्त हो गया
सृजन का मूल शब्द सुप्त हो गया
ब्रह्मा बिखर कर वेदहीन हो गया
संसार विसर्ग में विहीन हो गया ।
एक पल को
शिव ने शक्ति को जीर्ण कर दिया
कारण अकारण सब क्षीर्ण कर दिया
अब प्रकाश के लिए आकाश ना हुआ
आकाश के लिए अवकाश ना हुआ
वियोगी अंतर्ध्यान रहा
शून्य , एक , सब अ-मान रहा ।
शिव ने शक्ति को जीर्ण कर दिया
कारण अकारण सब क्षीर्ण कर दिया
अब प्रकाश के लिए आकाश ना हुआ
आकाश के लिए अवकाश ना हुआ
वियोगी अंतर्ध्यान रहा
शून्य , एक , सब अ-मान रहा ।
तभी वो पल किसी में लीन हो गया
गिना ना जा सका बस तीन हो गया
शिव को अपना भान हो आया
फिर से शक्ति का ध्यान हो आया
आकाश का अवकाश समाप्त हो गया
प्रकाश दिक-काल में व्याप्त हो गया
शिव से आत्म में बैठा ना गया
इतना प्रचंड समेटा ना गया ।
गिना ना जा सका बस तीन हो गया
शिव को अपना भान हो आया
फिर से शक्ति का ध्यान हो आया
आकाश का अवकाश समाप्त हो गया
प्रकाश दिक-काल में व्याप्त हो गया
शिव से आत्म में बैठा ना गया
इतना प्रचंड समेटा ना गया ।
एक से तीन हुये तीन से नो
बिखर गए शक्ति में कण कण हो
सब ओर भ्रम पर कहीं कोई योग नहीं
महामाया पर चल सका कोई प्रयोग नहीं
और तब
हार कर क्षरण ली फिर अपनी ही शक्ति की
हाथ जोड़ नमन कर महामाया की भक्ति की ।
बिखर गए शक्ति में कण कण हो
सब ओर भ्रम पर कहीं कोई योग नहीं
महामाया पर चल सका कोई प्रयोग नहीं
और तब
हार कर क्षरण ली फिर अपनी ही शक्ति की
हाथ जोड़ नमन कर महामाया की भक्ति की ।
अ से
Feb 14, 2015
यिन येन
वो दोनों परस्पर
आते हैं सामने
मिलना चाहते हैं
मिल जाना चाहते हैं ।
एक दायें झुकता है
दूसरी बाएँ
हो जाते हैं
यिन और येन
एक दायें झुकती है
दूसरा बाएँ ।
दूसरी बाएँ
हो जाते हैं
यिन और येन
एक दायें झुकती है
दूसरा बाएँ ।
और फिर
हर दिशा प्रतिदिशा में
घूमते हैं
एक लयबद्ध गति में
नृत्य करते हैं
बहते संगीत में
मिल जाना चाहते हैं
घुल जाना चाहते हैं ... ।
और ठहर जाते हैं ।
हर दिशा प्रतिदिशा में
घूमते हैं
एक लयबद्ध गति में
नृत्य करते हैं
बहते संगीत में
मिल जाना चाहते हैं
घुल जाना चाहते हैं ... ।
और ठहर जाते हैं ।
ठहरकर
देखते हैं शून्य में
फैली एक मुस्कान को
दूर होती थकान को ।
देखते हैं शून्य में
फैली एक मुस्कान को
दूर होती थकान को ।
और
देखते देखते
बहने लगते हैं
तीसरी दिशा में ... ।
देखते देखते
बहने लगते हैं
तीसरी दिशा में ... ।
बह जाते हैं ।
its a koan
its a koan ,
what is it she want
and i asked not
and i will never
may it took
the time for ever
as i want it
to work in my favour
so the magic of it
lose must not .
what is it she want
and i asked not
and i will never
may it took
the time for ever
as i want it
to work in my favour
so the magic of it
lose must not .
i want to work
and work upon
i want to think
and think for long
i have to know it
so i will prolong
untill it shapes me
into what she want .
and work upon
i want to think
and think for long
i have to know it
so i will prolong
untill it shapes me
into what she want .
Feb 13, 2015
देह मुक्त कर देना चाहती है ...
देह मुक्त कर देना चाहती है आत्मा को मेरी ,
आत्मा चीखती है अँधेरों से घबराकर
और कोई आवाज़ भर नहीं होती
कि शब्द स्फुटित नहीं होते ।
आत्मा जकड़े रहना चाहती है देह को मेरी ,
देह जलने लगती है रौशनी में आकर
और कोई बुझा नहीं पाता इसे
कि प्यास बुझती नहीं है ।
देह जलने लगती है रौशनी में आकर
और कोई बुझा नहीं पाता इसे
कि प्यास बुझती नहीं है ।
अ से
Feb 11, 2015
मैं देखता हूँ अपने आस पास ...
नींद खुलती है और मैं देखता हूँ अपने आस पास
सबकुछ , अँधेरा और रौशनी और अपनी ऊर्जा
महसूस करता हूँ ,
और उठ बैठता हूँ ,
बिस्तर से उतरता हूँ कदम जमीन पर रखता हूँ
और लड़खड़ाता हूँ चलने की कोशिश में
और संतुलन को पुनः स्मृत कर संभल जाता हूँ
मैं चलने लगता हूँ ।
मैं चलने लगता हूँ भोर की रौशनी में
दिन धूप भाग दौड़ करता हूँ
और फिर शाम को सहेज लाता हूँ बचे हुये पल
बची हुयी ऊर्जा के
फिर से स्मृत करता हूँ अपना संतुलन
पंजों को आराम देता हूँ
और अँधेरा घिर आता है ।
अभी बहुत कुछ है जिसे आराम देना है पर
अभी काफी वक़्त है फिर से सुबह होने में
और उतार देता हूँ ये वस्त्र
कि अभी इनकी जरूरत नहीं ।
दिन धूप भाग दौड़ करता हूँ
और फिर शाम को सहेज लाता हूँ बचे हुये पल
बची हुयी ऊर्जा के
फिर से स्मृत करता हूँ अपना संतुलन
पंजों को आराम देता हूँ
और अँधेरा घिर आता है ।
अभी बहुत कुछ है जिसे आराम देना है पर
अभी काफी वक़्त है फिर से सुबह होने में
और उतार देता हूँ ये वस्त्र
कि अभी इनकी जरूरत नहीं ।
अ से
Feb 10, 2015
वक्त खामोश है
1.
वक्त खामोश है
पर लहरोँ का शोर सुनाई देता है
और कभी कभी सुनाई देती है
खामोशी उसकी ,
कभी कभी ही तो शांत होती है वो
या अक्सर तब जब वो उदास होती है ।
पर लहरोँ का शोर सुनाई देता है
और कभी कभी सुनाई देती है
खामोशी उसकी ,
कभी कभी ही तो शांत होती है वो
या अक्सर तब जब वो उदास होती है ।
शांत रातोँ मेँ मन का पोत इसी तरह हिलोरेँ खाता है ,
जब कुछ गुज़र जाता है तो वो एक लहर बन जाता है
और हर एक लहर के साथ थोड़ा और ठहर जाते हैँ हम ।
जब कुछ गुज़र जाता है तो वो एक लहर बन जाता है
और हर एक लहर के साथ थोड़ा और ठहर जाते हैँ हम ।
वो भी रात के खाली आसमान सी
ठहर चुकी है
और हर एक गुज़रते लफ्ज़ के साथ
गहराती जाती है
और उस गहराई से उठती रहती हैँ
अनजान बातें ,
जिनमेँ से कुछ भूलता रहता हूँ और कुछ
रह जाती है ठहरी हुयी
अगर साथ होता कुछ और वक्त
कुछ और लहरेँ उठती ,
कुछ और ठहर जाते
हम लोग ।
ठहर चुकी है
और हर एक गुज़रते लफ्ज़ के साथ
गहराती जाती है
और उस गहराई से उठती रहती हैँ
अनजान बातें ,
जिनमेँ से कुछ भूलता रहता हूँ और कुछ
रह जाती है ठहरी हुयी
अगर साथ होता कुछ और वक्त
कुछ और लहरेँ उठती ,
कुछ और ठहर जाते
हम लोग ।
घड़ियाँ घूम रही हैँ पर अब उनमेँ
आकर्षण नहीँ इंतज़ार का
वो टहल रही हैँ किसी बूढ़ी सुन्दरी सी
बिना किसी उम्मीद
और मैँ इन ठहरी हुयी आँखो से
नहीँ देखता कुछ सिवाय
चित्राये हुये एक स्वप्न के
जिसमेँ चलती हैँ कुछ लहरेँ
आँखों में लगती हवा की
और कुछ ठहर गयी हैं वहीं ।
आकर्षण नहीँ इंतज़ार का
वो टहल रही हैँ किसी बूढ़ी सुन्दरी सी
बिना किसी उम्मीद
और मैँ इन ठहरी हुयी आँखो से
नहीँ देखता कुछ सिवाय
चित्राये हुये एक स्वप्न के
जिसमेँ चलती हैँ कुछ लहरेँ
आँखों में लगती हवा की
और कुछ ठहर गयी हैं वहीं ।
जैसे जैसे जवान होती है ये रात
ये लहरेँ होती हैँ अपने शबाब पर
पर फिर बूढ़ी होती रात के साथ ही ये भी
दम तोड़ने लगती हैँ किसी ख्वाब की तरह
और फिर से होती है एक सुबह
और फिर से शुरु होता है
रात का इंतेज़ार ।
ये लहरेँ होती हैँ अपने शबाब पर
पर फिर बूढ़ी होती रात के साथ ही ये भी
दम तोड़ने लगती हैँ किसी ख्वाब की तरह
और फिर से होती है एक सुबह
और फिर से शुरु होता है
रात का इंतेज़ार ।
2.
वक्त खामोश है
पर मन
घूमता रहता है अब भी
सँकरे गलियारोँ मेँ इसके ,
तलाशता है
जाना पहचाना चेहरा कोई
कोई जगह सुकूनबख्श ,
ये ठहर सके जहाँ
और भर सके फेफड़ोँ को
आश्वस्तता से ।
पर मन
घूमता रहता है अब भी
सँकरे गलियारोँ मेँ इसके ,
तलाशता है
जाना पहचाना चेहरा कोई
कोई जगह सुकूनबख्श ,
ये ठहर सके जहाँ
और भर सके फेफड़ोँ को
आश्वस्तता से ।
इस प्रपञ्च को लगातार
देखते सुनते समझते
बोझिल हो जाता ये मन
चाहता है
अलग कर लेना खुद को
पर सूखने लगते हैँ प्राण
कोशिश भर मेँ
कि आँखें बंद होती हैं
और सामने आ जाती है प्यास
उसे फिर से देखने की
उसे फिर फिर देखने की कि जैसे
अगले ही मोड़ पर खड़ा हो अतीत ।
देखते सुनते समझते
बोझिल हो जाता ये मन
चाहता है
अलग कर लेना खुद को
पर सूखने लगते हैँ प्राण
कोशिश भर मेँ
कि आँखें बंद होती हैं
और सामने आ जाती है प्यास
उसे फिर से देखने की
उसे फिर फिर देखने की कि जैसे
अगले ही मोड़ पर खड़ा हो अतीत ।
जिन खुली आँखो मेँ ये पूरा संसार
सबब होता है बैचेनी का
उन्ही अधखुली आँखो को एक चेहरा
सुकून देता है शाश्वतता का
और उसको देखने की चाह
अधीरता ।
सबब होता है बैचेनी का
उन्ही अधखुली आँखो को एक चेहरा
सुकून देता है शाश्वतता का
और उसको देखने की चाह
अधीरता ।
मन
भटक रहा है
वक़्त के गलियारों में
बेतरह बेसबब
वो दोराहे
छूट चुके हैँ बहुत पीछे
और चाहतेँ
सिमट चुकी हैँ
चलन के चौराहोँ पर
पर वो चेहरा
नज़र नहीँ आता किसी ओर
इन रास्तों के कुहासे में
और इस सब के बावजूद
आसान नहीँ अब भी
बँद कर पाना आँखें पूरी तरह
कि मन
कि मन फिर फिर दौड़ता है
एक शाश्वत प्यास में ।
भटक रहा है
वक़्त के गलियारों में
बेतरह बेसबब
वो दोराहे
छूट चुके हैँ बहुत पीछे
और चाहतेँ
सिमट चुकी हैँ
चलन के चौराहोँ पर
पर वो चेहरा
नज़र नहीँ आता किसी ओर
इन रास्तों के कुहासे में
और इस सब के बावजूद
आसान नहीँ अब भी
बँद कर पाना आँखें पूरी तरह
कि मन
कि मन फिर फिर दौड़ता है
एक शाश्वत प्यास में ।
अ से
Feb 9, 2015
There is no one there ...
There is no one there
you are all alone sitting on a chair
in a dark room doors shut lights off
even the dogs are sleeping at the time of night
and you hear no sound
and so you are not in touch with any one
and when you are not in touch with anyone you see nothing .
there is darkness everywhere around
and when you see nothing
there is not a single thing of your interest
no juice , so you cant taste anything
cant smell what gonna happen ...
so you are free all by yourself .
now
feel like god . wink emoticon
feel like god . wink emoticon
वो परे है इस सब से ...
ये सारी दुनिया चकमकाती चमचमाती झिलमिलाती जगमगाती
रौनक तरंग उमंग औ खुशियाँ ख्वाब ख्वाहिशें ख़याल औ खुमारी
गम आँसू मुस्कान
और प्रेम ।
वो जानते हैं मुश्किल है इस सब से परे जाना
संभव नहीं लगता इस सबसे से परे होना सबकुछ खोना
और वो सोचते हैं कि क्या कोई है ऐसा
इस सब से दूर , ठहरा हुआ अपने आप में ।
संभव नहीं लगता इस सबसे से परे होना सबकुछ खोना
और वो सोचते हैं कि क्या कोई है ऐसा
इस सब से दूर , ठहरा हुआ अपने आप में ।
रूप लावण्य और मादकता जिसका ध्यान आकृष्ठ नहीं करती
वो जो इस सब के बिना भी अपनी ही दुनिया में मस्त रहता है
जिसे नहीं चाहिए और कुछ भी
वो आत्मलीन बस अपने हृदय में आनंद लिए डूबा रहता है
इस अद्भुत आश्चर्य की भक्ति में ।
वो जो इस सब के बिना भी अपनी ही दुनिया में मस्त रहता है
जिसे नहीं चाहिए और कुछ भी
वो आत्मलीन बस अपने हृदय में आनंद लिए डूबा रहता है
इस अद्भुत आश्चर्य की भक्ति में ।
और वो कहते हैं
कोई इससे भी परे है ।
अ से
कोई इससे भी परे है ।
अ से
Feb 7, 2015
I do not love you --- Pablo Neruda
प्यार करता नहीं हूँ मैं तुमसे पर मुझे प्यार है तुमसे
और प्यार करता हूँ पर प्यार मिलने के लिए नहीं
तब भी इंतज़ार करता हूँ जब मुझे उम्मीद ना हो
शांत जलने लगता है दिल मेरा
और प्यार करता हूँ पर प्यार मिलने के लिए नहीं
तब भी इंतज़ार करता हूँ जब मुझे उम्मीद ना हो
शांत जलने लगता है दिल मेरा
मुझे तुमसे प्यार है सिर्फ इसलिए कि मुझे तुमसे प्यार है
मुझे नफरत है तुमसे बेइंतेहा मुझे इस बेबसी से नफरत है
और तुम्हारे लिए मेरे प्रेम के बदलाव का पैमाना
तुम्हें देखना नहीं है बल्कि आँखें बंद करके प्रेम करना है
मुझे नफरत है तुमसे बेइंतेहा मुझे इस बेबसी से नफरत है
और तुम्हारे लिए मेरे प्रेम के बदलाव का पैमाना
तुम्हें देखना नहीं है बल्कि आँखें बंद करके प्रेम करना है
जबकि शायद जनवरी की रौशनी जला देगी
इसकी निर्मम किरणों से मेरे दिल को
चुराकर मेरी चाभी सच्ची शांति की राह की
इसकी निर्मम किरणों से मेरे दिल को
चुराकर मेरी चाभी सच्ची शांति की राह की
पर इस कहानी में सिर्फ मैं हूँ जिसे मरना है
और मैं मरूँगा इस प्यार से कि मुझे प्यार है तुमसे
कि मुझे प्यार है तुमसे , प्रिय , रक्त में और रौशनी में ।
I do not love you --- Pablo Neruda
और मैं मरूँगा इस प्यार से कि मुझे प्यार है तुमसे
कि मुझे प्यार है तुमसे , प्रिय , रक्त में और रौशनी में ।
I do not love you --- Pablo Neruda
Jan 24, 2015
She Walks in Beauty : lord byron
हवाएँ बनाती चलती है उसका रास्ता , जैसे कोई
साफ बादल-विहीन तारों से सजी रात का आकाश ;
और जो कुछ है बेहतरीन अँधकार और प्रकाश में
मिलता है छवि में उसकी आँखों की उजास में :
और इस तरह तनाव मुक्त उस कोमल रौशनी में
तीखे दिन के उजाले नकार दिये जाते हैं ।
जो होती एक छाया परत और , या एक किरण कम ,
आधा कर देती वो अनामिक आकर्षण ,
जो लहराता है हर एक स्याह ज़ुल्फ में ,
या नरमाई से खिल आता है उसके चेहरे पर ;
जहाँ हर खयाल जाहिर होता हैं मीठी खामोशी से
कितनी निश्छल कितनी प्यारी है उनकी खिलने की जगह ।
आधा कर देती वो अनामिक आकर्षण ,
जो लहराता है हर एक स्याह ज़ुल्फ में ,
या नरमाई से खिल आता है उसके चेहरे पर ;
जहाँ हर खयाल जाहिर होता हैं मीठी खामोशी से
कितनी निश्छल कितनी प्यारी है उनकी खिलने की जगह ।
और उन गालों पर , और भवों के ऊपर
कितनी कोमल कितनी शांत , तब भी सुहावनी
वो मुस्कान जो जीत लेती है , रंग जो खिल उठते हैं
पर बात उन दिनों की जो खर्च हुये भलाई में
एक मन जो सुकून में है जिसके साथ है
एक दिल जिसका प्रेम है मासूम निश्छल ।
कितनी कोमल कितनी शांत , तब भी सुहावनी
वो मुस्कान जो जीत लेती है , रंग जो खिल उठते हैं
पर बात उन दिनों की जो खर्च हुये भलाई में
एक मन जो सुकून में है जिसके साथ है
एक दिल जिसका प्रेम है मासूम निश्छल ।
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She walks in beauty, like the night
Of cloudless climes and starry skies;
And all that's best of dark and bright
Meet in her aspect and her eyes:
Thus mellow'd to that tender light
Which heaven to gaudy day denies.
Of cloudless climes and starry skies;
And all that's best of dark and bright
Meet in her aspect and her eyes:
Thus mellow'd to that tender light
Which heaven to gaudy day denies.
One shade the more, one ray the less,
Had half impaired the nameless grace
Which waves in every raven tress,
Or softly lightens o'er her face;
Where thoughts serenely sweet express
How pure, how dear their dwelling-place.
Had half impaired the nameless grace
Which waves in every raven tress,
Or softly lightens o'er her face;
Where thoughts serenely sweet express
How pure, how dear their dwelling-place.
And on that cheek, and o'er that brow,
So soft, so calm, yet eloquent,
The smiles that win, the tints that glow,
But tell of days in goodness spent,
A mind at peace with all below,
A heart whose love is innocent .
So soft, so calm, yet eloquent,
The smiles that win, the tints that glow,
But tell of days in goodness spent,
A mind at peace with all below,
A heart whose love is innocent .
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She Walks in Beauty : lord byron
वक़्त जब सीढ़ियों पर होता है !
वक़्त जब सीढ़ियों पर होता है ना तब आप सबको पीछे छोडते चलना चाहते हो
अकेले , आगे ... और आगे ...
वही वक़्त जब झूले पर होता है तब आप चाहते हो एक और कोई साथ हो
खास खामोशी से देखने को ...
पर वही वक़्त जब रिसकनी पर होता है तब आप झट से कुछ पकड़ लेना चाहते हो
किसी को भी , किसी का भी हाथ ...
और वही वक़्त जब पहाड़ों पर चढ़कर किसी चट्टान के आखिरी किनारे पर से
नीचे गहरी अंधेरी खाई को देखता है , तब उसे पूरा वृत्त
उसी एक बिन्दु पर घूमता दिखाई देने लगता है , वो समझ नहीं पाता किसे थामे !
वक़्त ही हर चित्र रचता है उसमें आपकी भूमिका तय करता है
आपको आपका चरित्र और संवाद देता है और उसी में आपको चिपका देता है !
आपको आपका चरित्र और संवाद देता है और उसी में आपको चिपका देता है !
अ से
Jan 23, 2015
ईश्वर अच्छा कवि नहीं था शायद ...
ईश्वर अच्छा कवि नहीं था शायद
या शायद कवि उतने अच्छे नहीं थे जिन्होंने ईश्वर को लिखा !
अच्छे कर्म करोगे तो स्वर्ग हासिल करोगे
यहीं इसी दुनिया में
काश ईश्वर ने इसे यूं कहा होता
अच्छे से कर्म करोगे तो यहीं स्वर्ग हो जाएगा ।
जहाँ पल पल मृत्यु के खौफ से आप इधर उधर नहीं दौड़ोगे ।
यहीं इसी दुनिया में
काश ईश्वर ने इसे यूं कहा होता
अच्छे से कर्म करोगे तो यहीं स्वर्ग हो जाएगा ।
जहाँ पल पल मृत्यु के खौफ से आप इधर उधर नहीं दौड़ोगे ।
कुछ लोग पृथ्वी पर रहते हैं पृथ्वी पर ही सोते हैं
कुछ के कदम कभी जमीन नहीं छूते
और कुछ को जमीन भी नसीब नहीं
वहाँ मौत की घड़िया चलती रहती है हर वक़्त
और उसी अनुपात में जन्म लेने वाले ।
कुछ के कदम कभी जमीन नहीं छूते
और कुछ को जमीन भी नसीब नहीं
वहाँ मौत की घड़िया चलती रहती है हर वक़्त
और उसी अनुपात में जन्म लेने वाले ।
या शायद वो सबसे अच्छा कवि था
पर उसे पाठक अच्छे नहीं मिले ।
पर उसे पाठक अच्छे नहीं मिले ।
कि वो लिख सकता था इसे बहुत कड़क शब्दों में
या वो लिख सकता था इसे बहुत सजावटी आश्चर्य में
या वो लिख सकता था इसे बहुत सजावटी आश्चर्य में
पर उसने लिखा जस का तस
बोलचाल की भाषा में
बोलचाल की भाषा में
वो सबसे अच्छा कवि है
जिसने कर्म का प्रयोजन बताया कर्म का प्रलोभन नहीं
और प्रयोग की उपलब्धि से ज्यादा ज्ञान की आवश्यकता
शायद वो सबसे अच्छा कवि था
जिसने ये सब खामोशी के लफ्जों में यहाँ वहाँ लिख दिया
या फिर शायद वो जिसने स्पष्ट रूप से सबको बता दिया !
जिसने कर्म का प्रयोजन बताया कर्म का प्रलोभन नहीं
और प्रयोग की उपलब्धि से ज्यादा ज्ञान की आवश्यकता
शायद वो सबसे अच्छा कवि था
जिसने ये सब खामोशी के लफ्जों में यहाँ वहाँ लिख दिया
या फिर शायद वो जिसने स्पष्ट रूप से सबको बता दिया !
वो शायद सबसे अच्छा कवि है
कि उसकी प्रेम कथा के नायक नायिका
ना कभी एक होते हैं ना ही कभी अलग
बस हवाओं में एक दूरी बनाए रखते हैं हमेशा हमेशा !
कि उसकी प्रेम कथा के नायक नायिका
ना कभी एक होते हैं ना ही कभी अलग
बस हवाओं में एक दूरी बनाए रखते हैं हमेशा हमेशा !
अ से
गैलिलियो उछल पड़ा , पृथ्वी गोल है ,
कोपरनिकस प्रमाणित हुआ ,
अरस्तु का भूत अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त था ,
और उसने वहीँ से हाथ हिला कर अपनी प्रसन्नता जाहिर कर दी,
गैलिलियो ने भी अपने स्थान से ही उसके प्रतिकार में आभार प्रकट कर दिया ।
कोपरनिकस प्रमाणित हुआ ,
अरस्तु का भूत अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त था ,
और उसने वहीँ से हाथ हिला कर अपनी प्रसन्नता जाहिर कर दी,
गैलिलियो ने भी अपने स्थान से ही उसके प्रतिकार में आभार प्रकट कर दिया ।
जब मैंने उसे बताया था , पृथ्वी के कोनों के बारे में ,
उसने चाँद को देखकर मेरी बात अनसुनी कर दी थी ,
मेरे दिए गए द्विविमीय चित्रों में सामर्थ्य न थी
जीवन की सारी दिशायें उसे दिखा पाना ,
और ना ही उसने जीवन की गहन सघन दिशाओं में झांकना जरूरी समझा ,
जाने क्या जिद थी , जाने किस हिसाब में उलझा रहना था ॥
उसने चाँद को देखकर मेरी बात अनसुनी कर दी थी ,
मेरे दिए गए द्विविमीय चित्रों में सामर्थ्य न थी
जीवन की सारी दिशायें उसे दिखा पाना ,
और ना ही उसने जीवन की गहन सघन दिशाओं में झांकना जरूरी समझा ,
जाने क्या जिद थी , जाने किस हिसाब में उलझा रहना था ॥
हाँ , मैं , मैं भूल ही गया बताना , मैं दिग्दर्श ।
गुरु बृहस्पति के मिले शाप से अभिशप्त मैं
सदियों से विचर रहा हूँ पृथ्वी पर ,
मुझे नहीं जाना था कहीं कभी इसे छोड़ कर ,
मुझे नहीं पसंद था अपना आकर खोना
मैं अपने दम - क़दम पर चलने का शौक़ीन ,
एक एक कदम संभल कर चलता रहा हूँ , निहारते हुए इसे , सदियों से
मैंने देखा है यहाँ सभ्यताओं को बनते बिगड़ते ,
विशालकाय जीव मेरे सामने से होकर गुज़र गए ,
उन्हें अंदाजा न था पृथ्वी के छोरों का ,
वो रुके नहीं , अंत तक ,
उनका दुस्साहस सीमा से परे हो गया था ,
और वो गिरा दिए गए इस ज़मीन से ,
उन्हें लगता था ये भी अनंत है आकाश की तरह ,
पर पृथ्वी सीमित थी , जैसी आज भी है ,
और वो इसकी हदों के आगे एक कदम रखते ही गिर गए , अन्धकार में ।
गुरु बृहस्पति के मिले शाप से अभिशप्त मैं
सदियों से विचर रहा हूँ पृथ्वी पर ,
मुझे नहीं जाना था कहीं कभी इसे छोड़ कर ,
मुझे नहीं पसंद था अपना आकर खोना
मैं अपने दम - क़दम पर चलने का शौक़ीन ,
एक एक कदम संभल कर चलता रहा हूँ , निहारते हुए इसे , सदियों से
मैंने देखा है यहाँ सभ्यताओं को बनते बिगड़ते ,
विशालकाय जीव मेरे सामने से होकर गुज़र गए ,
उन्हें अंदाजा न था पृथ्वी के छोरों का ,
वो रुके नहीं , अंत तक ,
उनका दुस्साहस सीमा से परे हो गया था ,
और वो गिरा दिए गए इस ज़मीन से ,
उन्हें लगता था ये भी अनंत है आकाश की तरह ,
पर पृथ्वी सीमित थी , जैसी आज भी है ,
और वो इसकी हदों के आगे एक कदम रखते ही गिर गए , अन्धकार में ।
गेलिलियो जानता नहीं था समय की गणित ,
उसने हिसाब समझाया , धर्म की समझ में ना आया ,
उसने हिसाब समझाया , न समझते हुए भी छात्रों ने सहमती में सर हिलाया ,
प्रमाणित हुआ , जो नहीं होना चाहिए था ,
उन्होंने कुछ न छोड़ा , कोई भी कोना नहीं ,
प्रमाण एक गन्दी आदत है ,
बमुश्किल ही कोई छोड़ पाता है , कोई आत्मसाक्षी ही ।
उसने हिसाब समझाया , धर्म की समझ में ना आया ,
उसने हिसाब समझाया , न समझते हुए भी छात्रों ने सहमती में सर हिलाया ,
प्रमाणित हुआ , जो नहीं होना चाहिए था ,
उन्होंने कुछ न छोड़ा , कोई भी कोना नहीं ,
प्रमाण एक गन्दी आदत है ,
बमुश्किल ही कोई छोड़ पाता है , कोई आत्मसाक्षी ही ।
सोचो की ये दुनिया स्वप्न है और तुम चलते हो इसमें
पैरों के तले से जमीन को छूकर ,
दौड़ते हो अलग अलग दिशाओं में , निगाहें उठाकर ,
निगाहें घुमाकर देखते हो सबकुछ ।
पैरों के तले से जमीन को छूकर ,
दौड़ते हो अलग अलग दिशाओं में , निगाहें उठाकर ,
निगाहें घुमाकर देखते हो सबकुछ ।
वास्तव में पृथ्वी का समतल होना ही दिशाओं का ज्ञान है
चित्त सघन का भान , अपने पैरों पर खड़ा होना ,
जिन्हे पृथ्वी गोल लगती है उनकी भी जमीन समतल ही है
पर उन्हें ऊपर और नीचे का अंतर नहीं ज्ञात होता ,
ना दायें और बाएँ का और ना ही भीतर और बाहर का !
चित्त सघन का भान , अपने पैरों पर खड़ा होना ,
जिन्हे पृथ्वी गोल लगती है उनकी भी जमीन समतल ही है
पर उन्हें ऊपर और नीचे का अंतर नहीं ज्ञात होता ,
ना दायें और बाएँ का और ना ही भीतर और बाहर का !
मैं जब सिमट जाता हूँ तो ये कुछ नज़र नहीं आता ॥
ठोस शून्य , पूर्ण स्थिर , निराकार , तब कुछ विचार में नहीं आता ,
और आकार को अस्थिरता का खतरा होता है ,
तब जब ज़मीन का अनुभूतण हुआ , जल से ,
जो की सब जगह समाई ऊष्मा से उत्पन्न हुआ था ,
तब वो जल की गति के कारण अस्थिर और डगमगाई रहती थी , किसी बच्चे की तरह ,
इसको स्थिर रखने का कार्यभार एक नाग ,चार हाथियों और एक कछुए को सोंपा गया ।
ठोस शून्य , पूर्ण स्थिर , निराकार , तब कुछ विचार में नहीं आता ,
और आकार को अस्थिरता का खतरा होता है ,
तब जब ज़मीन का अनुभूतण हुआ , जल से ,
जो की सब जगह समाई ऊष्मा से उत्पन्न हुआ था ,
तब वो जल की गति के कारण अस्थिर और डगमगाई रहती थी , किसी बच्चे की तरह ,
इसको स्थिर रखने का कार्यभार एक नाग ,चार हाथियों और एक कछुए को सोंपा गया ।
नाग , अगत्य था , विगत हर प्रलय में शेष था ,
उसकी स्थिरता पर किसीको संदेह न था , वो अच्छा आधार हुआ ,
उसने आकाशीय चेतना में विचरते , वायु विचारों के, ऊष्म प्रवाह से उत्पन्न
तरल भावों के सूखने से सृष्ट , पृथ्वी को और आगे
अन्धकार मय अस्थिर परिदृश्य में जाने से भलीभांति रोक लिया ,
उसे सब और से लपेट कर वहीँ सीमित कर दिया ,
चेतना अन्धकार में तरह तरह के कष्ट पाती है , स्वप्न मूर्छा में घिरने लगती है ,
जब तक की उसे अन्धकार से उठने की सुध नहीं आती
और सुकून की सीमान्त धरा की शरण नहीं मिल जाती ।
उसकी स्थिरता पर किसीको संदेह न था , वो अच्छा आधार हुआ ,
उसने आकाशीय चेतना में विचरते , वायु विचारों के, ऊष्म प्रवाह से उत्पन्न
तरल भावों के सूखने से सृष्ट , पृथ्वी को और आगे
अन्धकार मय अस्थिर परिदृश्य में जाने से भलीभांति रोक लिया ,
उसे सब और से लपेट कर वहीँ सीमित कर दिया ,
चेतना अन्धकार में तरह तरह के कष्ट पाती है , स्वप्न मूर्छा में घिरने लगती है ,
जब तक की उसे अन्धकार से उठने की सुध नहीं आती
और सुकून की सीमान्त धरा की शरण नहीं मिल जाती ।
पर धरती अभी भी बैचेन थी ,
उसे धीरज दिलाने के लिए , नाग के ऊपर महासंयमी कूर्म को जगह दी गयी ,
कूर्म जो कठोर तप है सघन ऊष्मा लिए हुए ,
और पृथ्वी थोड़ी और सिमट कर सघन हुयी ,
चेतन हृद में अभी अभी कूर्म नाड़ी का निर्माण हुआ ,
और पृथ्वी अपनी जगह स्थिर हो गयी ,
और तभी मुझे भी निमंत्रणा गया , दिशाओं का ध्यान रखने के लिए ,
और तब चार कोनों में महाविवेकी चार गज चौकीदार हुए ,
दिग्गज , दिशाओं के हाथी , जो दिशाओं में चेतना के संयम से जन्मे ,
दिशाओं के अंतिम छोर हैं , और अंत से मुख्य द्वार रक्षक ,
एक पूर्व में घटित कहानियाँ सुनाता है ,
तो पश्चिमी अनुमानित सार बताता है ,
उत्तर और दक्षिण की और के हाथी सिर्फ सुनते हैं ,
और उसमें से अपने अपने विवेक के अनुसार भाग्य और पुरुषार्थ का निर्णय करते हैं ,
चारों हाथी बहुत अच्छे मित्र हैं , दिनभर बतियाते हैं , पूर्व वाला पश्चिम का और वाम दक्षिण का प्रिय है ,
बड़ी ही ख़ामोशी से , बहुत दूर से संप्रेक्षण करते पृथ्वी पर श्रुतियाँ बरसाते हैं ।
उसे धीरज दिलाने के लिए , नाग के ऊपर महासंयमी कूर्म को जगह दी गयी ,
कूर्म जो कठोर तप है सघन ऊष्मा लिए हुए ,
और पृथ्वी थोड़ी और सिमट कर सघन हुयी ,
चेतन हृद में अभी अभी कूर्म नाड़ी का निर्माण हुआ ,
और पृथ्वी अपनी जगह स्थिर हो गयी ,
और तभी मुझे भी निमंत्रणा गया , दिशाओं का ध्यान रखने के लिए ,
और तब चार कोनों में महाविवेकी चार गज चौकीदार हुए ,
दिग्गज , दिशाओं के हाथी , जो दिशाओं में चेतना के संयम से जन्मे ,
दिशाओं के अंतिम छोर हैं , और अंत से मुख्य द्वार रक्षक ,
एक पूर्व में घटित कहानियाँ सुनाता है ,
तो पश्चिमी अनुमानित सार बताता है ,
उत्तर और दक्षिण की और के हाथी सिर्फ सुनते हैं ,
और उसमें से अपने अपने विवेक के अनुसार भाग्य और पुरुषार्थ का निर्णय करते हैं ,
चारों हाथी बहुत अच्छे मित्र हैं , दिनभर बतियाते हैं , पूर्व वाला पश्चिम का और वाम दक्षिण का प्रिय है ,
बड़ी ही ख़ामोशी से , बहुत दूर से संप्रेक्षण करते पृथ्वी पर श्रुतियाँ बरसाते हैं ।
उस दिन पृथ्वी पर काला दिन घोषित हुआ ,
भविष्य अन्धकार मय होने वाला था ,
क्योंकि एक मेंढक ने अपने कुएं को दुनिया सिद्ध कर दिया था ॥
अ से
भविष्य अन्धकार मय होने वाला था ,
क्योंकि एक मेंढक ने अपने कुएं को दुनिया सिद्ध कर दिया था ॥
अ से
Jan 22, 2015
Body of a Woman -- Neruda .
एक स्त्री की देह
उजले ऊरु , उजले उभार
जैसे तुम हो कोई संसार
आत्मसमर्पण में बिछा हुआ
मेरी रूखी कृषक देह कुरेदती है तुम्हें
और प्रेरित करती है पुत्रों को
उपज आने में पाताल के अँधेरों से ।
उजले ऊरु , उजले उभार
जैसे तुम हो कोई संसार
आत्मसमर्पण में बिछा हुआ
मेरी रूखी कृषक देह कुरेदती है तुम्हें
और प्रेरित करती है पुत्रों को
उपज आने में पाताल के अँधेरों से ।
मैं अकेला था
किसी खाली सुरंग की तरह
पंछी जहाँ से उड़ चुके थे
अंधकार भीतर तक भरने लगा था
अपने प्लावित आक्रमणों में मुझे ।
किसी खाली सुरंग की तरह
पंछी जहाँ से उड़ चुके थे
अंधकार भीतर तक भरने लगा था
अपने प्लावित आक्रमणों में मुझे ।
एक हथियार की तरह
मैंने तुम्हें ढाला आत्मरक्षा के लिए
मेरे धनुष के एक तीर
मेरी गुलेल में एक पत्थर की जगह ।
मैंने तुम्हें ढाला आत्मरक्षा के लिए
मेरे धनुष के एक तीर
मेरी गुलेल में एक पत्थर की जगह ।
लेकिन प्रतिशोध का समय गुज़र गया
और मुझे प्यार है तुमसे
देह , कोमल त्वचा की , फिसलन भरी
उन्माद और उत्सुकता से भरी हुयी
ओह ! स्तन के प्यालों
ओह ! अनुपस्थिति की आँखों
ओह ! तरुणाई का गुलाब
ओह ! तुम्हारी आवाज़ , शांत और उदास
ओह ! देह मेरी स्त्री की
मैं लगा रहूँगा तुम्हारे आकर्षण में
ओह ! मेरी प्यास ,
मेरी असीम चाह
मेरी बदली हुयी राह !
नदी के गहरे किनारे
जहां बहती है शाश्वत प्यास
पीछा करते हैं थकान के एहसास
और एक अंतहीन दुःख !
और मुझे प्यार है तुमसे
देह , कोमल त्वचा की , फिसलन भरी
उन्माद और उत्सुकता से भरी हुयी
ओह ! स्तन के प्यालों
ओह ! अनुपस्थिति की आँखों
ओह ! तरुणाई का गुलाब
ओह ! तुम्हारी आवाज़ , शांत और उदास
ओह ! देह मेरी स्त्री की
मैं लगा रहूँगा तुम्हारे आकर्षण में
ओह ! मेरी प्यास ,
मेरी असीम चाह
मेरी बदली हुयी राह !
नदी के गहरे किनारे
जहां बहती है शाश्वत प्यास
पीछा करते हैं थकान के एहसास
और एक अंतहीन दुःख !
Body of a Woman -- Neruda .
Jan 21, 2015
कचहरी
घिरा हुआ हूँ साक्ष्यों से
पर कुछ मुकदमे सुलझने नहीं हैं ,
देर तक देखता हूँ खुद एक गवाह की तरह
पर क्या मैं फैसला देना चाहता हूँ ?
दोष का सिद्ध हो जाना
क्या दोषी करार दे दिया जाना है
क्या मुझे फैसला सुना देने का अधिकार हो जाना है ?
दोषी का फैसला क्या सजा होती है / हो सकती है ?
क्या फैसले दोष दूर कर सकते हैं ?
मैं क्यों फैसला कर देना चाहता हूँ ।
क्या मुकदमा वहीं खत्म हो जाता है ?
क्या कुछ मुकदमे सुलझ सकते हैं ? कभी !
क्या दोषी करार दे दिया जाना है
क्या मुझे फैसला सुना देने का अधिकार हो जाना है ?
दोषी का फैसला क्या सजा होती है / हो सकती है ?
क्या फैसले दोष दूर कर सकते हैं ?
मैं क्यों फैसला कर देना चाहता हूँ ।
क्या मुकदमा वहीं खत्म हो जाता है ?
क्या कुछ मुकदमे सुलझ सकते हैं ? कभी !
भाव भी कितनी जल्दी बदलते हैं ना !
एक दुर्घटना हुयी ,
माफ कीजिएगा एक घटना हुयी ,
उस घटना में कुछ बातें अनायास थी
कुछ बातें सप्रयास ,
पर सप्रयास कितना सप्रयास था कितना अनायास , कौन जाने !
तो एक घटना हुयी
और आप जानना चाहते हो दोष किसका ?
आप घटना के पीछे का कारण जानना चाहते हो ?
किसी एक का दोष सिद्ध होता है ,
क्या वो दोषी हर पल दोषी है , या उस घटना के लिए दोषी है ,
क्या दो दोष खुद एक घटना नहीं ?
क्या उसके पीछे के कारण जानने में किसी की दिलचस्पी है ?
क्या दिलचस्पी भी एक घटना नहीं ?
क्या इस घटना का कारण जानने लायक है ?
क्या हर सवाल का उत्तर दिया जाना आवश्यक है ?
क्या हर सवाल का उत्तर है ?
क्या कोई सवाल है ? हो सकता है ?
क्या बिना सवाल जवाब
कोई मुकदमा सुलझ सकता है ?
क्या जरूरी है मुकदमा सुलझाना !
एक दुर्घटना हुयी ,
माफ कीजिएगा एक घटना हुयी ,
उस घटना में कुछ बातें अनायास थी
कुछ बातें सप्रयास ,
पर सप्रयास कितना सप्रयास था कितना अनायास , कौन जाने !
तो एक घटना हुयी
और आप जानना चाहते हो दोष किसका ?
आप घटना के पीछे का कारण जानना चाहते हो ?
किसी एक का दोष सिद्ध होता है ,
क्या वो दोषी हर पल दोषी है , या उस घटना के लिए दोषी है ,
क्या दो दोष खुद एक घटना नहीं ?
क्या उसके पीछे के कारण जानने में किसी की दिलचस्पी है ?
क्या दिलचस्पी भी एक घटना नहीं ?
क्या इस घटना का कारण जानने लायक है ?
क्या हर सवाल का उत्तर दिया जाना आवश्यक है ?
क्या हर सवाल का उत्तर है ?
क्या कोई सवाल है ? हो सकता है ?
क्या बिना सवाल जवाब
कोई मुकदमा सुलझ सकता है ?
क्या जरूरी है मुकदमा सुलझाना !
जबकि मैं घिरा हुआ हूँ साक्ष्यों से
और हर एक वस्तु , हर एक बात , हर एक घटना ,
साक्ष्य है , जबकि हर कोई घिरा हुआ है उनसे ,
और खुद एक सबसे बड़ा साक्ष्य है ,
पर क्या कोई मुकदमा है ?
और हर एक वस्तु , हर एक बात , हर एक घटना ,
साक्ष्य है , जबकि हर कोई घिरा हुआ है उनसे ,
और खुद एक सबसे बड़ा साक्ष्य है ,
पर क्या कोई मुकदमा है ?
अ से
एक अंत है हर घटना
दृश्यों के इस प्रवाहमान नद्य में
एक अंत है हर घटना ,
रोशनी की एक छोटी सी किरण ,
शांत हो जाना उसका ,
और फिर अँधेरा हो जाना है ,कहानी के अंत तक
एक मीठी नींद और एक नया सूरज इंतेजार कर रहे हैं जहाँ ।
अ से
Jan 20, 2015
April Rain Song -- Langston Hughes
चूमने दो बारिश को तुम्हें
लगने दो बारिश को सर पर चमकीली गीली बूंदों में
गाने दो बारिश को तुम्हारे लिए एक लोरी
कि ये बारिश बनाती है अभी भी तालाब छोटे छोटे गड्ढों में
कि ये बारिश तैराती है अभी भी नाव सड़कों के किनारे
और ये बारिश गाती है एक प्यारी नींद की धुन हमारी छतों पर रात में
और मुझे प्यार है इस बारिश से ।
लगने दो बारिश को सर पर चमकीली गीली बूंदों में
गाने दो बारिश को तुम्हारे लिए एक लोरी
कि ये बारिश बनाती है अभी भी तालाब छोटे छोटे गड्ढों में
कि ये बारिश तैराती है अभी भी नाव सड़कों के किनारे
और ये बारिश गाती है एक प्यारी नींद की धुन हमारी छतों पर रात में
और मुझे प्यार है इस बारिश से ।
Langston Hughes -- April Rain Song
Jan 19, 2015
दिल के एक अलग आले में ...
दिल के एक अलग आले में , दुनिया से दूर
जहां पहुँच ना सके कोई कभी
मैं चाहता हूँ रखना तुझे ।
मैं देखना चाहता हूँ , चेहरा तेरा
बिना लिपे पुते , बिना कोई शक्ल बनाए
ताकि मैं देख सकूँ
खिलती हुयी मुस्कान
रोशनी के सफहों से लिखी हुयी
मद्दम मद्दम
बदलते हुये रंगों को
देखना चाहता हूँ
प्रकृति की अद्भुत कूँची
अटखेलियाँ करते हुये भावों को
तेरे चेहरे पर
हर लकीर को मुड़ते हुये
आँखों में कैद कर लेना चाहता हूँ
हर सफ़हा तेरी खुशी का ।
बिना लिपे पुते , बिना कोई शक्ल बनाए
ताकि मैं देख सकूँ
खिलती हुयी मुस्कान
रोशनी के सफहों से लिखी हुयी
मद्दम मद्दम
बदलते हुये रंगों को
देखना चाहता हूँ
प्रकृति की अद्भुत कूँची
अटखेलियाँ करते हुये भावों को
तेरे चेहरे पर
हर लकीर को मुड़ते हुये
आँखों में कैद कर लेना चाहता हूँ
हर सफ़हा तेरी खुशी का ।
स्मृति के एक अलग कोष में , खुद से भी दूर
जिसे धुंधला ना सकूँ मैं भी
मैं चाहता हूँ रखना तुझे ।
जिसे धुंधला ना सकूँ मैं भी
मैं चाहता हूँ रखना तुझे ।
मैं सोचना चाहता हूँ , तुझे हर लम्हा
बिना किसी विचलन , पूरी जिंदगी का समय लेकर
ताकि मैं देख सकूँ
तेरे दिलखुश अंदाज़
स्वर्ग की नम बारिशों में
तेरा रक्स
तुझे छूकर जाती हवा के साथ
प्रकृति के सबसे भंगुर सबसे कोमल चित्रों को
उसके सौ रूपों में
कैद कर लेना चाहता हूँ
स्मृति में तुझे
खुद को पूरी तरह से भुलाकर ।
बिना किसी विचलन , पूरी जिंदगी का समय लेकर
ताकि मैं देख सकूँ
तेरे दिलखुश अंदाज़
स्वर्ग की नम बारिशों में
तेरा रक्स
तुझे छूकर जाती हवा के साथ
प्रकृति के सबसे भंगुर सबसे कोमल चित्रों को
उसके सौ रूपों में
कैद कर लेना चाहता हूँ
स्मृति में तुझे
खुद को पूरी तरह से भुलाकर ।
अ से
Refugee blues -- WH Auden
शरणार्थीय उदासता :
कहते हैं ये शहर रखता है सौ लाख आत्माएँ
कुछ रह रही है बँगलो में , कुछ रह रही है गड्ढों में :
तब भी कोई जगह नहीं हमारे लिए , मेरे दोस्त , तब भी कोई जगह नहीं हमारे लिए ।
कुछ रह रही है बँगलो में , कुछ रह रही है गड्ढों में :
तब भी कोई जगह नहीं हमारे लिए , मेरे दोस्त , तब भी कोई जगह नहीं हमारे लिए ।
एक समय एक देश था हमारा और हम मानते थे इसे जहाँ
देखो मानचित्र में और ये तुम्हें मिल जाएगा यहाँ :
हम नहीं जा सकते अब वहाँ , मेरे दोस्त , हम नहीं जा सकते अब वहाँ ।
देखो मानचित्र में और ये तुम्हें मिल जाएगा यहाँ :
हम नहीं जा सकते अब वहाँ , मेरे दोस्त , हम नहीं जा सकते अब वहाँ ।
वहाँ गाँव के कब्रिस्तान में बढ़ता है एक पुराना सदाबहार (वृक्ष)
हर बहार में ये खिल जाता है नया सा :
पुराने पासपोर्ट नहीं कर सकते ये , मेरे दोस्त । पुराने पासपोर्ट नहीं कर सकते ये ।
हर बहार में ये खिल जाता है नया सा :
पुराने पासपोर्ट नहीं कर सकते ये , मेरे दोस्त । पुराने पासपोर्ट नहीं कर सकते ये ।
राजदूत आया और मेज ठोक कर बोला ,
" अगर तुम्हारे पास पासपोर्ट नहीं है तो आधिकारिक तौर पर मर चुके हो तुम ":
पर हम जिंदा हैं अभी तक , मेरे दोस्त , पर हम जिंदा हैं अभी तक ।
" अगर तुम्हारे पास पासपोर्ट नहीं है तो आधिकारिक तौर पर मर चुके हो तुम ":
पर हम जिंदा हैं अभी तक , मेरे दोस्त , पर हम जिंदा हैं अभी तक ।
गया एक सीमिति में ; उन्होने मुझे बैठने को कुर्सी दी ;
और विनम्रता से कहा अगले साल आना :
पर कहाँ जाये हम आज अभी , मेरे दोस्त , पर कहाँ जायें हम आज अभी ?
और विनम्रता से कहा अगले साल आना :
पर कहाँ जाये हम आज अभी , मेरे दोस्त , पर कहाँ जायें हम आज अभी ?
पहुँचा एक सार्वजनिक सभा में : वक्ता उठा और बोला ;
" अगर हम उन्हे आने देंगे , वो चुरा लेंगे हमारी रोज-रोटी " :
वो बोल रहे थे मेरे तुम्हारे बारे में , मेरे दोस्त , वो बोल रहे थे मेरे तुम्हारे बारे में ।
" अगर हम उन्हे आने देंगे , वो चुरा लेंगे हमारी रोज-रोटी " :
वो बोल रहे थे मेरे तुम्हारे बारे में , मेरे दोस्त , वो बोल रहे थे मेरे तुम्हारे बारे में ।
सोचो मैंने सुना बिज़ली को आकाश में गड़गड़ाती हुयी ;
वो हिटलर सी यूरोप पर , कह रही थी , "उन्हें मरना ही होगा " :
ओ हम उसके दिमाग में थे , मेरे दोस्त , हम उसके दिमाग में थे ।
वो हिटलर सी यूरोप पर , कह रही थी , "उन्हें मरना ही होगा " :
ओ हम उसके दिमाग में थे , मेरे दोस्त , हम उसके दिमाग में थे ।
देखा एक नन्हा पिल्ला पिन से बंधा हुआ एक जैकेट में ,
देखा एक दरवाजा खुलते हुये और एक बिल्ली को अंदर बुलाते :
लेकिन वो नहीं थे जर्मन यहूदी , मेरे दोस्त , लेकिन वो नहीं थे जर्मन यहूदी ।
देखा एक दरवाजा खुलते हुये और एक बिल्ली को अंदर बुलाते :
लेकिन वो नहीं थे जर्मन यहूदी , मेरे दोस्त , लेकिन वो नहीं थे जर्मन यहूदी ।
गया नीचे बन्दरगाह पर और खड़ा हो गया घाट पर ,
देखा मछलियों को तैरते हुये कितनी आजाद थी वो :
सिर्फ 10 फुट दूर , मेरे दोस्त , सिर्फ दस फुट दूर ।
देखा मछलियों को तैरते हुये कितनी आजाद थी वो :
सिर्फ 10 फुट दूर , मेरे दोस्त , सिर्फ दस फुट दूर ।
गुज़रा एक जंगल से , देखा पंछियों को पेड़ों में ;
उनमें नहीं थे कोई राजनीतिज्ञ और वो गाती थी मन चाहा :
वो इंसानी सभ्यता नहीं थी , मेरे दोस्त , वो इंसानी सभ्यता नहीं थी ।
उनमें नहीं थे कोई राजनीतिज्ञ और वो गाती थी मन चाहा :
वो इंसानी सभ्यता नहीं थी , मेरे दोस्त , वो इंसानी सभ्यता नहीं थी ।
सपने में देखी मैंने एक इमारत हज़ार मंजिलों वाली ,
हजारों खिड़कियाँ और हजारों दरवाजे :
एक भी नहीं थी उसमें से हमारी , मेरे दोस्त , एक भी नहीं थी उसमें हमारी ।
हजारों खिड़कियाँ और हजारों दरवाजे :
एक भी नहीं थी उसमें से हमारी , मेरे दोस्त , एक भी नहीं थी उसमें हमारी ।
खड़ा हूँ एक महान समतल पर गिरती हुयी बर्फ में ,
दस हज़ार सैनिक , आगे आते हैं और चले जाते हैं :
तलाश में तुम्हारी और मेरी , मेरे दोस्त , तलाश में तुम्हारी और मेरी ।
दस हज़ार सैनिक , आगे आते हैं और चले जाते हैं :
तलाश में तुम्हारी और मेरी , मेरे दोस्त , तलाश में तुम्हारी और मेरी ।
Refugee blues -- WH Auden
Dreams -- Langston Hughes
सीने से रखो सपनों को
कि जब सपने मरते हैं
जीवन एक पंछी है टूटे परों वाला
जो उड़ नहीं सकता ।
सीने से रखो सपनों को
कि जब सपने रूठते हैं
जीवन एक खाली मैदान है
बर्फ से जमा हुआ ।
कि जब सपने मरते हैं
जीवन एक पंछी है टूटे परों वाला
जो उड़ नहीं सकता ।
सीने से रखो सपनों को
कि जब सपने रूठते हैं
जीवन एक खाली मैदान है
बर्फ से जमा हुआ ।
Dreams -- Langston Hughes
Jan 17, 2015
एक पत्थर जो सदियों से वहीं था
एक पत्थर जो सदियों से वहीं था , जिसके बारे में चर्चाएँ थी दूर दूर तक ,
वो कब से वहीं था कोई नहीं जानता , वो कब तक वहाँ होगा कोई नहीं जानता ।
लोगों के मन में निश्चित थी उसकी स्थिति , कि वो है , कि कहाँ है वो , और दूसरा समय-रेखा में उसका कोई ओर-छोर किसी को नहीं पता था / समाजिकता के संदर्भ में भी वो हजारों लोगों द्वारा पूजित था इससे उसकी सत्यता पूर्णतः खंडित नहीं की जा सकती थी और उस पर स्वतः ही श्रद्धा झलकती थी । वो चमकीले काले राग का एक पत्थर था जिसने ना जाने कितने मौसम सर्दी गर्मी के ताप झेले थे और फिर भी अविचल स्थिर और अपने अस्तित्व को लेकर अशंक था , उसका कोई रूप नहीं था कि सर धड़ या हाथ पैर अलग किए जा सकते हों वो अरूप मात्र एक लिंग एक चिन्ह था जो अपने अस्तित्व की उपस्थिती दर्ज कराये वहाँ सदियों से विद्यमान था ।
वो ठोस इंद्रिय शून्य मनः शून्य जीव शून्य पत्थर ,
वो आत्मा का रूपक था , ईश्वर का एक बिम्ब चिन्ह प्रतीक ,
वो पूज्य था ।
अ से
Are You Drinking ? -- Charles Bukowski
थका हुआ , सागर किनारे , एक पुरानी पीली डायरी
बाहर फिर से ,
मैंने लिखा बिस्तर पर से
जैसा मैंने किया था
पिछले बरस ।
मिलुंगा चिकित्सक से
सोमवार ।
" हाँ , डॉक्टर , पाँव में दर्द , वर्टिगो , सिर दर्द , और मेरी पीठ
तकलीफ देती है । "
" तुम पी रहे हो आजकल ? " वो पूछेगा ।
" तुम ले रहे हो अपनी एक्सरसाइज़ , तुम्हारे
विटामिन्स ?
मुझे लगता है कि मैं बस थोड़ा परेशान हूँ
जिंदगी से , वही बासी पुरानी
पर अस्थिर कारक इसके ।
यहाँ तक की रेसकोर्स में
मैंने देखा घोड़ों को दौड़ते हुये
और ये सब लगा
निरर्थक ।
मैं जल्दी ही निकल आया , टिकेट्स खरीदने के बाद
बाकी बची दौड़ों के ।
" जा रहे हो ?" मोटेल क्लर्क ने पूछा ।
" हाँ ये उबाऊ है "
मैंने उसे बताया ।
"अगर तुम्हें लगता है ये उबाऊ है "
उसने मुझसे कहा , " तो तुम्हें
नहीं आना चाहिए यहाँ लौटकर । "
तो ये रहा मैं
अपने तकिये पर सिर टिकाये
फिर से
बस एक बूढ़ा आदमी
बस एक बूढ़ा लेखक
साथ लिए अपनी
पीली डायरी ।
कुछ चल कर आ रहा है
फर्श पर से
मेरी ओर ।
ओह , ये है बस
मेरी बिल्ली
इस
बार ।
Are You Drinking ? -- Charles Bukowski ।
Jan 16, 2015
वास-निर्वास
1
---------
---------
वो सब कुछ बहुत तकलीफ देता है
जो आपको सुला दे
तब जबकि आप सोना नहीं चाहते
आप छटपटाते हो ।
जो आपको सुला दे
तब जबकि आप सोना नहीं चाहते
आप छटपटाते हो ।
और वो 'गहरी नींद' में चले जाने की तकलीफ नहीं ,
आप छटपटाते हो उस सब के लिए
जो आपसे छूट रहा है ,
तब जबकि उनमें भावनाएँ बाकी हैं आपकी !
आप छटपटाते हो उस सब के लिए
जो आपसे छूट रहा है ,
तब जबकि उनमें भावनाएँ बाकी हैं आपकी !
2
--------
जब वो मुझे याद आती नहीं
मैं उसकी तरफ खिंचा जाता कैसे
तब जब वो मुझको भूल गयी हो
उसको अपनी याद दिलाता कैसे
तब जब लंबे अंतराल तक अंतराल रहा
तब कोई ख्याल आता कैसे
वरना गर सब चमकीला ही रहता
तो फिर दिन धुंधलाता कैसे ।
मैं उसकी तरफ खिंचा जाता कैसे
तब जब वो मुझको भूल गयी हो
उसको अपनी याद दिलाता कैसे
तब जब लंबे अंतराल तक अंतराल रहा
तब कोई ख्याल आता कैसे
वरना गर सब चमकीला ही रहता
तो फिर दिन धुंधलाता कैसे ।
अ से
अ से अध्यापक :
हिसाब लगाओ ...
ये एक अंक की संख्या
सब न्यास घटाकर
सब जोड़ बैठा कर भी
एक अंक की ही रह गयी !
सब न्यास घटाकर
सब जोड़ बैठा कर भी
एक अंक की ही रह गयी !
अगले अंक में
हासिल क्या हुआ !
.......................................
हासिल क्या हुआ !
.......................................
भाग दो ...
कुल जमा स्मृति में
बीते कुल समय का
बीते कुल समय का
जी जाती है कितनी जिंदगी
एक पल में ?
.........................................
एक पल में ?
.........................................
Jan 12, 2015
पहेली कोई उदासी की ...
कितनी खूबसूरत
पहेली कोई उदासी की पर ,
वो , वो आँखें वो ,
वो आँखें ही वो ।
जो ठहर गयी थी समय में
कैद कर लिया था जिसे रौशनी ने खास
या हो गयी थी अचानक अनायास ।
कैद कर लिया था जिसे रौशनी ने खास
या हो गयी थी अचानक अनायास ।
कि हटती नहीं थी निगाहों से
उन आँखों की उदास
ठहरी हुयी प्यास ।
उन आँखों की उदास
ठहरी हुयी प्यास ।
क्या कोई जीवन है वो पूछती हैं
कि अगर है तो उन आँखों में
क्यूँ नज़र नहीं आता
कि क्या कोई खुशी है
जिसके लिए लड़ मरते हैं हम ।
कि अगर है तो उन आँखों में
क्यूँ नज़र नहीं आता
कि क्या कोई खुशी है
जिसके लिए लड़ मरते हैं हम ।
क्या कहीं मौत है
जिसमें सो सकें वो
कि अगर है तो उन आँखों में
क्यूँ नज़र नहीं आती
कि क्या कोई शांति है शाश्वत
जिसके आश्वासन में जीते जाते हैं हम ।
जिसमें सो सकें वो
कि अगर है तो उन आँखों में
क्यूँ नज़र नहीं आती
कि क्या कोई शांति है शाश्वत
जिसके आश्वासन में जीते जाते हैं हम ।
अ से
in the ear of a girl -- Federico García Lorca
कान में एक लड़की के
-------------------------
-------------------------
नहीं चाहा
नहीं कहा कुछ भी ।
नहीं कहा कुछ भी ।
उसकी दो आँखों में मैंने देखे
दो छोटे पगलाए पौधे ।
हवा के , हँसी के और सोने के ,
हिचकोले खाते ।
दो छोटे पगलाए पौधे ।
हवा के , हँसी के और सोने के ,
हिचकोले खाते ।
नहीं चाहा
नहीं कहा कुछ भी ।
in the ear of a girl -- Federico García Lorca
नहीं कहा कुछ भी ।
in the ear of a girl -- Federico García Lorca
लकीर के फकीर
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किसी ने खींची एक लकीर
रास्ते का रूपक धड़
कोई आया बिना समझे
कर गया उसको छड़ ।
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रास्ते का रूपक धड़
कोई आया बिना समझे
कर गया उसको छड़ ।
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किसी ने खींची एक लकीर
दूसरे ने आकर उसे गहरा दिया और
फिर वो होती गयी गहरी हर छोर ।
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दूसरे ने आकर उसे गहरा दिया और
फिर वो होती गयी गहरी हर छोर ।
-----------
किसी ने खींची एक लकीर
दूसरा लगाने लगा अनुमान
कैसा है उसके दूसरी ओर का आसमान ।
--------------
दूसरा लगाने लगा अनुमान
कैसा है उसके दूसरी ओर का आसमान ।
--------------
किसी ने खींची एक लकीर
दूसरी फिर तीसरी बना दिया नक्शा पूरा
और उलझा हुआ है उनमें अब हर दिमाग अधूरा ।
--------------
दूसरी फिर तीसरी बना दिया नक्शा पूरा
और उलझा हुआ है उनमें अब हर दिमाग अधूरा ।
--------------
किसी ने खींची एक लकीर
एक राग ने उसके समानान्तर
फिर एक आग ने खींची एक और लकीर
समकोण पर उन सभी को काट कर ।
---------------
एक राग ने उसके समानान्तर
फिर एक आग ने खींची एक और लकीर
समकोण पर उन सभी को काट कर ।
---------------
किसी ने खींची एक लकीर
किसी और ने कुछ सोचकर खींचनी चाही विपरीत
पर हर बार उसी को पाया
उसने देर तक कागज देखा और उसे फाड़कर मुस्कुराया ।
-----------------
किसी और ने कुछ सोचकर खींचनी चाही विपरीत
पर हर बार उसी को पाया
उसने देर तक कागज देखा और उसे फाड़कर मुस्कुराया ।
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किसी ने खींची एक लकीर
उसने आकर पीट दी
क्यूंकि यही करते हैं सभी ।
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उसने आकर पीट दी
क्यूंकि यही करते हैं सभी ।
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किसी ने खींची एक लकीर
भटकाव से बचने को
पर उसी रास्ते भटक गया तीर ।
भटकाव से बचने को
पर उसी रास्ते भटक गया तीर ।
अ से
he yawns
eyes , they open ,
he yawns ,
and the world
comes into being ,
he creates everything
around him ,
one more day ends
tired , he yawns yet again
the world goes into
slumber , unexpressed !
a se
he yawns ,
and the world
comes into being ,
he creates everything
around him ,
one more day ends
tired , he yawns yet again
the world goes into
slumber , unexpressed !
a se
Jan 11, 2015
horoscope --- vladimir holan
राशिफल
-----------
शाम की शुरुआत ... कब्रिस्तान ... और हवा इतनी तीखी
जैसे हाड़ की किरचें किसी कसाईखाने में ।
कब से लगी हुयी जंग अचानक झिंझोड़ देती है
साँचे को इसके संतप्त रूप से बाहर ,
और इस सब से ऊपर , शर्म के आँसुओं से भी ऊपर ,
सितारों ने लगभग तय कर लिया है कबूलना ।
क्यों हम समझते हैं सरलता को सिर्फ तभी जब दिल टूटता है
और हम अचानक हम हो जाते हैं , अकेले और भाग्यहीन ।
-----------
शाम की शुरुआत ... कब्रिस्तान ... और हवा इतनी तीखी
जैसे हाड़ की किरचें किसी कसाईखाने में ।
कब से लगी हुयी जंग अचानक झिंझोड़ देती है
साँचे को इसके संतप्त रूप से बाहर ,
और इस सब से ऊपर , शर्म के आँसुओं से भी ऊपर ,
सितारों ने लगभग तय कर लिया है कबूलना ।
क्यों हम समझते हैं सरलता को सिर्फ तभी जब दिल टूटता है
और हम अचानक हम हो जाते हैं , अकेले और भाग्यहीन ।
-- व्लादिमीर होलान
dont go yet --- vladimir holan
नहीं , अभी से मत जाओ
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नहीं , अभी से मत जाओ , मत घबराओ इन सब उत्तेजनाओं से
यह तो एक भालू है , शहद के छत्ते को खोलता हुआ , बाग में
वो जल्दी ही शान्त हो जाएगा ।
मैं भी रोक लूँगा शब्दों को जो ऐसे झपटते हैं जैसे सर्प के शुक्राणु
ईडेन की उस स्त्री की तरफ ।
नहीं , अभी से मत जाओ , झुकाओ नहीं अपने चेहरे का परदा ,
जबकि केसर की गंध ने रौशन कर दिया है ये मैदान ।
यही है वो जो तुम तब हो , जीवन , भले तुम कहती हो :
चाह से , हम जोड़ते हैं कुछ और । पर प्यार
प्यार रहता है ।
यह तो एक भालू है , शहद के छत्ते को खोलता हुआ , बाग में
वो जल्दी ही शान्त हो जाएगा ।
मैं भी रोक लूँगा शब्दों को जो ऐसे झपटते हैं जैसे सर्प के शुक्राणु
ईडेन की उस स्त्री की तरफ ।
नहीं , अभी से मत जाओ , झुकाओ नहीं अपने चेहरे का परदा ,
जबकि केसर की गंध ने रौशन कर दिया है ये मैदान ।
यही है वो जो तुम तब हो , जीवन , भले तुम कहती हो :
चाह से , हम जोड़ते हैं कुछ और । पर प्यार
प्यार रहता है ।
--- व्लादिमीर होलान
that hour -- vladimir holan
वो पहर
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-----------
यह है वो पहर : संगीत से संभव नहीं
और शब्द बेमतलब हैं । वो उदास पंक्ति खालीपन की
खींच दी गयी साँसों के द्वारा बेसब्री से दिखाती है
कि वास्तविकता की पूर्णता चाहिए होती है
कार्य को छवि बनने के लिए ।
बरसात शुरू हो गयी है ,
सुर्ख फीका हो रहा है डहलिया ( के फूलों ) से ,
खूनी धोता है अपने हाथ झरने पर ।
और शब्द बेमतलब हैं । वो उदास पंक्ति खालीपन की
खींच दी गयी साँसों के द्वारा बेसब्री से दिखाती है
कि वास्तविकता की पूर्णता चाहिए होती है
कार्य को छवि बनने के लिए ।
बरसात शुरू हो गयी है ,
सुर्ख फीका हो रहा है डहलिया ( के फूलों ) से ,
खूनी धोता है अपने हाथ झरने पर ।
--- व्लादिमीर होलान
nothing after all -- vladimir holan
कुछ नहीं आखिर
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हाँ , अभी सुबह है और मैं नहीं जानता
क्यों इस पूरे सप्ताह मैं दौड़ता रहा
बाहर ठंडी सड़कों से इस दरवाजे तक
कहाँ खड़ा हूँ मैं अब , अपने समय के सामने ।
मैं नहीं चाहता था मजबूर करना भविष्य को ।
मैं नहीं चाहता था जगाना उस अंधे आदमी को ।
उसे खोलना है वो दरवाजा मेरे लिए
और चले जाना है फिर से ।
क्यों इस पूरे सप्ताह मैं दौड़ता रहा
बाहर ठंडी सड़कों से इस दरवाजे तक
कहाँ खड़ा हूँ मैं अब , अपने समय के सामने ।
मैं नहीं चाहता था मजबूर करना भविष्य को ।
मैं नहीं चाहता था जगाना उस अंधे आदमी को ।
उसे खोलना है वो दरवाजा मेरे लिए
और चले जाना है फिर से ।
nothing after all -- vladimir holan
On the Pavement --- vladimir holan
फुटपाथ पर --
वो बूढ़ी है और लंगड़ाती है यहाँ हर रोज़
अखबार बेचने को ।
थकी हुयी और चूर
वो पसर जाती है उसके अतिरिक्त ढेर पर
और चली जाती है नींद में ।
गुजरने वाले
इतने आदी हैं इसके कि वो देखते भी नहीं उसको
और वो , रहस्यमय और जादूगरनी की तरह बड़बड़ाती ,
छिपा जाती है कि उसे क्या मिलना चाहिए ।
अखबार बेचने को ।
थकी हुयी और चूर
वो पसर जाती है उसके अतिरिक्त ढेर पर
और चली जाती है नींद में ।
गुजरने वाले
इतने आदी हैं इसके कि वो देखते भी नहीं उसको
और वो , रहस्यमय और जादूगरनी की तरह बड़बड़ाती ,
छिपा जाती है कि उसे क्या मिलना चाहिए ।
On the Pavement --- vladimir holan
always -- vladimir holan
हमेशा
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ऐसा नहीं कि मैंने नहीं चाहा होता जीना ,
पर जिंदगी
एक ऐसा झूठ है
कि भले अगर मैं सही होता
पर सच के लिए मुझे झाँकना होता मौत में
और यही है जो मैं कर रहा हूँ ।
always -- vladimir holan
पर जिंदगी
एक ऐसा झूठ है
कि भले अगर मैं सही होता
पर सच के लिए मुझे झाँकना होता मौत में
और यही है जो मैं कर रहा हूँ ।
always -- vladimir holan
Deep in the Night -- vladimir holan
रात की गहराई में
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' कैसे नहीं हुआ जाये ! ' तुम पूछते हो खुद से और आखिर में कहते हो इसे
ज़ोर से ...
पर पेड़ और पत्थर खामोश हैं
जबकि प्रत्येक का जन्म हुआ है शब्द से और इस कारण मूक हैं
तब से शब्द डरा हुआ है कि वो क्या बन गया है ।
पर नाम उनके अभी भी हैं । नाम : पाइन , मैपल , एस्पन ...
और नाम : स्फटिक , माणिक , पन्ना , प्रेम ।
खूबसूरत नाम ,
डरे हुए हैं सिर्फ इससे कि वो क्या बन गए हैं ।
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' कैसे नहीं हुआ जाये ! ' तुम पूछते हो खुद से और आखिर में कहते हो इसे
ज़ोर से ...
पर पेड़ और पत्थर खामोश हैं
जबकि प्रत्येक का जन्म हुआ है शब्द से और इस कारण मूक हैं
तब से शब्द डरा हुआ है कि वो क्या बन गया है ।
पर नाम उनके अभी भी हैं । नाम : पाइन , मैपल , एस्पन ...
और नाम : स्फटिक , माणिक , पन्ना , प्रेम ।
खूबसूरत नाम ,
डरे हुए हैं सिर्फ इससे कि वो क्या बन गए हैं ।
Deep in the Night -- vladimir holan
how ... vladimir holan
कैसे
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कैसे जियें ? कैसे बनें सरल और यथाशब्द ?
मैं हमेशा से तलाश में था एक शब्द की
जो बोला गया हो सिर्फ एक दफा ,
या एक शब्द जो बोला ही ना गया हो कभी ।
मुझे चाहिए थे तलाशने कुछ साधारण शब्द ।
कुछ भी नहीं जा सकता जोड़ा
अपवित्र शराब तक में ।
मैं हमेशा से तलाश में था एक शब्द की
जो बोला गया हो सिर्फ एक दफा ,
या एक शब्द जो बोला ही ना गया हो कभी ।
मुझे चाहिए थे तलाशने कुछ साधारण शब्द ।
कुछ भी नहीं जा सकता जोड़ा
अपवित्र शराब तक में ।
how ... vladimir holan
When It Rains on Sunday --- vladimir holan
जब होती है बरसात रविवार को
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जब होती है बरसात रविवार को और आप अकेले ,
खुले हुए दुनिया के लिए पर नहीं आता कोई चोर
और ना तो शराबी ना ही दुश्मन खटखटाता है दरवाजा ,
जब होती है बरसात रविवार को और आप वीरान हो
और नहीं कर सकते कल्पना जीने की बिना शरीर के
और ना ही जिये हो जब से ये आपके पास है ,
जब होती है बरसात रविवार को और आप अपने आप में हो ,
नहीं सोचते बात करने की खुद से ।
तब ये एक देवदूत है जो जानता है और केवल वो जो है ऊपर ,
तब ये एक शैतान है जो जानता है और केवल वो जो है नीचे ।
एक किताब है हाथों में , एक कविता जारी होने में ।
खुले हुए दुनिया के लिए पर नहीं आता कोई चोर
और ना तो शराबी ना ही दुश्मन खटखटाता है दरवाजा ,
जब होती है बरसात रविवार को और आप वीरान हो
और नहीं कर सकते कल्पना जीने की बिना शरीर के
और ना ही जिये हो जब से ये आपके पास है ,
जब होती है बरसात रविवार को और आप अपने आप में हो ,
नहीं सोचते बात करने की खुद से ।
तब ये एक देवदूत है जो जानता है और केवल वो जो है ऊपर ,
तब ये एक शैतान है जो जानता है और केवल वो जो है नीचे ।
एक किताब है हाथों में , एक कविता जारी होने में ।
When It Rains on Sunday --- vladimir holan
Sonnet of the Sweet Complaint --- Federico García Lorca
मीठी शिकायत का गीत
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कहीं खो ना दूँ ये आश्चर्य , है मुझे डर
और लहज़ा , तुम्हारी मूर्तिमय आँखों का
उस रात लिखा हुआ मेरे गालों पर
दूरस्थ गुलाब तुम्हारी साँसों का
और लहज़ा , तुम्हारी मूर्तिमय आँखों का
उस रात लिखा हुआ मेरे गालों पर
दूरस्थ गुलाब तुम्हारी साँसों का
ये जोखिम है मेरा होना , इस ओर इस हाल
एक शाखहीन तना और क्या हूँ इसके सिवा
नहीं रखता कोई फूल , गूदा या छाल ,
अपनी पीड़ा की करने को दवा
एक शाखहीन तना और क्या हूँ इसके सिवा
नहीं रखता कोई फूल , गूदा या छाल ,
अपनी पीड़ा की करने को दवा
क्या तुम हो खजाना छिपा हुआ मेरा
क्या तुम हो मेरा सलीब , भीगा हुआ दुःख मेरा
या हूँ मैं एक कुत्ता मालिकाना सिर्फ तेरा
क्या तुम हो मेरा सलीब , भीगा हुआ दुःख मेरा
या हूँ मैं एक कुत्ता मालिकाना सिर्फ तेरा
मत खोने दो मुझे पाया है जो मैंने अभी
और संवार लो धाराएँ तुम अपनी नदी की
टूटकर गिरती पत्तियों से , मेरे पतझड़ की
और संवार लो धाराएँ तुम अपनी नदी की
टूटकर गिरती पत्तियों से , मेरे पतझड़ की
Sonnet of the Sweet Complaint --- Federico García Lorca
Jan 10, 2015
वो दोनों अपने अपने जा रहे थे
वो दोनों अपने अपने जा रहे थे
लड़का वक़्त में आगे
लड़की संसार में पीछे
रास्ते दोनों को मालूम ना थे
वो बस चले जा रहे थे
वहाँ तक जहां समय और संसार
एक जगह आकर मिलते थे
वो दोनों वहाँ थे , तब
आमने-सामने
और उसके बाद
दोनों पीछे मुड़े
लड़का पीछे की ओर आगे बढ़ गया
और लड़की वहीं रह गयी !
अ से
the wall --- vladimir holan
क्यों तुम्हारी उड़ान इतनी भारी है परवाहों से
क्यों हो जाती है ये यात्रा नीरस ?
मैं बात कर रहा हूँ पंद्रह वर्षों से
एक दीवार से
क्यों हो जाती है ये यात्रा नीरस ?
मैं बात कर रहा हूँ पंद्रह वर्षों से
एक दीवार से
और मैं खींच लाया हूँ उस दीवार को यहाँ
बाहर मेरे अपने नर्क से
ताकि ये बता सके अब
आपको सबकुछ ।
बाहर मेरे अपने नर्क से
ताकि ये बता सके अब
आपको सबकुछ ।
the wall --- vladimir holan
Jan 9, 2015
Ditty of First Desire by Federico García Lorca
पहली ख़्वाहिश की धुन
हरी सुबह में
मैं बनना चाहता था दिल
एक दिल ।
मैं बनना चाहता था दिल
एक दिल ।
और परिपक्व साँझ में
बनना चाहता था बुलबुल
एक बुलबुल ।
बनना चाहता था बुलबुल
एक बुलबुल ।
(आत्मा ,
रंग जाती है नारंगी
आत्मा ,
रंग जाती है प्रेम के रंग में )
रंग जाती है नारंगी
आत्मा ,
रंग जाती है प्रेम के रंग में )
ज्वलंत सुबह में
मैं बनना चाहता था मैं
एक दिल ।
मैं बनना चाहता था मैं
एक दिल ।
और ढलती साँझ में
बनना चाहता था अपनी आवाज़
एक बुलबुल ।
बनना चाहता था अपनी आवाज़
एक बुलबुल ।
(आत्मा ,
रंग जाती है नारंगी
आत्मा ,
रंग जाती है प्रेम के रंग में )
रंग जाती है नारंगी
आत्मा ,
रंग जाती है प्रेम के रंग में )
Ditty of First Desire by Federico García Lorca
MADRUGADA (early morning) --- Federico García Lorca
भोर
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लेकिन प्यार की तरह
धनुर्धर
अंधे हैं
धनुर्धर
अंधे हैं
हरी रात को
उनके तीर
छोड़ जाते हैं निशान
ऊष्म कुमुदनियों के
उनके तीर
छोड़ जाते हैं निशान
ऊष्म कुमुदनियों के
चाँद का तला
टूट जाता है बैंगनी बादलों से
और उनके तरकश
भर जाते हैं ओस से
टूट जाता है बैंगनी बादलों से
और उनके तरकश
भर जाते हैं ओस से
ओह , लेकिन प्यार की तरह
धनुर्धर
अंधे हैं
धनुर्धर
अंधे हैं
MADRUGADA (early morning) --- Federico García Lorca
The Guitar - Federico García Lorca
रोने लगी
गिटार ।
टूट गए शीशे
सुबह के ।
गिटार ।
टूट गए शीशे
सुबह के ।
रोने लगी
गिटार ।
बेकार है
चुप कराना ।
गिटार ।
बेकार है
चुप कराना ।
संभव नहीं
उसे चुप कराना ।
उसे चुप कराना ।
रोती है एकसार
वो पानी की तरह ,
जैसे रोती है हवा
बर्फीले मैदानों तले ।
वो पानी की तरह ,
जैसे रोती है हवा
बर्फीले मैदानों तले ।
संभव नहीं
उसे चुप कराना ।
रोती है
सुदूर चीजों को ।
उसे चुप कराना ।
रोती है
सुदूर चीजों को ।
गर्म दक्षिणी रेत
तड़पती है जैसे
सफ़ेद फूलों के लिए ।
रोते हैं जैसे तीर लक्ष्य हीन ,
और साँझ बिना सुबह के ,
और पहला पंछी ,
शाख पर मरा हुआ ।
तड़पती है जैसे
सफ़ेद फूलों के लिए ।
रोते हैं जैसे तीर लक्ष्य हीन ,
और साँझ बिना सुबह के ,
और पहला पंछी ,
शाख पर मरा हुआ ।
ओह ! गिटार
ओ घायल दिल
पाँच विषम तीरों से ।
ओ घायल दिल
पाँच विषम तीरों से ।
The Guitar - Federico García Lorca
vladimir holan
एक लड़की ने आप से पूछा : कविता क्या है
तुम उस से कहना चाहते थे : तुम भी , ओह हाँ , तुम ,
और जो डर और आश्चर्य में हैं ,
जो साबित करता है चमत्कार को ।
मैं जलता हूँ तुम्हारी भरी हुयी सुंदरता से
और क्यूंकि मैं तुम्हें चूम नहीं सकता ना ही सो सकता हूँ तुम्हारे साथ ,
और क्यूंकी मेरे पास कुछ भी नहीं है और जिसके पास कुछ नहीं है देने को
उसे गुनगुनाना चाहिए ...
पर तुमने कहा नहीं ये , तुम खामोश रहे ,
और उसने सुना नहीं ये गीत ।
तुम उस से कहना चाहते थे : तुम भी , ओह हाँ , तुम ,
और जो डर और आश्चर्य में हैं ,
जो साबित करता है चमत्कार को ।
मैं जलता हूँ तुम्हारी भरी हुयी सुंदरता से
और क्यूंकि मैं तुम्हें चूम नहीं सकता ना ही सो सकता हूँ तुम्हारे साथ ,
और क्यूंकी मेरे पास कुछ भी नहीं है और जिसके पास कुछ नहीं है देने को
उसे गुनगुनाना चाहिए ...
पर तुमने कहा नहीं ये , तुम खामोश रहे ,
और उसने सुना नहीं ये गीत ।
-- व्लादिमीर होलान
in the lift --- vladimir holan
मुलाक़ात एक लिफ्ट में
हमनें लिफ्ट में कदम रखे ,
हम दो , अकेले ।
हमने देखा एक दूसरे की ओर और बस इतना ही ।
दो जिंदगियाँ , एक लम्हा , परिपूर्णता , सुख ।
पांचवे माले पर वो बाहर निकल गयी और मैं जाता रहा ऊपर ।
जानते हुये मैं नहीं देख पाऊँगा उसे फिर कभी
कि यह एक मुलाक़ात थी एक बार की और बस हमेशा की
कि यदि मैंने उसका पीछा किया
मैं हो जाऊंगा एक मृत आदमी की तरह उसके रास्ते में
और यदि वो लौट आती है मुझ तक
तो ये आना केवल होगा दूसरी दुनिया से !
-- व्लादिमीर होलान
हम दो , अकेले ।
हमने देखा एक दूसरे की ओर और बस इतना ही ।
दो जिंदगियाँ , एक लम्हा , परिपूर्णता , सुख ।
पांचवे माले पर वो बाहर निकल गयी और मैं जाता रहा ऊपर ।
जानते हुये मैं नहीं देख पाऊँगा उसे फिर कभी
कि यह एक मुलाक़ात थी एक बार की और बस हमेशा की
कि यदि मैंने उसका पीछा किया
मैं हो जाऊंगा एक मृत आदमी की तरह उसके रास्ते में
और यदि वो लौट आती है मुझ तक
तो ये आना केवल होगा दूसरी दुनिया से !
-- व्लादिमीर होलान
reincarnation --- व्लादिमीर होलान
पुनर्जीवन
क्या यह सच है कि हमारी इस जिंदगी के बाद हमें किसी दिन जगाया जाएगा
तुरही की एक भयानक तुमुल नाद से ?
क्षमा करना ईश्वर , पर मैं सांत्वना देता हूँ स्वयं को
कि हम सभी मृतकों का आरंभ और पुनर्जीवन
उद्घोषित किया जाएगा बस मुर्गे की बांग से ।
-- व्लादिमीर होलान
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